किशनगंज : सुप्रीम कोर्ट ने बेशक जुगाड़ गाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया हो परंतु जिले में इसका अनुपालन नहीं हो पा रहा है. जुगाड़ गाड़ियों का परिचालन सिस्टम पर भारी पड़ रहा है.
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जिले में बेरोक-टोक चल रहा जुगाड़ वाहन
किशनगंज : सुप्रीम कोर्ट ने बेशक जुगाड़ गाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया हो परंतु जिले में इसका अनुपालन नहीं हो पा रहा है. जुगाड़ गाड़ियों का परिचालन सिस्टम पर भारी पड़ रहा है. प्रशासनिक अमला भी इस पर रोक लगाना नहीं चाहता. अफसरों को चालकों के आंदोलन का भय सता रहा है. जबकि जुगाड़ गाड़ियों […]
प्रशासनिक अमला भी इस पर रोक लगाना नहीं चाहता. अफसरों को चालकों के आंदोलन का भय सता रहा है. जबकि जुगाड़ गाड़ियों की चपेट में आकर लोग हादसे का शिकार हो रहे हैं.
नहीं है सही आंकड़ा शहर में कितनी जुगाड़ गाड़िया सड़कों पर दौड़ रही है. इसका सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है. मगर इसकी संख्या हजारों में हैं.
मुख्य बाजार, मुख्य चौराहा, छड़ सीमेंट के दुकान के सामने और ट्रांसपोर्ट कंपनी के आगे सैंकड़ों की संख्या में जुगाड़ गाड़ियां लगी होती है. हर सामान को ले जाने और लाने में जुगाड़ गाड़ियां का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है.
इसे बंद करने पर कई बार आदेश निकले. किंतु किसी ना किसी वजह से मामला ठंडे बस्ते में चला गया. प्रश्न यह है कि जब उच्च न्यायालय ने इस तरह के जुगाड़ वाहन के परिचालन पर प्रतिबंध लगा दिया है.
तो फिर इसका परिचालन किसके आदेशानुसार शहर में हो रहा है. शहर के व्यवसायी इलाकों में जुगाड़ वाहन की भरमार है. मालवाहक वाहन के रूप में इसका इस्तेमाल पूरी तरह किया जा रहा है. इतना ही नहीं, ट्रांसपोर्ट आफिस से अधिकतर सामनों की ढुलाई का एक मात्र साधन अब जुगाड़ वाहन ही रह गया है. शहर में इसका परिचालन देखने से यह पता हीं नहीं चलता कि किसी तरह का प्रतिबंध भी लगाया गया है.
यहां बता दें कि जब न्यायालय ने इस तरह का आदेश निकाला था तो कुछ दिन के लिए इसके परिचालन पर रोक लगी थी. लेकिन उक्त आदेश का अनुपालन कुछ दिन मात्र होकर रह गया और पुन: शहर की सड़कों पर बेरोकटोक जुगाड़ वाहनों का परिचालन होने लगा.
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