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अधिवक्ता संघ में छिड़ा शीत युद्ध, एक गुट महासचिव को हटाने पर आमदा तो दूसरा मौन

पिछले एक पखवारा से जिला विधिक संघ में चल रहे वाकयुद्ध अब शीत युद्ध में तब्दील हो चुका है तथा एक धड़े संघ के महासचिव सुबोध कुमार के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल रहा है.

पिछले काफी दिनों से वर्तमान जिला विधिक संघ के अध्यक्ष व महासचिव के खिलाफ दूसरे धड़े के अधिवक्ताओं ने खोल रखा है मोर्चा

एक पखवारा पूर्व शपथ पत्र, वकालतनामा, हाजिरी विक्रय केंद्र पर विरोधी गुट जड़ चुका है ताला

लखीसराय. पिछले एक पखवारा से जिला विधिक संघ में चल रहे वाकयुद्ध अब शीत युद्ध में तब्दील हो चुका है तथा एक धड़े संघ के महासचिव सुबोध कुमार के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल रहा है. इतना ही नहीं शपथ पत्र, वकालतनामा, हाजिरी विक्रय केंद्र पर विरोधी गुट तालाबंदी कर अलग से काउंटर लगाकर इन पत्रों की बिक्री कर रहे हैं. वहीं संघ में विरोधी गुट होने पर बिहार स्टेट बार काउंसिल भी मामले को संज्ञान में लिया तथा एक शिष्टमंडल लखीसराय व्यवहार न्यायालय पहुंचकर दोनों पक्षों के बीच सुलह-समझौता कराने का प्रयास किया जो विफल रहा. जिससे नाराज बिहार बार काउंसिल द्वारा विरोधी गुट के कई अधिवक्ताओं पर नोटिस जारी किया, और 15 दिसंबर को महासचिव सुबोध कुमार के सेवा अवधि को विस्तार कर दिया. जिससे नाराज दूसरे गुट के अधिवक्ताओं ने बुधवार को कोर्ट परिसर में आमसभा कर महासचिव के कार्य अवधि विस्तार की निंदा की तथा उन्हें पदच्युत करने की बात कही. विदित हो कि सुबोध कुमार का सेवा अवधि समाप्ति की तिथि 16 अक्तूबर 2025 है. वहीं दूसरे गुट से प्रोटेम अध्यक्ष बनाये गये चंद्रमौलेश्वर प्रसाद सिन्हा ने कहा कि जिला विधिक संघ की आमसभा में पदच्यूत महासचिव सुबोध कुमार के इशारे पर अथवा उनके समर्थन से कोई भी व्यक्ति के प्रपत्र बिक्री, वकालतनामा, शपथ पत्र हाजरी आदि के बिक्री पर प्रतिबंध लगाती है. उस प्रपत्र बिक्री में जो कोई भी अधिवक्ता सहयोग करेंगे, उन्हें संघ के लाभ से वंचित कर देने का भी संकल्प पारित किया गया.

इसके अलावा निवर्तमान महासचिव सुबोध कुमार को वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाते हुए कहा कि चूंकि विगत दो वर्षों के कार्यकाल में वह कभी संघ के आय-व्यय का कोई ब्योरा प्रस्तुत नहीं किया तथा ऑडिट नहीं कराया. इतना ही नहीं बैंक खाते का नियमित संचालन नहीं किया व अधिवक्ताओं के हित के प्रति सजग नहीं रहा. जबकि बिहार राज्य अधिवक्ता कल्याण कोष में संघ की ओर से दी जाने वाली निर्धारित राशि का भी भुगतान नहीं किया, इस कारण से मॉडलरूल के नियम 32बी के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए सुबोध कुमार का कार्यकाल 16 अक्तूबर 2025 को समाप्त हो गया है. वहीं बिहार स्टेट बार काउंसिल के पत्र संख्या 2590 से 2592 दिनांक 15 दिसंबर में अध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद विस्तार कर दिया है. बैठक में बिहार बार काउंसिल के कार्यवाही की निंदा करते हुए संघ के वर्तमान पदाधिकारियों को कार्य करने से वंचित करते हुए पदच्युत किया जाता है. इस संकल्प के प्रभाव के आलोक में अलग से विपत्र बिक्री करने एवं गलत कार्य तथा संघ के आर्थिक क्षति पहुंचाने एवं आय-व्यय का ब्योरा नहीं देने के कारण उनके विरुद्ध उचित निर्णय लेने के लिए आमसभा आहूत किया गया. इधर, बता दें कि जिला विधिक संघ के निर्वतमान महासचिव सुबोध कुमार ने राज्य विधिक संघ से सेवा विस्तार का पत्र मिलने के बाद प्रधान जिला जज एवं जिलाधिकारी को भी इस संबंध में पत्र प्रेषित किया था. वहीं सुबोध कुमार ने कहा कि वे राज्य विधिक संघ के निर्देशानुसार ही अपना काम कर रहे हैं.

आमसभा में इन्होंने किया शिरकत

मौके पर उमाकांत यादव, रवि विलोचन वर्मा, श्रीनिवास प्रसाद सिंह, मो. हसनात अहमद खान, रोहिनी दास, रामशंकर सिंह उर्फ अमरनाथ, सुभाष कुमार निराला, अशोक कुमार सिन्हा सहित अन्य उपस्थित थे.

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