शव ले जाने के लिए खर्च करना पड़ता है हजारों रुपये
गोगरी. अनुमंडलीय अस्पताल को अपग्रेड कर 100 बेड का बना दिया गया है, लेकिन स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर फिसड्डी है. अस्पताल में किसी मरीज की मृत्यु होती है,तो शव ले जाने के लिए वाहन नहीं है. हजारों रुपये खर्च कर निजी एंबुलेंस से शव को घर तक ले जाना पड़ता है. अनुमंडलीय अस्पताल में गोगरी, परबत्ता, बेलदौर व चौथम प्रखंड के मरीज इलाज कराने आते हैं. प्रत्येक दिन पांच सौ से अधिक मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं.सरकार द्वारा मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के साथ एंबुलेंस की व्यवस्था सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर दी गयी है. जिले के सभी अस्पतालों में एक दर्जन से अधिक एंबुलेंस हैं. जिसमें दो एंबुलेंस गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल में हैं. साथ ही वैसे मरीज, जिनकी इलाज के दौरान सदर अस्पताल या अनुमंडल के गोगरी, परबत्ता और बेलदौर अस्पतालों में मृत्यु हो जाती है. वैसे मरीज के शवों को घर तक ले जाने के लिए शव वाहन की सुविधा नहीं है.
प्राइवेट एंबुलेंस चालक वसूल रहे तीन से चार हजार रुपये
अनुमंडलीय अस्पताल में शव वाहन नहीं होने के कारण लोगों को आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ती है. निजी एंबुलेंस चालक मृतक के परिजन से मजबूरी का फायदा उठाकर दोहन करते हैं. मजबूरी में मृतक के परिजन या तो निजी वाहन या निजी एंबुलेंस से शव को घर तक ले जाते हैं. ऐसे में अपनों को खोने के गम के बाद शव को लेकर जाने के लिए मोटी राशि खर्च करना कितना कष्टप्रद हो सकता है, इसका केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है. हाल यह है कि अस्पताल के बाहर खड़े निजी एंबुलेंस शवों को लेकर जाने के लिए तीन से चार हजार रुपये तक लेते हैं. अस्पताल में अब तक इस वर्ष आधे दर्जन मरीजों की मौत विभिन्न कारणों से हुई है.कहते हैं प्रभारी
गोगरी अनुमंडलीय अस्पताल प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ चंद्रप्रकाश ने बताया कि एक नवंबर 2024 को ही सरकार द्वारा एंबुलेंस सेवा देने वाली एजेंसी को बदला गया है. नयी एजेंसी द्वारा अबतक शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया है. गोगरी अस्पताल में एक भी शव वाहन नहीं होने को लेकर विभाग को ध्यान आकर्षित कराया गया है. आशा है की जल्द ही अस्पताल में शव वाहन उपलब्ध हो जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है