पीतल व प्लास्टिक के सूप के चलन से पुस्तैनी सूप का कारोबार हुआ मंदा जमुई . महापर्व छठ पर बांस से बने सूप का अपना एक अलग महत्व है. लेकिन बदलते परिवेश में पीतल व प्लास्टिक सामग्री का चलन होने से यह कारोबार मंद होता जा रहा है. सूप व डलिया बिक्रेता शंकर कुमार ने बताया कि पूर्व में छठ पर्व पर बिक्री होने वाले व्यवसाय से पूरे वर्ष का खर्च निकल जाता था. लेकिन आज इस पेशा को बचाने की जद्दोजहद चल रही है. बाजार में बिक रहे पीतल व प्लास्टिक के सूप ने इस व्यवसाय को बुरी तरह प्रभावित करके रख दिया है. लोगों ने बताया कि पहले हम लोग दुर्गा पूजा के बाद से ही बांस का सूप, डलिया आदि बनाने में पूरे परिवार के साथ लग जाते थे. लेकिन अब कारोबार धीरे-धीरे काफी मंदा हो चुका है. ऐसा प्रतीत होता हैं कि अब हमलोगों को इस पुस्तैनी धंधा को बंद कर देना होगा. बिके्रता मी मानते हैं कि महंगाई के कारण भी बिक्री प्रभावित हो रहा है.पिछले वर्ष बांस से बने सूप की बिक्री 50 से 60 रुपये तक में हुई थी. वहीं इस वर्ष इसकी बिक्री 60 से 80 रुपये में हो रही है.
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पीतल व प्लास्टिक के सूप के चलन से पुस्तैनी सूप का कारोबार हुआ मंदा
पीतल व प्लास्टिक के सूप के चलन से पुस्तैनी सूप का कारोबार हुआ मंदा जमुई . महापर्व छठ पर बांस से बने सूप का अपना एक अलग महत्व है. लेकिन बदलते परिवेश में पीतल व प्लास्टिक सामग्री का चलन होने से यह कारोबार मंद होता जा रहा है. सूप व डलिया बिक्रेता शंकर कुमार ने […]
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