पोठिया. मात्स्यिकी महाविद्यालय अर्राबाड़ी व पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के तहत मंगलवार को छत्तरगाच्छ में अनुसूचित जाति उप योजना के अंतर्गत एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन अधिष्ठाता डॉ वीपी सैनी के मार्गदर्शन में किया. वैज्ञानिकों ने मछली प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन को स्थिर आय का सीधा अवसर बताया. वैज्ञानिकों ने कहा कि बिहार में मछली उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है. बढ़ते उत्पादन को प्रसंस्कृत उत्पादों के रूप में रोजगार में बदला जा सकता है. मछली अचार, पापड़, चकली, कटलेट, नगेट्स और अन्य उत्पाद बाजार में लगातार मांग बना रहे हैं. बेरोजगार युवक और महिलाएं कम लागत में अपना ब्रांड तैयार कर सकते हैं. स्थानीय बाजार में अच्छी कमाई कर सकते हैं. टीम ने यह बताया कि महाविद्यालय में तीन दिवसीय निशुल्क आवासीय प्रशिक्षण दिया जायेगा. प्रशिक्षण के बाद प्रतिभागियों को किट भी प्रदान किया जायेगा. इससे शुरुआत आसान होगी. वैज्ञानिकों ने कहा कि यह काम घर से भी शुरू किया जा सकता है. डॉ परमानंद प्रभाकर ने कहा कि यह क्षेत्र भरोसेमंद आय देता है. सरकारी योजनाओं के तहत मशीनें और तकनीक उपलब्ध हैं, जिससे लोग तुरंत शुरुआत कर सकते हैं. डॉ मोहम्मद अमन हसन ने कहा कि प्रसंस्करण से मछली की शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है. डॉ सरवेंद्र कुमार ने कहा कि प्रसंस्करण से परिवारों को साल भर आय मिलती है. इस काम में लागत कम लगती है और कम समय में बेहतर कमाई संभव है. डॉ रवि शंकर कुमार भी कार्यक्रम में मौजूद थे. वैज्ञानिकों ने ग्रामीणों के सवालों का जवाब दिया और उन्हें आगामी प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए प्रेरित किया. इस कार्यक्रम में छत्तरगाच्छ ग्राम पंचायत के मुखिया अबुल कासिम, समाजसेवी राज कुमार राय, पूर्व उपमुखिया जोगेंद्र पासवान, वार्ड सदस्य संजीव राय, धर्मवीर पासवान सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण, महिलाएं व किसान मौजूद थे.
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