परबत्ता. बिन मौसम बारिश एवं आफत की आंधी से तबाह हुए किसान सरकार से राहत मिलने के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं. मालूम हो कि बीते 17 अप्रैल को आयी आंधी ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया. सालों की मेहनत पल भर में चकनाचूर हो गई. हालांकि इस आंधी ने सरेआम तबाही मचाई. लेकिन केला एवं मक्का के किसानों की कमर टूट चुकी है. मक्के की अच्छी फसल जो कि कुछ महीनो में तैयार हो जाती फिलहाल अब उसे पशु चारा के रूप में प्रयोग लाने विवशता बन कर रह गयी. कई किसान जमींदोज हो चुके मकई के पौधे को काटकर पशुओं को खिलाने में जुटे हैं. इस बीच केला की खेती करने वाले किसानों के सामने गिरे हुए पौधों को खेतों से हटाना मुश्किल हो रहा है. अगुवानी राका गांव के किसान सरोवर मंडल ने बताया कि करीब 30 हजार सालाना की दर से लीज पर खेत लेकर केला का बागान लगाया था. पौधे अच्छे थे और इस बार अच्छी खासी आमदनी होने की उम्मीद थी. लेकिन अचानक आयी तेज आंधी ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया. आंधी के बाद फसल तो बरबाद हुई ही अब इन्हें खेतों को साफ करने में हजारों रुपए मजदूर को देने पड़ेंगे. इसी तरह के परेशानी से जूझ रहे सर्वेश यादव ने बताया कि छह बीघा लीज पर लेकर मक्का बोया था. फसल अच्छी थी लेकिन आंधी ने सारे सपने एवं अरमानों को पल भर में चूर कर दिया. साहूकारों का कर्ज़ आगे की खेती बच्चों की पढ़ाई यहां तक की परिवार का भरण पोषण करना भी अब मुश्किल हो जाएगा. फसल क्षति का आकलन करें प्रशासन जिला परिषद सदस्य जयप्रकाश यादव ने जिले के सभी अधिकारियों को पत्र लिखकर जल्द से जल्द किसानों को हुए क्षति का आकलन करते हुए उन्हें क्षतिपूर्ति देने की मांग की है. वही नवोदित किसान संघ के अध्यक्ष रामानुज रमन एवं भाकपा के अंचल मंत्री कैलाश पासवान ने कहा कि जल्द से जल्द फसल क्षति का आकलन कर किसानों को मुआवजा दिया जाए नहीं तो किसानों की वर्तमान समस्या को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा.
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