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कजरा पावर प्लांट: साढ़े चार वर्ष बाद भी भू अर्जन प्रक्रिया अधूरी

कजरा पावर प्लांट: साढ़े चार वर्ष बाद भी भू अर्जन प्रक्रिया अधूरीफोटो संख्या:01-सच्चिदानंद सिंहफोटो संख्या:02-मदन कुमार सिंहफोटो संख्या:03-विनय सिंहफोटो संख्या:04-शंकर प्रसाद सिंहफोटो संख्या:05-कार्तिक यादवफोटो संख्या:06-मुन्ना यादवफोटो संख्या:07-राजेश सिंहफोटो संख्या:08-रविन्द्र पासवानफोटो संख्या:09 -जानकी पांडेयफोटो संख्या:10-गौरव कुमारफोटो संख्या:11-कुंदन कुमारफोटो संख्या:12-गब्बर कुमारफोटो संख्या:13-रंजन कुमारफोटो संख्या:14-परमहंस कुमारफोटो संख्या:15-रतन सदाफोटो संख्या:16-अशोक कुमार रजकफोटो संख्या:17-कुमार अमितफोटो संख्या:18-राविन्स कुमारफोटो संख्या:19-अधुरा पड़ा बाउण्ड्री […]

कजरा पावर प्लांट: साढ़े चार वर्ष बाद भी भू अर्जन प्रक्रिया अधूरीफोटो संख्या:01-सच्चिदानंद सिंहफोटो संख्या:02-मदन कुमार सिंहफोटो संख्या:03-विनय सिंहफोटो संख्या:04-शंकर प्रसाद सिंहफोटो संख्या:05-कार्तिक यादवफोटो संख्या:06-मुन्ना यादवफोटो संख्या:07-राजेश सिंहफोटो संख्या:08-रविन्द्र पासवानफोटो संख्या:09 -जानकी पांडेयफोटो संख्या:10-गौरव कुमारफोटो संख्या:11-कुंदन कुमारफोटो संख्या:12-गब्बर कुमारफोटो संख्या:13-रंजन कुमारफोटो संख्या:14-परमहंस कुमारफोटो संख्या:15-रतन सदाफोटो संख्या:16-अशोक कुमार रजकफोटो संख्या:17-कुमार अमितफोटो संख्या:18-राविन्स कुमारफोटो संख्या:19-अधुरा पड़ा बाउण्ड्री वालफोटो संख्या:20-अधिग्रहित भूमि की धेराबंदीफोटो संख्या:21-पावर प्रोजेक्ट की अधिग्रहण की गई जमीन की अधुरी घेराबंदीप्रतिनिधि, लखीसरायजिले के नक्सल प्रभावित पहाड़ी इलाके में स्थित कजरा व पीरीबाजार क्षेत्र में जुलाई 2007 में केंद्र सरकार द्वारा 1320 मेगावाट क्षमता वाला कजरा प्लांट की स्वीकृति प्रदान की गयी. परियोजना के लिये उक्त क्षेत्र के चार मौजे विशनपुर, महारथपुर, घोघी व बरियारपुर में जुलाई 2011 से भू-अर्जन का कार्य शुरू किया गया. उम्मीद थी कि वर्ष 2016 में प्रोजेक्ट के पहले चरण का कार्य पूरा हो जायेगा व क्षेत्र में खुशहाली आयेगी, लेकिन योजना की स्वीकृति के साढ़े आठ वर्ष के बाद भी अब तक भू-अर्जन का कार्य पूरा नहीं हो पाया. क्या है योजनापर्वत श्रृंखलाओं की गोद में बसा कजरा व पीरीबाजार क्षेत्र में अल्ट्रा थर्मल पावर प्रोजेक्ट निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने से लोगों को खुशहाली की उम्मीद जगी थी. इस प्रोजेक्ट में 1320 मेगावाट विद्युत थर्मल पावर निर्माण के लिये वर्ष 2011 में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गयी. योजना में 669 मेगावाट के दो टरबाइन का निर्माण होना है. योजना में तत्काल 10 हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान लगाया गया. इसके लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू कर किसानों को प्रथम चरण में मुआवजा भी दिया गया. घेराबंदी का कार्य अधूरा योजना के तहत कुल 1249.75 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया. इसमें 13.585 डकरा नाला (सिंचाई विभाग) की जमीन शामिल है. विशनपुर मौजे में 465.6 एकड़ भूमि के अधिग्रहण का कार्य किया गया. इसमें 22 एकड़ छह डिसमिल गैर मजरूआ आम, 48 एकड़ गैर मजरूआ मालिक व 397.86 एकड़ रैयती जमीन का अधिग्रहण किया गया. महारथपुर मौजे में कुल 361.84 एकड़ जमीन में से 325 एकड़ रैयती, 18.5 एकड़ गैर मजरूआ आम व 14.87 एकड़ गैर मजरूआ मालिक जमीन का अधिग्रहण किया गया. घोघी मौजे में कुल 103.44 एकड़ में से 87.71 एकड़ रैयती,11.35 एकड़ गैर मजरूआ आम व 4.38 एकड़ गैर मजरूआ मालिक जमीन का अधिग्रहण किया गया. जबकि बरियारपुर मौजे में कुल 222.7 एकड़ में से 193.46 एकड़ रैयती, 14.5 एकड़ गैर मजरूआ आम व 13.9 एकड़ गर मजरूआ मालिक जमीन का अधिग्रहण किया गया. कुल 12.75 किलोमीटर परिधि में उक्त भू-खंड की घेराबंदी का कार्य केम्स सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया. कंपनी को नौ माह के अंदर कार्य पूरा करना था. लेकिन अब तक मात्र 2.256 किलोमीटर में ही घेराबंदी कार्य हो पाया. घोघी मौजे में 70 फीसदी, बरियारपुर में 60 फीसदी, व महारथपुर मौजे में 20 फीसदी जमीन की ही घेराबंदी हुई है. पिछले आठ महीने से घेराबंदी कार्य बंद है. स्थानीय लोगों के मुताबिक कंपनी के द्वारा मजदूरों के बकाया पारिश्रमिक का भुगतान भी नहीं किया गया. गैरमजरूआ आम भूमि की स्वीकृति कैबिनेट से प्राप्त है, जबकि सिंचाई विभाग की जमीन का हस्तांतरण किया जाना है. किसानों को नहीं मिला मुआवजाकिसानों को भू-अर्जन के बाद प्रारंभिक दौर में 18 लाख सात सौ रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाना था. सरकार द्वारा उक्त दर से मुआवजा की राशि का 80 फीसदी भुगतान वर्ष 2013 तक कर दिया गया. बाद में दिसंबर 2013 में भूमि अधिग्रहण बिल आने के बाद मुआबजा की राशि बढ़कर 29 लाख 60 हजार रुपये प्रति एकड़ कर दिया गया. उक्त रेट महारथपुर के 424 किसानों में से 275 किसानों, घोघी मौजे के 219 किसानों में से 180 किसानों की मुआवजा राशि का भुगतान भी किया गया. बरियारपुर मौजे के अधिकांश किसानों को भी नये रेट से मुआवजा की राशि दी गयी. लेकिन विशनपुर मौजे के किसान को अब तक जमीन का पूरा मुआवजा नहीं मिल पाया है. इसके अलावे पेड़, मकान व कुआं का संबंधित विभाग से मुआवजा का निर्धारण करने के उपरांत किसानों को उसी आधार से मुआवजा दिया जाना है. मुआवजा को लेकर किसानों में असंतोषभूमि अधिग्रहण के साढ़े चार वर्ष बाद भी मुआवजा की पूरी राशि नहीं मिलने की वजह से किसानोंं में गहरा असंतोष है. खैरा गांव के किसान सच्चिदानंद सिंह के मुताबिक उनकी आठ बीघा जमीन का पावर प्रोजेक्ट में अधिग्रहण किया गया. अब तक मुआवजा की राशि नहीं मिल पायी है. राशि भुगतान कराने के नाम पर कर्मी से लेकर पदाधिकारी तक घूस मांगते हैं. इसी गांव के मदन कुमार सिंह के मुताबिक उनकी चार एकड़ जमीन के लिये आधा से कम राशि का भुगतान किया गया. जमीन की कागजात दुरुस्त होने के बावजूद मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया. पैक्स अध्यक्ष विनय सिंह के मुताबिक प्रथम चरण में मुआवजा के पुराने रेट से 80 फीसदी राशि का ही अबतक भुगतान किया गया. किसानों को जमीन का पूरा मुआवजा नहीं मिलेंगा, पावर प्रोजेक्ट का कार्य बाधित रहेगा. विशनपुर के किसान शंकर प्रसाद सिंह के मुताबिक राशि का भुगतान नहीं होने से कार्य बाधित है. खेती भी नहीं हो रही है व राशि के अभाव में अन्य कार्य भी बाधित है. किसान कार्तिक यादव के मुताबिक पूरा मुआवजा नहीं मिला. अभी जमीन की जोत कर रहे हैं. विशनपुर मौजे के किसान मुन्ना यादव के मुताबिक पांच बीघा दो फसला जमीन पावर प्राेजेक्ट के लिये अधिग्रहण किया गया. साढ़े चार वर्ष बाद भी पूरा मुआवजा नहीं मिला, जबकि अन्य मौजे में किसानों को मुआवजे की पूरी राशि दी गयी है. किसान राजेश सिंह ने बताया कि बताया कि उनकी दो एकड़ 40 डिसमिल जमीन का गजट नहीं हुआ. जबकि एक एकड़ जमीन गैर मजरूआ घोषित कर दिया गया. रविंद्र पासवान के मुताबिक बालू, गिट्टी से खेत भी बंजर हो गया व मुआवजा की पूरी राशि भी नहीं मिली. वकील मंडल के मुताबिक राशि के अभाव में आवश्यक कार्य बाधित हो रहा है. किसानों की जमीन भी गयी व मुआवजा भी नहीं मिल पाया. अब पावर प्रोजेक्ट का कार्य ठप होने से रोजी-रोजगार की आस भी धुंधली होने लगी. खैरा के दयानंद सिंह के मुताबिक मुआवजा नहीं मिलने से किसानों में गहरा असंतोष है. टूटने लगा है रोजगार की आसकजरा में अल्ट्रा विद्युत पावर प्लांट के निर्माण की घोषणा से बेरोजगार युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार की आस जगी थी. लेकिन समस बीतने के साथ इन युवाओं की उम्मीद भी टूटने लगी है. जानकी पांडेय के मुताबिक पावर प्लांट का कार्य कछुआ गति से हो रहा है. रोजगार की आस में क्षेत्र के युवाओं की उम्मीदें अब दम तोड़ने लगी हैं. गौरव कुमार सिंह के मुताबिक पावर प्रोजेक्ट क्षेत्र के लोगों का सपना है. रोजगार की संभावना तो है लेकिन आस कब तक पूरी होगी, पता नहीं. कुदन कुमार के मुताबिक कजरा में अल्ट्रा विद्युत पावर प्रोजेक्ट से रोजगार सृजन की संभावना तो है लेकिन इसका लाभ बेरोजगारों को कब तक मिलेगा, यक्ष प्रश्न है. गब्बर कुमार के मुताबिक यह पावर प्रोजेक्ट क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगा. रंजन कुमार के मुताबिक सरकार इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर ध्यान नहीं दे रही. कार्य पूरा होगा, तभी रोजगार का सृजन होगा. परमहंस कुमार के मुताबिक पावर प्रोजेक्ट चालू होने से कजरा व पीरीबाजार क्षेत्र के अलावे जिले भर में खुशहाली आयेगी. रतन सदा के मुताबिक हर तबके के लोगों को इससे रोजगार मिलेगा. राविन्स कुमार के मुताबिक इससे क्षेत्र में सभी क्षेत्रों में विकास होगा. कुमार अमित के मुताबिक पावर प्रोजेक्ट कार्य शीघ्र पूरा होनी चाहिए. अशोक कुमार रजक के मुताबिक क्षेत्र के युवा कई वर्षों से रोजगार की आस लगाये बैठे हैं. कार्य की गति धीमी होने से उम्मीदें भी दम तोड़ने लगी है. कहते हैं जिला भू-अर्जन पदाधिकारीजिला भू-अर्जन पदाधिकारी राजेश कुमार के मुताबिक राशि अनुपलब्ध होने की वजह से किसानों को मुआबजा की पूरी राशि का भुगतान नहीं किया गया है. विशनपुर मौजे में कुल 485 रैयत में से 446 रैयत को 80 फीसदी राशि का भुगतान किया जा चुका है. बरियारपुर मौजे में कुल 315 रैयत में से 283 रैयत को 80 फीसदी राशि का भुगतान किया गया. महारथपुर मौजे में 464 मौजे में 424 रैयतों का 80 फीसदी राशि का भुगतान किया गया. इनमें से 261 रैयतों का शत-प्रतिशत राशि का भुगतान किया गया. घोघी मौजे में कुल 219 रैयतों में से 212 रैयतों का 80 फीसदी राशि का भुगतान किया गया. इनमें से 123 रैयत को सौ फीसदी राशि का भुगतान किया गया. डीएलओ के मुताबिक योजना मद में कुल 207.73 करोड़ की राशि उपलब्ध हुआ. जिसमें से 207.67 करोड़ की राशि का भुगतान रैयतों को किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि रैयतों को बकाया राशि के भुगतान के लिये 150 करोड़ की राशि की आवश्यकता है. अब तक तीन बार राशि की मांग की जा चुकी है, लेकिन राशि अनुपलब्ध होने की वजह से कार्य बाधित है.

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