वर्तमान में कोई भी सरकारी रेलकर्मी नहीं है कार्यरत. ट्रेनें तो स्टेशन पर रुकती है पर उसके आने-जाने की समय सारणी का नहीं रहता अता-पता ़
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हॉल्ट बनने के बाद पोठिया स्टेशन हो गया वीरान
वर्तमान में कोई भी सरकारी रेलकर्मी नहीं है कार्यरत. ट्रेनें तो स्टेशन पर रुकती है पर उसके आने-जाने की समय सारणी का नहीं रहता अता-पता ़ छत्तरगाछ : वर्तमान समय में पोठिया रेलवे स्टेशन को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो अपने भाग्य पर आंसू बाहा रहा हो. एक समय जहां पहले अत्यधिक चहल-पहल रहा […]
छत्तरगाछ : वर्तमान समय में पोठिया रेलवे स्टेशन को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो अपने भाग्य पर आंसू बाहा रहा हो. एक समय जहां पहले अत्यधिक चहल-पहल रहा करती थी. वहीं आज सन्नाटा पसरा रहता है. स्टेशन के आसपास इक्के-दुक्के लोग कभी-कभार ही दिखते हैं. ऐसा इसलिए देखने को मिल रहा है क्योंकि सरकार ने पोठिया रेलवे स्टेशन सहित प्रखण्ड अंतर्गत पड़ने वाले सभीरेल स्टेशनों को हाल्ट स्टेशन बना दिया है.जहां वर्तमान में कोई भी सरकारी रेल कर्मी कार्यरत नही है.
ट्रेनें तो स्टेशन पर रुकती है पर उसके आने-जाने की समय सारणी का कोई अता-पता नहीं रहता.पोठिया रेलवे स्टेशन पर ट्रेन आने से कुछ समय पूर्व रेलवे विभाग द्वारा ठेके पर बहाल कर्मी स्टेशन भवन का मुख्य द्वार खोलकर रेल टिकट बेचने का कार्य करते है.ट्रेन जाने के बाद पुनः द्वार पर ताला जड़ कर चले जाते है.मिली जानकारी के मुताबिक पोठिया प्रखण्ड जैसा बिहार राज्य का शायद ही कोई ऐसा प्रखंड हो जहां चार रेलवे स्टेशन है.पोठिया,
तैयबपूर, धूलाबाड़ी एवं मांगूरजान इन सभी रेल स्टेशनों को सरकार ने हॉल्ट स्टेशन बना दिया है.जबकि पोठिया प्रखंड से हजारों लोग प्रति माह अपनी रोजीरोटी कमाने के लिए रेल मार्ग द्वारा दूसरे प्रदेश को सफर करते है.इस परिस्थिति के कारण वर्षों से प्रखंड क्षेत्र के बुद्धिजीवियों एवं जनप्रतिनिधियों की सरकार से यह मांग रही है कि पोठिया रेलवे स्टेशन को पुनः जीवन प्रदान कर लंबी दूरी की ट्रेनें इस होकर चले और ठहराव भी यहां हो. तभी यह स्टेशन फिर से गुलजार होगा और स्थानीय लोगों को काफी सहूलियत होगी.
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