इस शिवरात्रि साधना और सिद्धि के हैं खास मायने.
जिले में कई जगहों पर निकलेगी शिव की बारात.किशनगंज.शिव भक्त महाशिवरात्रि के पर्व का बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस त्योहार को फाल्गुन माह में मनाया जाता है.इस शुभ अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है.साथ ही सच्चे मन से व्रत किया जाता है.धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि व्रत करने से परिवार में खुशहाली रहती है. साथ ही महादेव की कृपा से कारोबार में वृद्धि होती है. वैसे तो शिवरात्रि व्रत हर महीने में किया जाता है,लेकिन महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन माह में मनाया जाता है.सनातन धर्म से इस पर्व का बेहद खास महत्व है. वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 27 फरवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा.ऐसे में 26 फरवरी को देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा.
महाशिवरात्रि पर बनने वाले दुर्लभ संयोग
इस बार महाशिवरात्रि पर कई दुर्लभ योग का निर्माण हो रहा है. महाशिवरात्रि के दिन सूर्य,चंद्रमा और शनि का विशेष त्रिग्रही योग बन रहा है.यह योग सफलता और समृद्धि का प्रतीक है.पुरोहित घनश्याम झा के अनुसार, महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा.ऐसा दुर्लभ ग्रह योग 1965 यानी 60 सालों के बाद पहली बार बन रहा है,जब तीन ग्रहों की युति इस पर्व को और भी विशेष बनाएगी.पंचांग के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि में स्थित चंद्रमा के संयोग में आ रही है. 1965 में महाशिवरात्रि के दौरान सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे थे.2025 में भी यही स्थिति बनेगी, जब सूर्य और शनि (जो पिता-पुत्र माने जाते हैं) कुंभ राशि में रहेंगे. यह संयोग एक सदी में सिर्फ एक बार बनता है और इस दौरान की गई उपासना अत्यधिक फलदायी होती है. इस दिन की गई साधना आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति प्रदान करती है. महाशिवरात्रि के दिन शिव योग और सिद्ध योग का संयोग बन रहा है.इन योगों में की गई पूजा-अर्चना से मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण होती हैं. इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन अमृत सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है.इस योग में किए गए कार्य और व्रत का फल कई गुना अधिक मिलता है.
महाशिवरात्रि पर शिव की आराधना का मिलता है विशेष फल
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाई जाती है.मान्यता है कि महाशिवरात्रि के पर्व पर जो शिव भक्त उपवास रहते हुए दिनभर शिव आराधना में लीन रहता है उसकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है.कष्टों और संकटों का जल्द निवारण हो जाता है.आरोग्यता की प्राप्ति होती है,सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है. महाशिवरात्रि का त्योहार भगवान शिव की स्तुति करने और कृपा पाने का सर्वोत्तम दिन माना जाता है.
महाशिवरात्रि की तिथि,शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत रखने का विशेष महत्व होता है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन ही भगवान शिव लिंग के स्वरूप में प्रकट हुए थे. महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से सभी तरह के सुख और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. महाशिवरात्रि पर सुबह से ही शिव मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ जुटना प्रारंभ हो जाती है. शास्त्रों में महाशिवरात्रि को सिद्घ रात्रि बताई गई है.इस रात्रि में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है. महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक दान पुण्य करना चाहिए. श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ शिव-पार्वती की पूजा करने से उनका आशीर्वाद मिलता है.
पुरोहितों के अनुसार शास्त्रों में महाशिवरात्रि को सिद्घ रात्रि भी बताई गई है. इस रात्रि में शिवजी की आराधना का विशेष महत्व है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है