ठाकुरगंज : डीजल पंपसेट, बाइक का इंजन,बाइक का हैंडल, माल ढ़ोने वाला रिक्शा या फिर ठेला का बॉडी को मिलाकर बनाया गया जुगाड़ वाहन अपने आप में ही अजूबा है.
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बिहार मोटरयान अधिनियम 1992 के खुल्लम खुल्ला उल्लंघन
ठाकुरगंज : डीजल पंपसेट, बाइक का इंजन,बाइक का हैंडल, माल ढ़ोने वाला रिक्शा या फिर ठेला का बॉडी को मिलाकर बनाया गया जुगाड़ वाहन अपने आप में ही अजूबा है. बताते चले राज्य परिवहन आयुक्त ने जुगाड़ वाहनों के परिचालन पर रोक का आदेश छह माह पूर्व ही दे रखा है. बावजूद इसके परिचालन पर […]
बताते चले राज्य परिवहन आयुक्त ने जुगाड़ वाहनों के परिचालन पर रोक का आदेश छह माह पूर्व ही दे रखा है. बावजूद इसके परिचालन पर रोक की कार्रवाई नहीं की जा रही है.
विभाग की लापरवाही ऐसे वाहन संचालकों का मनोबल बढ़ा रहा है. आदेश में कहा गया था कि वाहन मोटरयान अधिकार अधिनियम 1988, केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 के साथ ही बिहार मोटरयान अधिनियम 1992 के किसी भी धारा अथवा नियम में वर्णित वाहनों के मानकों पर जुगाड़ वाहन खरा नहीं उतरता.
साथ ही केंद्रीय मोटर वाहन अधिकार अधिनियम 1989 के नियम 123 के तहत प्राधिकृत भारत सरकार के परीक्षण अभिकरणों द्वारा ऐसे वाहनों के प्रोटो टाइप की मंजूरी का प्रमाण पत्र भी निर्गत नहीं किया जा सकता.
ऐसे वाहनों का निबंधन, परमिट, बीमा, फिटनेश, प्रदूषण प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जा सकता. ऐसे वाहनों से किसी प्रकार का दुर्घटना होने पर प्रभावित व्यक्ति अथवा वाहन की क्षतिपूर्ति दावों का भुगतान भी नहीं किया जा सकता. ऐसे में इस प्रकार के वाहनों का परिचालन दंडनीय अपराध है.
जुगाड़ वाहनों से भरा पड़ा है सड़क
दुर्घटनाएं जर्जर वाहनों के चलते होती है. सड़क पर बगैर फिटनेस सर्टिफिकेट के वाहन दौड़ते रहते हैं. जिला परिवहन कार्यालय के अधिकारी एवं कर्मी सोये रहते हैं. सुरक्षा मानक का कोई ख्याल नहीं रखता.
जिले में डेढ़ हजार से अधिक जुगाड़ वाहन सड़क पर दौड़ते रहते हैं. जुगाड़ वाहन मालिक के पास न रजिस्ट्रेशन होता है न लाइसेंस. कई बार बाजार में दुर्घटनाएं हुई परंतु अधिकारी मौन रहे. ट्रैक्टर के कारण अधिकांश दुर्घटनाएं होती है.
अधिकांश ट्रैक्टर मालिक बगैर ट्रॉली के रजिस्ट्रेशन के वाहन सड़क पर दौड़ाते रहते हैं. गांवों में बगैर लाइसेंस के चालक ट्रैक्टर को चलाते हैं. यूं कह लीजिए मजदूर खेतों में ट्रैक्टर को दौड़ाते हैं. ट्रैक्टर एवं ट्रॉली के चालकों के लाइसेंस जांच नहीं की जाती है.
परिवहन विभाग ने इसके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया है. नियम यह है कि ट्रैक्टर एवं ट्रॉली का अलग अलग रजिस्ट्रेशन होता है. जुगाड़ वाहन अवैध रूप से चल रहे हैं. परंतु विभाग का इस पर ध्यान नहीं होता है. जर्जर वाहन सड़कों पर दौड़ते रहते हैं.
वाहनों के फिटनेस के संबंध में न कभी जांच होती है न ही कैंप लगाये जाते हैं. आमजनों में जागरूकता का अभाव है. सुरक्षा मानक का ख्याल रखना परिवहन विभाग की जिम्मेवारी है. परंतु अधिकारी कुछ भी बताने से इंकार करते हैं.
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