परबत्ता. प्रखंड के मध्य विद्यालय सौढ भरतखण्ड में सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जुनदेव महाराज की शहीदी दिवस मनायी गयी. शिक्षक सिद्धार्थ कुमार ने गुरु अर्जुनदेव की अमरगाथा से बच्चों को अवगत कराया. साथ ही जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कहा कि उनका जन्म 15 अप्रैल 1563 को गोइंदवाल साहिब में हुआ था. उनके पिता का नाम गुरु रामदास और माता का नाम बीबी भानी थी. 1606 ईं में लाहौर में मुगल बादशाह जहांगीर ने उन्हें बंदी बना लिया था. और मृत्युदंड की सजा सुनाई थी. गुरु अर्जुनदेव ईश्वर को याद कर सभी यातनाएं सह गए, और 30 मई 1606 को उनका निधन हो गया. गुरु अर्जुनदेव धर्मरक्षक और मानवता के सच्चे प्रेमी थे. सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जुनदेव का नाम इतिहास के पन्नों पर अमर है. मौके पर प्रधानाचार्य संजय कुमार पासवान, निरंजन कुमार, रामविनोद साह, सफकत आफरीन, मीनाक्षी कुमारी, उत्कर्ष कुमार, प्रीतम कुमार, सोनम, शिवानी, रोशनी, अनुष्का, मृत्युंजय, मानव, सार्थक कुमार, प्रियांशु, आयुष, छोटू और राजनंदनी आदि मौजूद थे.
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