किशनगंजः तेजाबी हमले से स्पष्ट है कि तेजाब की बिक्री हर जगह होती है और इसकी बिक्री से जुड़े मापदंड की परवाह न तो विक्रेताओं को है न सरकारी अधिकारियों को. जब यह प्रकरण सामने आया, तो किसी दुकानदार ने यह स्वीकार नहीं किया कि उनके यहां एसिड बिकती है. दरअसल इसका उपयोग अक्सर घरेलू कार्यो में होता है. आमलोग इसके भयावह पक्ष को नजर अंदाज करते हैं.
दरअसल एसिड अटैक की वर्ष 2005 में शिकार हो चुकी दिल्ली की लक्ष्मी ने तेजाब की बिक्री पर पाबंदी के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएम लोढ़ा व इब्राहिम कलीफुल्लाह की पीठ ने 18 जुलाई 2013 को तेजाब की बिक्री पर पूरी तरह प्रबंध नहीं लगा कर इसकी बिक्री से जुड़े कुछ दिशा निर्देश जारी किये थे.
इसमें बेचे गये तेजाब की रिपोर्ट विक्रेता को तीन दिनों के अंदर स्थानीय पुलिस को देना अनिवार्य है. इसके अलावा 18 साल से कम उम्र के लोगों के हाथों इसे नहीं बेचा जा सकता है. खरीदने वाले के लिए उसके पास पहचान पत्र होना अनिवार्य है. लेकिन सच यही है कि इन मापदंडों के बारे में न तो बेचने वालों को व न ही खरीदने वालों को ही कुछ जानकारी है.