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जांच के जाल में उलझा कर मामले की लीपापोती

जांच के जाल में उलझा कर मामले की लीपापोती स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार सहित गड़बड़ी के मामलों पर डाला जा रहा परदा, सवालों के घेरे में सीएस ———–बीते तीन महीने में स्वास्थ्य विभाग में एक दर्जन से ज्यादा भ्रष्टाचार सहित दूसरी गड़बड़ी आयी सामने ———– जांच का आदेश हुआ लेकिन एक दो मामलों को छोड़ […]

जांच के जाल में उलझा कर मामले की लीपापोती स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार सहित गड़बड़ी के मामलों पर डाला जा रहा परदा, सवालों के घेरे में सीएस ———–बीते तीन महीने में स्वास्थ्य विभाग में एक दर्जन से ज्यादा भ्रष्टाचार सहित दूसरी गड़बड़ी आयी सामने ———– जांच का आदेश हुआ लेकिन एक दो मामलों को छोड़ कर ज्यादातर मामलों में शुरू तक नहीं हुई जांच ———————स्वास्थ्य विभाग में नयी गड़बड़ी सामने आने के बाद पुराने मामलों को ठंडे बस्ते में डाल हो रही लीपापोती———————-अलौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के खुलासे बाद जांच के नाम पर हो रहा खेल ——————–दवा एक्सपायरी मामले की जांच अब तक नहीं हुई पूरी, सील से छेड़छाड़ पर भी स्वास्थ्य विभाग मौन ——————-स्वास्थ्य विभाग में काले कारनामे की लिस्ट व कार्रवाई का ब्योरा 1. फर्जी बंध्याकरण कर राशि की हेराफेरी : जांच तक शुरू नहीं 2. अलौली के सरकारी अस्पताल में फर्जी प्रसव का खुलासा : जांच पूरी नहीं 3. निरीक्षण में डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों के ड्यूटी से गायब रहने : स्पष्टीकरण बाद लीपापोती 4. अलौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों से अवैध उगाही : कोई कार्रवाई नहीं 5. एसबीए ट्रेनिंग में फर्जी हाजिरी के सहारे हेराफेरी : कोई कार्रवाई नहीं 6. अलौली पीएचसी में दवा एक्सपायर प्रकरण : जांच जारी रहने का दावा 7. इसी अस्पताल में सील कमरे से छेड़छाड़ कर एक्सपायर दवाओं की हेराफेरी : कोई कार्रवाई नहीं 8. अलौली पीएचसी प्रभारी के फर्जी पैथोलॉजी संचालक से सांठगांठ : कोई कार्रवाई नहीं 9. सदर अस्पताल में चिकित्साकर्मियों के ड्यूटी से गायब रहने का : स्पष्टीकरण का दिखावा कर लीपापोती (ये सब हाल के मामलें हैं. डीएम के सख्त रुख के बाद इक्के दुक्के मामलों में कार्रवाई भी हुई लेकिन 90 प्रतिशत से अधिक मामलों में लीपोपोती कर डाला परदा)————————–भ्रष्टाचार सहित हेराफेरी के चंगुल में फंस कर स्वास्थ्य विभाग की सेहत बिगड़ रही है. चाहे सरकारी दवा का गोलमाल हो या सरकारी राशि का. पीएचसी सहित सरकारी अस्पतालों में मरीजों से अवैध उगाही का मामला हो या स्वास्थ्यकर्मियों की ट्रेनिंग का. फर्जी प्रसव व बंध्याकरण के सहारे गोलमाल से लेकर दूसरी गड़बड़ियों में कार्रवाई नहीं होने से हेराफेरी का सिलसिला रुक नहीं पा रहा है. स्पष्टीकरण का दिखावा करने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जवाब तक की जांच की फुरसत नहीं है. लिहाजा हेराफेरी में शामिल डॉक्टर से लेकर स्वास्थ्यकर्मी की करतूत परदा डाल कर लीपापोती कर दिया जा रहा है. इधर, पूरे मामले में सिविल सर्जन की चुप्पी कुछ और ही इशारा कर रही है. ———————-प्रतिनिधि4खगड़ियास्वास्थ्य विभाग की बात ही निराली है. हाल के दिनों में स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार व दूसरी गड़बड़ियों के खुलासा के बाद जांच व स्पष्टीकरण के नाम पर मामले की लीपापोती किये जाने से कई सवाल उठ खड़े हुए हैं. स्थिति यह है कि एक गड़बड़ी की जांच शुरू नहीं होती है कि दूसरी गड़बड़ी का खुलासा हो जाता है. जहां भी अधिकारी हाथ डाल रहे हैं वहीं गोलमाल सामने आ रहा है. नयी गड़बड़ी सामने आने के बाद पुराने मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. बीते तीन महीने में स्वास्थ्य विभाग में एक दर्जन से ज्यादा भ्रष्टाचार सहित दूसरी गड़बड़ी बेपरदा हो चुका है. लेकिन एक दो मामले को छोड़ दे तो अधिकांश में जांच तक शुरू नहीं किया गया है. ऐसे में कार्रवाई कब होगी यह सहज समझा जा सकता है. इधर, कार्रवाई के नाम पर चल रहे खेल पर सिविल सर्जन की चुप्पी से दाल में काला की आशंका जतायी जा रही है. —————–फर्जी प्रसव की जांच कब तक होगी पूरी फर्जी प्रसव की जांच ठंडे बस्ते में बीते दिनों हरिपुर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में फर्जी प्रसव का मामला सामने आने के बाद पूरे प्रखंड के सरकारी अस्पतालों में अब तक हुए प्रसव की जांच का निर्देश सिविल सर्जन ने दिया था. लेकिन उसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. वह तो शुक्र था कि राम सज्जन यादव जैसे अधिकारी को हरिपुर में एक दिन के प्रसव की जांच का जिम्मा दिया गया तो जांच में गड़बड़ी पर मुहर लगाते हुए रिपोर्ट सौंपी गयी. इधर, मीडिया में मामला तूल पकड़ने के बाद मजबूरन सिविल सर्जन ने तीन एएनएम को निलंबित कर दिया. लेकिन अगले ही दिन एक एएनएम का निलंबन तोड़ दिया गया. हालांकि पूरे मामले में हरिपुर एपीएचसी में अप्रैल से लेकर जनवरी तक प्रसव की जांच का निर्देश दिया गया लेकिन सब ठंडे बस्ते में चला गया. बता दें कि इस प्रकरण से पूर्व बीते वर्ष भी आशा कार्यकर्ताओं ने फर्जी प्रसव के खेल पर से परदा हटाते हुए सारे सबूत सौंप कर कार्रवाई के लिये आवेदन दिया था लेकिन पूरे मामले की लीपापोती कर फर्जी प्रसव का खेल चलता रहा. नतीजतन फिर एक बार फर्जी प्रसव का खुलासा हुआ. —————–बंध्याकरण में गोलमाल पर विभाग चुप बीते दिनों अलौली पीएचसी में बंध्याकरण ऑपरेशन कराने वाली महिलाओं के बीएसटी गायब रहने के बाद बवाल मचा था. फर्जी बंध्याकरण ऑपरेशन में पीएचसी प्रभारी, बीएचएम सहित स्वास्थ्यकर्मी की कार्यशैली सवालों के घेरे में आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पायी है. पूरे मामले में पीड़ित महिलाओं द्वारा आवेदन देने के बाद हर बार की तरह जांच की घोषणा हुई. लेकिन पूरी नहीं हो पायी. इधर, बीएसटी गायब होने के मामले में पीएचसी प्रशासन के गोलमटोल जवाब से पूरे प्रकरण में बड़े पैमाने पर गोलमाल की आशंका जतायी जा रही है. लेकिन जांच कब तक पूरी होगी यह देखना बाकी है. ऐसे में अभी कार्रवाई की बात करना बेमानी होगी. ————–एसबीए ट्रेनिंग में हेराफेरी पर सीएस खामोश स्वास्थ्य विभाग में दिये जाने वाले ट्रेनिंग में गोलमाल कर लाखों की सरकारी राशि के बंदरबांट कर लिया जाता है. बीते दिनों में मुख्यालय में सबके नाक के नीचे एसबीए ट्रेनिंग के नाम पर हेराफेरी उजागर होने के बाद जिला स्वास्थ्य समिति के एक अधिकारी कौशलेन्द्र कुमार से स्पष्टीकरण तलब किया गया. सूत्रों की मानें तो इस मामले में अंदरखाने में लीपापोती कर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. बता दें कि सदर अस्पताल में एएनएम व नर्स को दिये जाने वाले महत्वपूर्ण आवासीय एसबीए ट्रेनिंग के नाम पर खानापूर्ति किये जाने का खुलासा हुआ था. साथ ही प्रशिक्षु नर्स की फर्जी हाजिरी बना कर भोजन के नाम पर मिलने वाली राशि के गोलमाल उजागर होने के बाद भी कार्रवाई के नाम पर सिविल सर्जन की खामोशी कुछ और कहानी बयां कर रही है. ———————–अवैध उगाही प्रकरण पर भी डाला परदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अलौली में इलाज के नाम पर अवैध उगाही के खुलासा बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी. बता दें कि फरवरी 2016 में अलौली पीएचसी में प्रसव के लिये आई एक महिला ने नजराना नहीं देने पर इलाज नहीं करने का आरोप लगाया था. मामला तूल पकड़ने के बाद कार्रवाई करने की बजाय पीएचसी प्रभारी ने पीड़ित प्रसूता पर दबाव डाल कर यह लिखवा लिया कि वह जो आरोप लगायी थी वह बेबुनियाद हैं. इसी आधार पर अवैध उगाही करने वाली एएनएम को मुक्त कर मामले की लीपापोती कर दी गयी. अवैध उगाही के कई मामले सामने आने के बाद कोई कार्रवाई नहीं की गयी. ——————–पोषण पुनर्वास केंद्र की जांच अधूरी सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में गड़बड़ी के खुलासा बाद दिखाने के लिये सिविल सर्जन ने टीम का गठन कर जांच की घोषणा की थी. स्थिति यह है कि एक महीना बीतने के बाद भी कार्रवाई तो दूर जांच तक शुरू नहीं हो पाया है. बता दें कि पोषण पुनर्वास केंद्र में भरती मरीजों को मिलने वाले प्रोत्साहन राशि वितरण में हेराफेरी का खुलासा हुआ था. सूत्रों की मानें तो प्रोत्साहन राशि वितरण रजिस्टर में व्हाईटनर लगा कर सरकारी राशि का गोलमाल किया गया है. जांच हो तो कई खुलासे होंगे. एक तरह से इस मामले में भी जांच के नाम पर लटकाया जा रहा है. ——————एक्सपायर दवा पर लीपापोती की साजिश बीते दिनों अलौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक्सपायरी दवा मिलने के बाद कार्रवाई की बजाय सिविल सर्जन ने एक बार फिर जांच टीम का गठन कर दिया. एक सप्ताह से अधिक समय बीतने को हैं लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हो पायी है. सूत्रों की मानें तो जांच टीम द्वारा बरामद एक्सपायर दवा को बाहरी साबित कर लीपापोती की आशंका है. ————–सील से छेड़छाड़ पर नहीं हुई कार्रवाई बीते दिनों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अलौली में एक्सपायर दवा रखे होने की सूचना बाद बीडीओ ने एक कमरे व आलमारी को सील किया था. लेकिन सील के साथ छेड़छाड़ कर कमरे में रखे एक्सपायरी दवाओं को रातोरात ठिकाने लगा दिया गया. दूसरे दिन सील टूटे होने की जानकारी दिये जाने के बाद भी बीडीओ ने कोई कार्रवाई नहीं की. पूरे मामले के तूल पकड़ने के बाद डीएम ने सीएस व एसडीओ से पूरे मामले की जांच व कार्रवाई कर रिपोर्ट तलब किया है. लेकिन जांच शुरू हुई या नहीं यह भी बताने के लिये कोई तैयार नहीं है. सील के साथ छेड़छाड़ प्रकरण में बीडीओ की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है. हालांकि पूरे प्रकरण में डीएम के कड़े रुख के कारण कार्रवाई की उम्मीद अभी बाकी है. ——————–बात करने से कतरा रहे सिविल सर्जन स्वास्थ्य विभाग में चल रहे कारनामे के बारे में सिविल सर्जन कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. हालिया मामले में कार्रवाई के बाबत पूछने के लिये उनके मोबाइल पर कई बार रिंग करने के बाद भी रिसीव नहीं किया गया. इधर, सिविल सर्जन की चुप्पी के कई मायने लगाये जा रहे हैं. चर्चा का बाजार गरम है लेकिन सीएस खामोश हैं.

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