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परिवार नियोजन मेले में दंपातियों को किया जागरूक

परिवार नियोजन मेले में दंपतियों को किया जागरूक

प्रतिनिधि, किशनगंज

जिले में जनसंख्या स्थिरता को लेकर जागरूकता बढ़ाने और परिवार नियोजन सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से बुधवार को सदर अस्पताल परिसर में जिला स्तरीय परिवार नियोजन मेले का आयोजन किया गया. सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने मेले का उद्घाटन किया तथा मीडिया के साथ सरकार की मंशा, परिवार नियोजन की आवश्यकता और जिले की चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की गयी.कार्यक्रम में जिला गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी, जिला संक्रामक रोग पदाधिकारी डॉ मंजर आलम, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार, उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन, डीपीएम डॉ मुनाजिम, डीपीसी विश्वजीत कुमार, पीएसआई केश्रीनाथ साह सहित स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे.

सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या का दबाव केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर नहीं, बल्कि शिक्षा, पोषण, रोजगार और सामाजिक विकास पर भी गहरा प्रभाव डालता है. सीमावर्ती किशनगंज में यह चुनौती और संवेदनशील हो जाती है.डॉ चौधरी ने कहा कि परिवार नियोजन केवल चिकित्सा कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज को मजबूत बनाने का माध्यम है. जब दंपति छोटे परिवार की अवधारणा अपनाते हैं, तभी हम बच्चों को बेहतर शिक्षा, माताओं को सुरक्षित मातृत्व और युवाओं को अधिक अवसर प्रदान कर पाते हैं. इस कार्य में मीडिया के साथ हमारे सहयोगी संस्था पीएसआई एवं सिफार का सहयोग हमेशा रहा है.

पुरुष भागीदारी पर जोर, भ्रांतियों से बाहर आने की आवश्यकता

मीडिया को संबोधित करते हुए डॉ चौधरी ने कहा कि परिवार नियोजन के क्षेत्र में पुरुषों की भूमिका अभी भी बेहद कम है. उन्होंने कहा कि पुरुष नसबंदी एक सुरक्षित, सरल व प्रभावी उपाय है, लेकिन भ्रांतियों के कारण पुरुष आगे नहीं आते. जब तक पुरुष जिम्मेदारी साझा नहीं करेंगे, तब तक जनसंख्या स्थिरता का प्रयास अधूरा रहेगा. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने कहा कि वर्तमान में गर्भनिरोधक साधनों का बोझ मुख्यतः महिलाओं पर है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर दबाव बढ़ता है. उन्होंने पुरुषों की भूमिका को अनिवार्य बताते हुए भ्रांतियों को दूर करने की अपील की.

गांवों में जानकारी व परामर्श की कमी, एक बड़ी चुनौती

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी गर्भनिरोधक साधनों की जानकारी सीमित है. उन्होंने कहा कि अंतरा, छाया और कॉपर-टी जैसे साधन महिलाओं को सुविधा व विकल्प प्रदान करते हैं. सही जानकारी न होने से लाभ नहीं मिल पाता. गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने कहा कि लगातार गर्भधारण से एनीमिया, ब्लड प्रेशर और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. परिवार नियोजन महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार व मातृ मृत्यु दर कम करने का महत्वपूर्ण साधन है.

गरीब परिवारों तक सेवा व प्रोत्साहन राशि पहुंचाना प्राथमिकता

जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि कई परिवार आर्थिक कारणों से सेवाओं का उपयोग नहीं करते, जबकि सभी सेवाएं निःशुल्क उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पुरुष नसबंदी पर तीन हजार रुपये, महिला नसबंदी पर दो हजार रूपये व अंतरा-कॉपर-टी पर 100-300 रूपये की प्रोत्साहन राशि सीधे लाभुकों को दी जाती है. डॉ चौधरी ने बताया कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों सहित हर गांव में आशा द्वारा काउंसलिंग, ग्राम चौपाल व स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से संदेश पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अब अधिक पुरुष स्वेच्छा से आगे आ रहे हैं, जो सकारात्मक बदलाव का संकेत है.

मीडिया की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण, झिझक तोड़ें, जानकारी पहुंचाएं

सिविल सर्जन ने मीडिया से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि जब मीडिया जिम्मेदारी से संदेश देता है, तो लोगों की झिझक टूटती है व भरोसा बढ़ता है. परिवार नियोजन को हर नागरिक अपने अधिकार व सम्मानजनक निर्णय के रूप में स्वीकार करे, यही हमारी कोशिश है.उन्होंने बताया कि जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा के अंतर्गत जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में निःशुल्क नसबंदी, कॉपर-टी, अंतरा, गर्भनिरोधक गोलियाँ और परामर्श उपलब्ध हैं.अंत में उन्होंने सभी योग्य दंपतियों से अपील की कि आगे आएं व छोटा परिवार, बड़ा सुख के सपने को साकार करें.

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