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कोसी कटाव से ग्रामीणों में दहशत, दर्जन भर परिवार कटाव की जद में

कोसी कटाव से ग्रामीणों में दहशत, दर्जन भर परिवार कटाव की जद में फोटो 1 में कैप्सन – कटाव के निशाने पर आया बलैठा पंचायत का पचाठ मुनिटोलाप्रतिनिधि, बेलदौरप्रखंड क्षेत्र के जमींदारी बांध के समीप बसे विस्थापित परिवारों पर कोसी कहर बरपाने लगी है. नदी के जलस्तर में गिरावट होते ही कोसी नदी में कटाव […]

कोसी कटाव से ग्रामीणों में दहशत, दर्जन भर परिवार कटाव की जद में फोटो 1 में कैप्सन – कटाव के निशाने पर आया बलैठा पंचायत का पचाठ मुनिटोलाप्रतिनिधि, बेलदौरप्रखंड क्षेत्र के जमींदारी बांध के समीप बसे विस्थापित परिवारों पर कोसी कहर बरपाने लगी है. नदी के जलस्तर में गिरावट होते ही कोसी नदी में कटाव तेज होने से इसके निशाने पर आने वाले परिवारों के रातों की नींद हराम हो गयी है. उल्लेखनीय है कि बीते 31 दिसंबर के रात्रि से कोसी नदी में कटाव ने आक्रामक रुख धारण कर लिया है. कटाव पर शीघ्र काबू पाने का प्रयास नहीं किया गया तो दर्जनों परिवारों का घर कोसी नदी के गर्भ में समा सकता है. कटाव के आक्रामक रुख को देख इसके निशाने पर आने वाले परिवारों में दहशत का माहौल कायम है. वे दूसरे जगह अपना नया घर बसाने के लिए जमीन का तलाश कर रहे हैं. दूसरे जगह जाने की बनी मजबूरी वहीं कई परिवार तो अपना घर द्वार यहां से हटाकर दूसरे जगह पर ले जा रहे हैं. कटाव से पचाठ मुनिटोला, इतमादी पंचायत के गांधीनगर पंचबीघी, डुमरी पंचायत के डुमरी, तेलिहार पंचायत के तिरासी एवं कामास्थान मुशहरी में कोसी का कटाव जारी है. कटाव को रोकने का प्रयास अगर समय रहते नहीं किया गया तो पचाठ मुनि टोला का अस्तित्व निकट भविष्य में समाप्त हो जाने की प्रबल संभावना बनी हुई है. कटाव रोकने की मांग कटाव से आशंकित अमोद कुमार झा, शंभु कुमार झा, जयकृष्ण सिंह, रीता देवी सहित दर्जनों परिवारों ने सीओ को आवेदन देकर कटाव निरोधी कार्य चलाकर इस पर अंकुश लगाने की मांग की है. ग्रामीणों ने बताया कि रोजाना एक से दो फिट जमीन नदी के गर्भ में विलीन हो रही है. कहते हैं सीओसीओ विकास कुमार ने कटाव से अनभिज्ञता प्रकट करते हुए बताया कि बलैठा पंचायत के पचाठ के ग्रामीणों ने इसकी लिखित शिकायत की है. शिकायत के आलोक में मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जायेगी.कहते हैं पीड़ित कटाव पीड़ितों ने बताया कि कामाथान मुसहरी समेत बांध समीप बसे कटाव पीड़ित परिवारों के आशियाने कई बार कटाव के जद में समा चुके हैं. विस्थापित परिवार काफी जद्दोजहद के बाद तिनका तिनका जोड़ कर आशियाना बनाते हैं. लेकिन कोसी की काली साया दोबारा आशियाने को अपने गर्भ में समेट कर परिवार के लोगों को बेघर कर देती हैं. इसका लगातार दंश झेल रहे पीड़ित परिवारों के पुर्नवासित करने के लिये अबतक कोई ठोस उपाय नहीं किया जा सका है. इसके कारण कोसी की दहाड़ से सहमे परिवार में सरकार व विभाग के प्रति घोर नाराजगी है.

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