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Friday, March 29, 2024

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या देवी सर्वभूतेषु …. के मंत्रोच्चार व कलश स्थापना के साथ ही शारदीय नवरात्र शुरू

या देवी सर्वभूतेषु …. के मंत्रोच्चार व कलश स्थापना के साथ ही शारदीय नवरात्र शुरूफोटो- 01चित्र परिचय. सूर्यगढ़ा प्रखंड के रामपुर गांव में निर्माणाधीन पूजा पंडाल में कलश स्थापना करते श्रद्धालुफोटो- 02चित्र परिचय: विद्यापीठ चौक स्थित दुर्गा मंदिर में स्थापित माता की चौकी एवं कलश स्थापना.फोटो- 04चित्र परिचय: मेदनीचौकी दुर्गा मंदिर में कलश स्थापना.फोटो – […]

या देवी सर्वभूतेषु …. के मंत्रोच्चार व कलश स्थापना के साथ ही शारदीय नवरात्र शुरूफोटो- 01चित्र परिचय. सूर्यगढ़ा प्रखंड के रामपुर गांव में निर्माणाधीन पूजा पंडाल में कलश स्थापना करते श्रद्धालुफोटो- 02चित्र परिचय: विद्यापीठ चौक स्थित दुर्गा मंदिर में स्थापित माता की चौकी एवं कलश स्थापना.फोटो- 04चित्र परिचय: मेदनीचौकी दुर्गा मंदिर में कलश स्थापना.फोटो – 05चित्र परिचय: सूर्यगढ़ा बड़ी दुर्गा स्थान में छाती पर नौ कलश की स्थापना कराते पुरुष श्रद्धालु. फोटो- 06चित्र परिचय: सूर्यगढ़ा बड़ी दुर्गा मंदिर में छाती पर कलश की स्थापना कराती महिला श्रद्धालु.फोटो- 08चित्र परिचय: शिव महावीर दुर्गा मंदिर सूर्यगढ़ा में कलश स्थापना करते श्रद्धालु.फोटो- 09 चित्र परिचय: शिव महावीर दुर्गा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़प्रतिनिधि, लखीसरायया देवी सर्वभूतेषु … के मंत्रोच्चार व कलश स्थापना के साथ ही मंगलवार को जिले भर में शारदीय नवरात्र प्रारंभ हुआ. नवरात्र के पहले दिन पूजा पंडालों व घरों में मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की गयी. सुबह से ही सार्वजनिक पूजा स्थलों से लेकर घरों तक में विधिपूर्वक नवरात्र का कलश स्थापित किया गया. जहां नौ दिनों तक मां के विभिन्न रूपों की उपासना की जायेगी. पूजा पंडालों में माता के गीतों, दुर्गा सप्तशती के पाठ, धूप-अगरबत्ती की खुशबू से चहुंओर भक्ति की मंदाकिनी बहती रही. प्रात: स्नान आदि से निवृत्त होकर श्रद्धालुओं ने व्रत का संकल्प लिया. पूजा स्थलों में संकल्प के पश्चात ब्राहृमण या स्वयं ही श्रद्धालु मिट्टी की वेदी बना कर जौ बोया. इसके उपरांत विधिपूर्वक कलश स्थापना के साथ ही माता का पूजन आरंभ हो गया.माता की चौकी स्थापित की गयी नवरात्र के प्रथम दिन माता की चौकी स्थापित की गयी. लकड़ी की चौकी स्थापित कर उसे गंगाजल से पवित्र कर इसके ऊपर सुंदर लाल वस्त्र बिछाया गया. इसे स्थापित कलश के दायीं ओर रखा गया. उसके बाद मां भगवती की धातु की मूर्ति अथवा नव दुर्गा का फ्रेम किया फोटो चौकी पर स्थापित किया गया. मां दुर्गा को लाल चुनरी ओढ़ाया गया और विधिपूर्वक पूजा की गयी.आचार्य उमा शंकर व्यास जी के मुताबिक नवरात्र में मंत्र की उपासना काफी फलदायक होता है. उन्होंने बताया कि* नवरात्र में नौ दिन मां भगवती का व्रत रखने व प्रत्येक दिन दुर्गा सप्तशती पाठ करने का विशेष महत्व है. हर एक मनोकामना पूरी हो जाती है. सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है.* नवरात्र के प्रथम दिन से ही अखंड ज्योति नौ दिनों तक जलता है. दीपक के नीचे चावल रखने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. सप्त धान्य रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं.* माता की पूजा लाल रंग के कंबल के आसन पर बैठ कर करना उत्तम माना गया है.* नवरात्र में प्रतिदिन माता रानी को फूलों का हार चढ़ाना चाहिए. प्रति दिन घी का दीपक जला कर मां भगवती को मिष्ठान का भोग लगानी चाहिए.* नवरात्र में प्रतिदिन कंडे की धूनी जला कर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कपूर, गूग्गूल, इलाइची, किसमिस, कमलगट्टा जरूर अर्पित करें.* लक्ष्मी प्राप्ति के लिए नवरात्र में पान में गुलाब की पंखुरियां रखें और मां को अर्पित करें. पूजा को लेकर बाजारों में चहल-पहलनवरात्र को लेकर बाजारों में मंगलवार को भी चहल पहल रही. लोगों ने पूजा सामग्री, फल आदि की खरीदारी की. दुकानों में कोई मां की चुनरी तो कोई पूजन सामग्री नारियल आदि की मांग कर रहे थे. चुनरी से लेकर कलश स्थापना के लिए लाल कपड़े रोड़ी, मौली, जौ, सुपारी, कपूर, घी, पंचमेवा व होम आदि सामग्री की मांग रही. लोगों ने मिट्टी के कलश आदि की भी खरीददारी की. मेदनीचौकी प्रतिनिधि के अनुसार, शारदीय नवरात्र के अवसर पर मेदनीचौकी थाना क्षेत्र के बड़ी दुर्गा स्थान में देवघरा चंद्रटोला निवासी रामदेव पोद्दार के 30 वर्षीय पुत्र अमित कुमार व माणिकपुर ओपी क्षेत्र के गोपालपुर निवासी कपिलदेव सिंह की 50 वर्षीय पत्नी आशा देवी ने अपने शरीर पर कलश स्थापित कर देवी की आराधना में लग गये. अमित अपनी छाती पर नौ कलश रखे हुए हैं, वहीं आशा देवी ने एक कलश की स्थापना अपनी छाती पर करायी. दोनों श्रद्धालु नौ दिनों तक देवी मंदिर में इसी तरह आराधनारत रहेंगे.पूजा को लेकर उमड़ी भीड़मेदनीचौकी. शारदीय नवरात्र के अवसर पर मेदनीचौकी दुर्गा स्थान में मंगलवार को मां भगवती के पहले स्वरूप शैल पुत्री की पूजा अर्चना वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुरू हुई. कलश स्थापना कर विद्वान पुरोहित रामदेव झा द्वारा दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया. शंख, घड़ियाल की ध्वनि, अगरबत्ती व हवन के धुएं से भक्ति की मंदाकिनी प्रवाहित हो उठी. यजमान के रूप में राजू महतो के अलावा अन्य श्रद्धालु उपस्थित थे.

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