आचार्यश्री के दर्शन को पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
किशनगंज : हर साल चतुर्मास में आचार्यश्री के दर्शन व सुनने का लाभ प्राप्त करने के लिए पहुंचने वाले आरएसएस प्रमुख इस बार किन्हीं कारणों से आचार्यश्री के नेपाल चतुर्मास में उपस्थित नहीं हो पाए तो वे रविवार को आचार्यश्री का दर्शन करने इस्लामपुर पहुंचे. उन्होंने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के समय में इस तेरापंथ धर्मसंघ को पहली बार नजदीक से जानने का अवसर प्राप्त हुआ.
पहली ही बार में लगा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व तेरापंथ धर्मसंघ में बहुत समानताएं हैं. मैंने नियम बना लिया कि साल में एक बार अवश्य आचार्यश्री के वचनामृतों का लाभ उठाउंगा. नेपाल में कुछ विकट परिस्थितियों के कारण नहीं जाने का जिक्र करते हुए कहा कि इस कारण लाभ लेने के लिए आज हम इस्लामपुर आ गए. कहा कि आचार्यश्री ने जो बताया उसे केवल आत्मसात करने की आवश्यकता है.
क्योंकि सुनने की सार्थकता तभी साबित होती है, जब आदमी उसका मनन करते हुए उसे अपने जीवन में उतारे. जैसे शरीर की उन्नति में हर अंग भागीदार होता है उसी तरह समाज व राष्ट्र के उत्थान के लिए हर व्यक्ति का उत्थान होना आवश्यक है. साधु-संतों का काम अच्छा मार्ग बताना है और उसपर चलना आदमी का कर्तव्य. भारत में रहने वाले हर नागरिक को सनातन संस्कृति को अपने में उतारने से ही देश उन्नति के राह पर अग्रसर हो सकता है.
भौतिक सुखों के त्याग से सुखी हो सकता है आदमी: आचार्यश्री महाश्रमण
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के पहुंचने पर आचार्यश्री ने कहा कि आज के समारोह में श्री भावगत साहब का समागमन हुआ था. उससे पहले भी कई क्षेत्रों में समागमन हुआ था. इस बार चतुर्मास के बाद समागमन हुआ है तो अच्छा लगा. आपका राष्ट्र की ओर से आपका मार्गदर्शन मिलता रहे. आध्यात्मिक सेवा मिलती रहे. मनिषी व्यक्ति जिम्मेदार होते हैं.
राष्ट्र को जब अच्छा मार्गदर्शन मिलता है तो राष्ट्र व समाज दोनों के लिए अच्छी बात होती है. इसका खूब लाभ मिले. राष्ट्र व समाज का उत्थान हो और आपकी आध्यात्मिक सेवा ऐसे ही राष्ट्र को मिलती रहे. आचार्यश्री ने आज अपने प्रवचन में फरमाते हुए कहा कि आदमी संसार में सुखी कैसे बन सकता है ? कई बातें इस संबंध में बताई गयी हैं. इनमें सबसे पहली बात बताई गयी अपने आपको तपाओ. आराम व सुविधावृत्ति को त्यागो. हमें इन्द्रिय सुखों से कुछ विरत होना होगा.