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नाला व सड़क का मिट गया फर्क
गंदगी से हो सकती हैं बीमारियां, कीचड़मय सड़क से चलना भी हुआ दुश्वार शहर की सड़कों की दयनीय हालात से सभी बेहाल हैं. नगर परिषद से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नजरें फेर लिये जाने के कारण समस्या विकराल होती जा रही है. कीचड़मय सड़कें चलने लायक नहीं बची. खगड़िया : शहर की सड़कों की दयनीय […]
गंदगी से हो सकती हैं बीमारियां, कीचड़मय सड़क से चलना भी हुआ दुश्वार
शहर की सड़कों की दयनीय हालात से सभी बेहाल हैं. नगर परिषद से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नजरें फेर लिये जाने के कारण समस्या विकराल होती जा रही है. कीचड़मय सड़कें चलने लायक नहीं बची.
खगड़िया : शहर की सड़कों की दयनीय हालात से आम आदमी बेहाल हैं. नगर परिषद से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नजरें फेर लिये जाने के कारण समस्या विकराल होती जा रही है. सड़कें चलने लायक नहीं बची. अधिकांश रास्ते कीचड़मय व जलजमाव से ग्रसित हैं.
सड़कों पर नालियों का गंदा पानी बह रहे हैं. ऐसे में गंदगी से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. आमनागरिक अब यही कह रहे हैं कभी साहब जी पैदल शहर की सड़कों पर चलते तो शायद उन्हें आम जनता का दर्द मालूम होता.
एसडीओ रोड से गोशाला रोड तक बदहाल
शहर के एसडीओ रोड, स्टेशन रोड, गोशाला रोड तथा अस्पताल रोड में बारिश के पानी मुसीबत बन आया है. आमलोगों को शहर में चलना मुश्किल हो गया है. सदर अस्पताल एवं समाहरणालय जाने वाले लोगों को अपना रास्ता बदलना पड़ रहा है.
लोगों को पांच सौ मीटर की दूरी के लिए दो किलोमीटर की दौड़ लगानी पड़ रही है. गोशाला रोड व सदर अस्पताल रोड में बारिश की पानी से रोड जलाशय में तब्दील हो चुका है. इधर, शहर के स्टेशन रोड में हर तरफ कीचड़ का साम्राज्य फैल गया है. वहीं ऊपर से डिवाइडर के दोनों तरफ फूटकर विक्रेताओं के अतिक्रमण ने एक तो करेला उसपर से नीम चढ़ा वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है. इधर, लोगों की परेशानी कई गुणा बढ़ गयी है.
नगरवासियों को आगे आना होगा
खगड़िया शहर के हर चौक चौराहे, सार्वजनिक स्थानों, गली मुहल्लों में डस्टबिन नगर परिषद द्वारा उपलब्ध कराया गया है, लेकिन नगरवासियों व फूटकर विक्रेताओं को अभी इसके उपयोग की आदत नहीं बन पायी है. लिहाजा खुले में कूड़े-कचरे फेंके जाने के कारण बारिश के बाद स्थिति भयावह हो जाती है. जो चीजें डस्टबिन में डाला जाना चाहिए उसे विशेषकर फूटकर विक्रेताओं द्वारा जहां तहां फेंक दिया जाता है. जिससे खगड़िया की हालत बारिश के दिनों में नारकीय बन जाती है.
संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ा
शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डाॅ आरके तुलस्यान ने बताया कि ऊमसभरी गरमी, अशुद्ध पेयजल तथा जलजमाव के कारण विभिन्न प्रकार की संक्रामक बीमारियों के फैलने की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है. ऐसे में आसपास के वातावरण को साफ, शुद्ध पेयजल के प्रयोग पर खास ध्यान देने की जरूरत है.
अन्यथा मछर के प्रकोप से कालाजार, मलेरिया आदि बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है, वहीं, अशुद्ध पेयजल के पीने से संक्रामक बीमारियों का खतरा रहता है. इससे वाइरल फीवर, अनपच, डायरिया की समस्या हो सकती है. जबकि ऊमस से खासकर बच्चों को बचाने की जरूरत है. बच्चे ऊमस में ज्यादा बीमार होते हैं. इसलिए हवादार जगाहों पर बच्चों को सुलाना चाहिए.
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