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सूख रही मिनी जलापूर्ति प्लांट योजना का जल

दूषित जल पीने को विवश हैं लोग पंचायतों में लगाये गये प्लांट हो रहे नकारा साबित कहीं माह दो माह तो कहीं साल भर से खराब पड़ा है प्लांट जहां ठीक है वहां सफाई नहीं होती गोगरी : गंगा व कोसी जैसी नदियों से घिरे होने के कारण गोगरी अनुमंडल क्षेत्र में पानी की कमी […]

दूषित जल पीने को विवश हैं लोग
पंचायतों में लगाये गये प्लांट हो रहे नकारा साबित
कहीं माह दो माह तो कहीं साल भर से खराब पड़ा है प्लांट
जहां ठीक है वहां सफाई नहीं होती
गोगरी : गंगा व कोसी जैसी नदियों से घिरे होने के कारण गोगरी अनुमंडल क्षेत्र में पानी की कमी नहीं है, लेकिन लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पा रहा है़ इस क्षेत्र के अधिकांश जल श्रोतों में आयरन, आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रोजन आदि हानिकारक तत्वों की प्रचुरता है और लोग शुद्ध पेयजल के आभाव के कारण इसी दूषित जल का उपयोग कर रहे हैं. वहीं विभागीय स्तर पर लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की योजना सिर्फ पंजियों पर सही रूप में चल रहा है़
पीएचइडी विभाग द्वारा क्षेत्र में लगाये गये आयरन रिमूवल प्लांट बेकार हो चुके हैं. वहीं पंचायत स्तर पर जलापूर्ति योजना के तहत लगाये गये मिनी जल आपूर्ति प्लांट का भी बुरा हाल है, जो लोगों के लिए सिर्फ हाथी का दांत ही साबित हो रहा है. इसका उदाहरण क्षेत्र के गोरैया बथान गांव में लगे मिनी जलापूर्ति प्लांट है़ घनी आबादी के बावजूद प्लांट लगने के साथ ही खराब हो गया, जिसका फायदा ग्रामीणों को नहीं मिल पाया़ ग्रामीण सह हम के नेता सुधीर यादव ने कहा कि सरकारी पैसे का दुरुपयोग हो रहा है़.
गुणवत्ताविहीन उपकरण के कारण क्षेत्र के कई मिनी जलापूर्ती प्लांट खराब पड़े हैं. ठेकेदार तो प्लांट लगाने के बाद मालामाल हो गये़ ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं पहुंच पाया़ उन्होंने प्लांट के उपकरण के गुणवत्ता की जांच कराने की मांग विभागीय अधिकारी से की.
वासुदेवपुर पंचायत के पितौंझिया गांव में लगे मिनी जलापूर्ति प्लांट का भी यही हाल है़. जहां सोलर द्वारा संचालित मिनी जलापूर्ति प्लांट होने के बावजूद हजारों की आबादी वाले गांव के लोग दूषित जल पीने को विवश हैं. यहां वर्ष 2011-12 में जलापूर्ति योजना के तहत विभागीय स्तर पर मिनी जलापूर्ति प्लांट लगाया गया था. गांव में पाइप लगा कर जल आपूर्ति आरंभ की गयी. तब गांव के लोगों में खुशी थी की उन्हें अब दूषित जल पीने की मजबूरी नहीं रहेगी़ वर्तमान में यह प्लांट खराब पड़ा है, जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है़ ग्रामीण नवीन कुमार यादव, संजय चौरसिया विपिन कुमार के अनुसार जलापूर्ति प्लांट आरंभ से ही प्राय: खराब है. संवेदक द्वारा जैसे तैसे कार्य कर तत्काल जल आपूर्ति आरंभ तो की गयी, लेकिन गुणवत्ता विहीन कार्य होने के कारण यह अब बेकार पड़ा है़. जिसे शिकायत के बाद भी ठीक नहीं किया जा रहा है. बड़ी मलिया में लगा प्लांट तो ठीक है़ लेकिन साफ-सफाई के अभाव में नल से गंदा दूषित जल निकलता है़
ग्रामीणों ने कई बार संचालक योगेश कुमार से शिकायत की, लेकिन एक बार भी उन्होंने सफाई की ओर ध्यान नहीं दिया़ इधर, वही हाल बौरना, राटन, गौछारी सहित अन्य जगहों पर स्थापित मिनी जलापूर्ति प्लांट का भी है़

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