खगड़िया : ग्रह नक्षत्रों के अद्भुद संयोग व सूर्योदय की तिथि के आधार पर इस बार दीपावली का खास संयोग बन रहा है. मंगलवार की रात से अमावस्या चढ़ने और बुधवार का दिन होने से लक्ष्मी के साथ गणेश की भी होगी विशेष कृपा होगी. साथ ही सोमवार का दिन व त्रयोदशी तिथि रहने के कारण धनतेरस भी बेहद खास है.
सोमवार व त्रयोदशी के स्वामी भगवान शिव हैं. शिव की कृपा से इस बार का धनतेरस भी खास संयोग लेकर आया है. दीपावली 11 नवंबर और धनतेरस 9 नवंबर को है. 9 तारीख को धनतेरस के साथ धनवंतरी जयंती भी है. शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन समुद्र मंथन से समस्त चिकित्सा शास्त्र के आधार पर धनवंतरी ऋषि का आविर्भाव हुआ थाा. इस दिन धनवंतरी की भी पूजा होती है. 10 तारीख को हनुमंत जन्मोत्सव और रात में काली पूजा भी होगी,
क्योंकि अमावस्या मंगलवार की रात 8.45 बजे से शुरू हो जायेगा. यह दुर्लभ संयोग है. 11 तारीख को ही दीपावली, सुख रात्रि, लक्ष्मी पूजा, पितृ विसर्जन और दीक्षा ग्रहण भी होगा. प्रदोष काल में करें माता लक्ष्मी की पूजाज्योतिष निरंजन कुमार झा ने बताया कि प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा आदि काल से रही है.
उन्होंने बताया कि दिन भर व्रत रख कर शाम में लक्ष्मी पूजन करना. पूजा के दौरान श्री सूक्त का पाठ, पुरुख सूक्त का पाठ और दुर्गा सप्तशती के चतुर्थ एवं एकादश अध्याय का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है. धनतेरस को 6.53 बजे से पहले ही कर लें खरीदारीनौ नवंबर अर्थात धनतेरस को शाम 6.53 बजे तक ही खरीदारी शुभ रहेगी, क्योंकि त्रयोदशी 6.53 बजे तक ही है. इसके बाद चतुर्दशी की तिथि आरंभ हो जायेगी. इस दौरान खरीदारी से भक्तों पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसेगी. दीपावली के दिन प्रात: काल से अगले दिन प्रात: काल यानी 24 घंटे तक अखंड दीप जलाना चाहिए.
अखंड दीप जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है. इसे दुख, शोक व विविध तापों से मुक्ति मिलती है और आर्थिक स्थिति प्रबल होती है. लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 5.48 बजे शाम से 9.44 बजे तक है. यह समय वृष लग्न का है.