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स्पष्टीकरण के खेल में डीएम का आदेश फेल

स्पष्टीकरण के खेल में डीएम का आदेश फेल जनवरी में भी दागी शिक्षकों पर प्राथमिकी के आदेश के नाम पर हुई हेराफेरी तत्कालीन डीएम के आदेश की अनदेखी के खुलासे से शिक्षा विभाग कटघरे में दोबारा डीपीओ की जांच में भी खुला गोलमाल का राज, फिर कर रहे लीपापोती शिक्षा विभाग में अधिकारियों के मेलजोल […]

स्पष्टीकरण के खेल में डीएम का आदेश फेल जनवरी में भी दागी शिक्षकों पर प्राथमिकी के आदेश के नाम पर हुई हेराफेरी तत्कालीन डीएम के आदेश की अनदेखी के खुलासे से शिक्षा विभाग कटघरे में दोबारा डीपीओ की जांच में भी खुला गोलमाल का राज, फिर कर रहे लीपापोती शिक्षा विभाग में अधिकारियों के मेलजोल से हो रहा गड़बड़ी का खेल नियम को दरकिनार कर भवन निर्माण की कुल 15.17 लाख राशि कर ली निकासी सरकारी राशि की पूरी निकासी कर पांच वर्षों तक मौज करते रहे शिक्षक अब प्राथमिकी का शिकंजा कसे जाने के बाद फिर से उसी दागी शिक्षक को दिया मौकापहले से गबन के आरोपी शिक्षक को निर्माण का जिम्मा देकर बचाना चाह रहा विभागदागी शिक्षक पर विभाग मेहरबान, दो दो बार प्राथमिकी का आदेश फाइलों में गुम ——————–जनवरी 2015 में हुई जांच में सरकारी विद्यालयों में कई गड़बड़ियां के खुलासे के बाद 111 प्रधान व शिक्षकों पर प्राथमिकी/निलंबन की कार्रवाई की अनुशंसा की गयी थी. जिसमें प्राथमिक विद्यालय कात्यायनी स्थान के तत्कालीन प्रधान शिक्षक दिवाकर चौधरी भी शामिल थे. लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. स्कूल भवन निर्माण की पूरी राशि की निकासी एक बार में नहीं हो सकती.- संजीव चौधरी, डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान ————-दो महीने पूर्व वर्तमान डीएम के निर्देश पर प्राथमिक विद्यालय कात्यायनी स्थान के भवन निर्माण में हुई जांच में भी गड़बड़ी का खुलासा के बाद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. – चन्द्रशेखर शर्मा, डीपीओ मध्याह्न भोजन —————–स्पष्टीकरण के असंतुष्ट जवाब देने के बाद करीब दो दर्जन शिक्षकों पर कार्रवाई की गयी थी. प्राथमिकी के आदेश बाद स्पष्टीकरण के औचित्य के बारे में पूछने पर डीइओ कन्नी काट गये. प्राथमिक विद्यालय कात्यायनी स्थान बंगलिया में सहायक शिक्षक दिवाकर चौधरी ने एक महीने में भवन निर्माण का समय लिया है. – डॉ. ब्रज किशोर सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी ———————-इस मामले में बड़ी-बड़ी पैरवी व अधिकारी के मौखिक आदेश के कारण अब तक भवन निर्माण में गड़बड़ी करने वाले शिक्षक पर प्राथमिकी नहीं हो पायी है. वरीय अधिकारी से फिर रिपोर्ट मांगी गयी है. – रामकुमार सिंह, बीईओ, चौथम प्रखंड ———————- शिक्षा विभाग में चल रहे कारनामे की पोल धीरे धीरे खुल रही है. जनवरी महीने में हुई जांच में हेराफेरी के खुलासा बाद दागी शिक्षकों पर प्राथमिकी के आदेश को स्पष्टीकरण की आड़ में दबा दिया गया. फिर सितंबर महीने में हुई जांच में उसी में से एक विद्यालय की दुर्दशा उजागर हुई फिर एफआईआर का आदेश हुआ लेकिन वह भी फाइलाें में दबा पड़ा है. बताया जाता है कि शिक्षा विभाग के एक बड़े अधिकारी के मौखिक आदेश के कारण आदेश पर अमल नहीं हो पा रहा है. ————————-खगड़िया. शिक्षा विभाग में परदे के पीछे का सच जान कर आप हैरान रह जायेंगे. हाल के दिनों में धीरे धीरे हो रहे खुलासे के बाद विभागीय अधिकारी को सफाई देते नहीं बन रहा है. शिक्षा विभाग में स्पष्टीकरण के खेल में डीएम के आदेश तक फेल हो रहे हैं. यहां स्पष्टीकरण कार्रवाई के लिये नहीं वसूली का खेल का जरिया बन चुका है. विभागीय अधिकारी भी दबी जुबान से इसे स्वीकार करने से नहीं हिचक रहे हैं. जिसके कारण विभाग पर अंगुली उठना लाजिमी है. डीएम के आदेश भी शिक्षा विभाग में गुम हो जाते हैं. तभी तो जनवरी 2015 में 111 सरकारी विद्यालयों में गड़बड़ी का खुलासा के बाद दिये गये प्राथमिकी के आदेश को स्पष्टीकरण की आड़ में दबा दिया गया. हालांकि कुछ शिक्षकों पर कार्रवाई हुई. उस वक्त परदे के पीछे जुगाड़ के सहारे बच निकले प्राथमिक विद्यालय कात्यायनी स्थान के पूर्व प्रधान शिक्षक दिवाकर चौधरी पर नौ महीने बाद फिर एक बार जांच में गड़बड़ी उजागर होने के बाद डीपीओ स्थापना ने प्राथमिकी का आदेश दिया. वह भी दो महीने बीतने के बाद भी फाइलों में दबा पड़ा है. ————–सरकारी राशि से मौज करते रहे शिक्षक प्राथमिक विद्यालय कात्यायनी स्थान में उस वक्त प्रभारी के पद पर दिवाकर चौधरी हुआ करते थे. उनके कार्यकाल में वर्ष 2009-10 में तीन अतिरिक्त कमरे के लिये छह लाख 32 हजार व वर्ष 2011-12 में फिर तीन अतिरिक्त कमरे के लिये आठ लाख 85 हजार रुपये की निकासी कर ली गयी. जबकि नियम को माने तो जैसे जैसे भवन निर्माण पूरा होना चहिये उसी अनुसार इंजीनियर की रिपोर्ट के बाद भुगतान करना है. लेकिन यहां भी नियम को दरकिनार कर पहली योजना की कुल राशि 6.32 लाख एक बार दे दिया गया. फिर दूसरी योजना से कुल 8.85 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया. जिसके बाद तत्कालीन प्रधान शिक्षक ने जैसे तैसे कुछ कमरे बनाये भी लेकिन उसकी स्थिति ऐसी कि जोर से ठोकर मार दे तो टूट कर गिर जाये. इधर, संबंधित शिक्षक श्री चौधरी ने कहा कि एक महीने में काम पूरा करने का शपथ पत्र डीइओ को दिया गया है. निर्माण कार्य जारी है. —————–दागी शिक्षक पर विभाग मेहरबान पहले प्राथमिकी के आदेश फिर स्पष्टीकरण कर मामले को दबा देना, मौखिक आदेश देकर प्राथमिकी से रोकने सहित अन्य खुलासे से शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में है. प्राथमिक विद्यालय कात्यायनी स्थान मामले में वर्षों से भवन निर्माण की राशि से मौज करने वाले शिक्षक को फिर एक बार जिला शिक्षा पदाधिकारी ने एक महीने का और समय दिया है. डीइओ कहते हैं कि संबंधित शिक्षक ने कहा है कि एक महीने में भवन निर्माण पूरा कर देंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि जो पहले ही विभाग को पांच वर्षों तक धोखा देता रहा उसे फिर से भवन निर्माण का जिम्मा देकर विभाग उसे क्यों बचाना चाहता है?—————–जांच रिपोर्ट के मुख्य बिंदु प्राथमिक विद्यालय कात्यायनी स्थान के तत्कालीन प्रधान शिक्षक को कुल 15 लाख 17 हजार रुपये के भुगतान के बाद भवन निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया है. ढलाई निम्न क्वालिटी की है. नीचे से सरिया स्पष्ट दिखता है. फर्श प्लास्टर, दरवाजा, खिड़की भी नहीं है. शिक्षक श्री चौधरी द्वारा सरकारी राशि के गबन की संभावना है. निर्माण कार्य का पर्यवेक्षण नहीं करने वाले अभियंता भी दोषी हैं.

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