लोगों के बीच जागरूकता कार्यक्रम नदारद
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अब भी लोक शिकायत निवारण अधिकार से वंचित है अवाम
लोगों के बीच जागरूकता कार्यक्रम नदारद अधिनियम कार्यान्वयन की जटिल संरचना से न्याय मिलना हुआ टेढ़ी खीर लखीसराय : जनशिकायत मामलों का त्वरित निबटारा किये जाने को लेकर राज्य सरकार की ओर से हाल के दिनों में लागू की गयी लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम सघन जागरूकता अभियान चलाये बगैर क्रियान्वित किये जाने के चलते […]
अधिनियम कार्यान्वयन की जटिल संरचना से न्याय मिलना हुआ टेढ़ी खीर
लखीसराय : जनशिकायत मामलों का त्वरित निबटारा किये जाने को लेकर राज्य सरकार की ओर से हाल के दिनों में लागू की गयी लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम सघन जागरूकता अभियान चलाये बगैर क्रियान्वित किये जाने के चलते आम अवाम की शिकायतों का समुचित समाधान करना पूर्णत: टेढ़ी खीर प्रतीत होने लगी है. इस नये कार्यक्रमों की सफल क्रियान्वयन से पूर्व जन मानस के बीच बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम नियमावली से संबंधित मार्गदर्शिका की समुचित प्रशासनिक प्रचार प्रसार नहीं किया गया है. विभागवार योजना, कार्यक्रम एवं सेवाओं को लेकर परिवाद पत्र दायर करने एवं ससमय निवारण से संबंधित अधिसूचनाओं की पारदर्शी तरीके से क्रियान्वयन व अनुपालन दोनों संशय की हालात में कायम है.
कार्यक्रम के नाम, विस्तार, प्रारंभ, परिभाषा, लोक प्राधिकार, सूचना एवं सुकरण केंद्र प्रथम, ,द्वितीय एवं पुनरीक्षण प्राधिकार व नियत समय सीमा, विहित प्रपत्र आदि की पारदर्शी तरीके से जन सामान्य को जानकारी सुलभ नहीं हो पाया है. इसके अलावे सदभावपूर्ण कारवाइयों का संरक्षण, न्यायालयों की अधिकारिता का वर्जन , विद्यमान विधियों के अतिरिक्त उपबंधों एवं कठिनाइयों का निराकरण आदि के नियमित प्रशासनिक अनुश्रवण और प्रसारण व प्रशिक्षण की दिशा में बरती गयी उदासीनता राज्य सरकार के निर्देशों को बिल्कुल ढ़कोलसला बना रखा है.
जन सामान्य के बीच नियम 3 के अंतर्गत प्रपत्र -1 में आवेदन का प्रपत्र लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष दायर करने के विधानों एवं नियम-4 के प्रपत्र-2 के तहत पावती अनन्य पंजीयन संख्या एवं तिथि परिवाद प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर व कार्यालय मुहर के साथ प्राप्त करने आदि की विधानों की सुगमता पूर्वक जानकारी दिवा स्वप्न जैसा प्रतीत होता है.
इस बाबत में अनुमंडल से जिला स्तर तक संबंद्ध लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी कार्यालय में प्रथम, द्वितीय एवं पुनरीक्षण प्राधिकार की विधिवत सरलता से जानकारी आम लोगों को मयस्सर नहीं हो सका है. विभागीय स्तर पर सुनवाई की अधिकारिता , परिवाद दायर करने के माध्यम एवं अन्य प्रोसेसिंग की पारदर्शिता तो कोसों दूर प्रतीत होता है.
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