सूख रहा मिनी जलापूर्ति प्लांट योजना का जल फोटो है 5 मेंकैप्सन- प्लांट का दृश्य दूषित जल पीने को विवश हैं लोगपंचायतों में लगाए गए प्लांट हो गये हैं बेकार कहीं माह दो माह तो कहीं एक वर्ष से खराब पड़ा है प्लांटजहां ठीक है वहां नहीं होती है सफाई प्रतिनिधि, गोगरीगंगा व कोसी जैसी नदियों से घिरे होने के कारण गोगरी अनुमंडल क्षेत्र में पानी की कमी नहीं है. लेकिन लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पा रहा है. इस क्षेत्र के अधिकांश जल श्रोतों में आयरन, आर्सेनिक,फ्रलोराइड नाइट्रोजन आदि हानिकारक तत्वों की प्रचुरता है. और लोग शुद्ध पेयजल के अभाव में दूषित जल का उपयोग कर रहे हैं. वहीं विभागीय स्तर पर लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की योजना सिर्फ पंजियों तक ही सिमट गयी है. पीएचइडी विभाग द्वारा क्षेत्र में लगाए गए आयरन रिमुभवल प्लांट बेकार हो चुके हैं. वहीं पंचायत स्तर पर जलापूर्ति योजना के तहत लगाए गए मीनी जल आपूर्ति प्लांट का भी बुरा हाल है. लोगों के लिए सिर्फ हाथी का दांत ही साबित हो रहा है. जिसका उदाहरण क्षेत्र के गोरैया बथान गांव में लगे मिनी जलापूर्ति प्लांट है. घनी आबादी के बावजूद प्लांट लगने के साथ ही खराब हो गया. जिसका फायदा ग्रामीणों को नहीं मिला. हम के नेता सुधीर यादव कहते हैं कि सरकारी पैसे का दुरपयोग हो रहा है. गुणवत्ता विहीन उपकरण के कारण क्षेत्र के कई मिनी जलापूर्ती प्लांट खराब पड़े हैं. ठेकेदार तो प्लांट लगाने के बाद मालामाल हो गये. लेकिन ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पाया. उन्होंने प्लांट के उपकरण के गुणवत्ता की जांच कराने के लिए अधिकारियों से मांग किया है. वासुदेवपुर पंचायत के पितौंझिया गांव में लगे मिनी जलापूर्ति प्लांट का भी यही हाल है. जहां सोलर द्वारा संचालित मीनी जलापूर्ति प्लांट होने के बावजूद हजारों की आबादी वाले गांव के लोग दूषित जल पीने को विवश हैं. जानकारी के अनुसार यहां वर्ष 2011-12 में जलापूर्ति योजना के तहत विभागीय स्तर पर मिनी जलापूर्ति प्लांट लगाया गया तथा गांव में जल पाइप लगा कर जल आपूर्ति शुरू की गई. तब गांव के लोगों में काफी खुशी थी की उन्हें अब दूषित जल पीने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा. लेकिन उनकी यह खुशी माह दो माह के अंदर ही गायब होने लगी जब उक्त प्लांट में गड़बड़ी आने लगी और जलापूर्ति ठप होने लगी. वर्तमान में यह प्लांट बीते एक वर्ष से खराब पड़ा है. जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. ग्रामीण नवीन कुमार यादव, संजय चौरसिया विपिन कुमार के अनुसार जलापूर्ति प्लांट आरंभ से ही प्राय: खराब रहा. संवेदक द्वारा जैसे तैसे कार्य कर तत्काल जल आपूर्ति आरंभ तो की गई. लेकिन गुणवत्ता विहीन कार्य होने के कारण यह अब बेकार पड़ा है. जिसे शिकायत के बाद भी ठीक नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा अब ग्रामीण आंदोलन करेंगे. बड़ी मलिया में लगा प्लांट तो ठीक है. लेकिन साफ सफाई के अभाव में नल से दूषित जल निकलता है. ग्रामीणों ने कई बार संचालक योगेश कुमार से की. लेकिन एक बार भी उन्होंने सफाई की ओर ध्यान नहीं दिया. इधर वही हाल बौरना राटन गौछारी सहित अन्य जगहों पर स्थापित मिनी जलापूर्ति प्लांट का भी है.कहते हैं एसडीओ एसडीओ संतोष कुमार ने बताया कि तकनीकी गड़बड़ियां हो सकती है. जिसके बारे में विभाग को पत्र लिखा जायेगा. ®
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सूख रहा मिनी जलापूर्ति प्लांट योजना का जल
सूख रहा मिनी जलापूर्ति प्लांट योजना का जल फोटो है 5 मेंकैप्सन- प्लांट का दृश्य दूषित जल पीने को विवश हैं लोगपंचायतों में लगाए गए प्लांट हो गये हैं बेकार कहीं माह दो माह तो कहीं एक वर्ष से खराब पड़ा है प्लांटजहां ठीक है वहां नहीं होती है सफाई प्रतिनिधि, गोगरीगंगा व कोसी जैसी […]
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