खगड़िया : जरा संभल कर! एनएच 31 पर चलना खतरनाक हो गया है. हर दिन कहीं न कहीं दुर्घटना में लोगों की या तो मौत हो रही है या वे हाथ-पैर तुड़वा कर अस्पताल पहुंच रहे हैं.
जानलेवा बनी एनएच 31 दर्जनों परिवार की खुशियां लूट चुकी है. कई बच्चे अनाथ हो गये. मौत के बाद हंगामा, जाम, मुआवजा का एलान आदि के सिलसिला के बीच सड़क दुर्घटना की रफ्तार बढ़ गयी है.
शुक्रवार को महेशखूंट में सड़क की बजाय अनियंत्रित ट्रक घर में ही घुस गया. तीन लोगों ने दम तोड़ दिया. दम तोड़ने वाले मजदूर थे. लिहाजा परिवार के लोग बेसहारा होकर आंसू बहा रहे हैं.
एनएच पर थम नहीं रहा मौत का सिलसिला
कहते हैं किसी भी क्षेत्र के विकास में बेहतर सड़क मार्ग का होना आवश्यक है, लेकिन इस विकास के मापदंड को पूरा करने के लिए जिले के लोगों को रोज अपनी जान गंवानी पड़ रही है. जिले के बीच से होकर गुजरने वाले एनएच 31 पर मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.
उल्लेखनीय है कि एनएच 31 बिहार का सबसे व्यस्त सड़क में शुमार है. इस मार्ग से हजारों की संख्या में रोज छोटे वाहन से लेकर बड़े वाहन गुजरते हैं. शायद ही कोई ऐसा दिन होगा, जब एनएच 31 पर दुर्घटना नहीं हो. स्थिति इतनी भयानक हो चुकी है कि एनएच पर लोगों की मौत की सूचना भी आम बात हो गयी है.
गलती चाहे वाहन चालक की हो या पैदल यात्री की, लेकिन परिवार की खुशियां तो लुट जाती हैं. स्थिति ऐसी है कि घर से निकलने पर परिवार वाले सुरक्षित घर लौटने की दुआ करते रहते हैं. कब, कहां मौत का सामना हो जाये, कहना मुश्किल है. बीते दिनों के आंकड़े खौफनाक हैं. हाइ स्पीड की बाइक के साथ चकाचक सड़क पर युवा वाहन पर से अपना नियंत्रण खो बैठते हैं.
हम भी कम दोषी नहीं
सड़क दुर्घटना के कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा करण जल्दबाजी है. वाहन चालक जल्दबाजी के कारण अपने वाहन को तेज गति तो दे देते हैं, लेकिन वाहन पर अपना नियंत्रण खो बैठते हैं. नाबालिगों द्वारा भी सड़क पर वाहन चलाना दुर्घटना को आमंत्रण देने जैसा है. वहीं शराब पीकर गाड़ी चलाना भी दुर्घटना का मुख्य कारण माना जाता है.
सामाजिक कार्यकर्ता नागेंद्र सिंह त्यागी, सुभाष चंद्र जोशी, मनीष कुमार सिंह आदि लोगों ने एनएच के किनारे बने थाना के समीप पुलिस चेक पोस्ट बनाने की मांग की है. अगर एनएच के बीचों बीच डिवाइडर बना दिया जाये, तो भी सड़क दुर्घटनाओं में कमी आयेगी. एनएच के किनारे बसे गांव के समीप स्पीड नियंत्रण, घनी आबादी, स्कूल आदि का संकेत देना भी हादसों पर विराम लगा सकता है. परिवहन विभाग भी लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है.