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खगड़िया : लड़ाई गढ़ बचाने व जमीन बनाने की

मक्का की खेती के लिए मशहूर खगड़िया जिले की सभी चार सीटों पर फिलहाल जद यू का कब्जा है. इस बार विधानसभा का चुनाव नये समीकरण के आधार पर होने वाला है. राजद व जद यू साथ है, तो भाजपा को लोजपा व हम का साथ मिला है. महागंठबंधन और एनडीए की ओर से प्रत्याशियों […]

मक्का की खेती के लिए मशहूर खगड़िया जिले की सभी चार सीटों पर फिलहाल जद यू का कब्जा है. इस बार विधानसभा का चुनाव नये समीकरण के आधार पर होने वाला है. राजद व जद यू साथ है, तो भाजपा को लोजपा व हम का साथ मिला है.
महागंठबंधन और एनडीए की ओर से प्रत्याशियों की घोषणा का इंतजार हो रहा है. कृषि की अर्थव्यवस्था पर टिका खगड़िया हर साल बाढ़ का दंश भी ङोलता है. मक्का किसानों की अपनी समस्याएं हैं. फिलहाल विधानसभा चुनाव को लेकर यहां हर दल के नेता अपनी-अपनी गोटी फिट करने में जुटे हैं. जातीय समीकरण का हिसाब-किताब लगाया जा रहा है.
खगड़िया
दस वर्ष से है जदयू का कब्जा
इस बार के विधानसभा चुनाव को लेकर जितनी मतदाताओं में असमंजस की स्थिति है, उससे कम जमीनी कार्यकर्ताओं में नहीं है. अब तक एक-दूसरे के विरोध में खड़ी पार्टियां एक साथ हैं. ऐसे में जो पहले से दावेदारी की नजर गड़ाये हुए थे, उनकी भूमिका क्या होगी, यह बड़ा सवाल है.
इस बार भीतरघात की आशंका भी घर कर रही है. खगड़िया सीट पर जदयू का कब्जा है. यहां से पूनम देवी यादव ने वर्ष 2010 में लोजपा की सुशीला देवी को पराजित किया था. इससे पहले वर्ष 1990 में वर्तमान विधायक के पति रणवीर यादव निर्दलीय चुनाव जीत कर राजनीतिक क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा चुके थे.
मात्र एक दो बार अन्य दल के प्रत्याशियों ने विधानसभा चुनाव में बाजी मारी थी. वैसे इस बार समीकरण पूरी तरह से बदल गया है. महागंठबंधन में ज्यादा दावेदार नजर आ रहे हैं. वैसे सीटिंग होने के नाते दावेदारी तो वर्तमान विधायक पूनम देवी की बनती है. दूसरे तरफ यहां से एनडीए में लोजपा उम्मीदवारी की दावेदारी कर रही है. भाजपा के कार्यकर्ता भी बैठकें कर रणनीति तय करने में लगे हैं.
अब तक
दो टर्म से जदयू की पूनम देवी विधायक हैं. 1990 में उनके पति रणवीर यादव निर्दलीय जीते. बीजेपी से चंद्रमुखी देवी तथा सीपीएम के योगेंद्र सिंह एक-एक टर्म जीते.
इन दिनों
महागंठबंधन के कार्यकर्ता स्वाभिमान रैली की तैयारी में जुट गये हैं तो भाजपा का परिवर्तन रथ गांवों में घूम रहा है. लोजपा भी कार्यक्रम कर रही है.
प्रमुख मुद्दे
कचहरी रोड में आरओबी निर्माण
सौ शैया अस्पताल में चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति के अलावा सर्जरी की व्यवस्था करना
अलौली
पशुपति पारस से छीनी थी सीट
अलौली विधानसभा सीट लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान का गृह क्षेत्र है. इस सीट से रामविलास के अनुज पशुपति कुमार पारस चुनाव लड़ते रहे हैं. वर्ष 1990 से इस सीट पर उनका ही कब्जा था. हालांकि वर्ष 2010 के चुनाव में जदयू ने इस सीट पर कब्जा जमाया.
जदयू के रामचंद्र सदा ने पशुपति पारस को पराजित किया. हालांकि इस बार परिस्थितियां अलग हैं. इस क्षेत्र में महादलितों की बाहुलता है. उन्हें गोलबंद करने के लिए जीतन राम मांझी का दल लगातार सक्रिय है.
ऐसे में जदयू प्रत्याशी रामचंद्र सदा की परेशानी बढ़ गयी है. दूसरी तरफ, अलौली में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले राजेश सदा ने एक बार फिर से नीतीश कुमार के साथ हो गये हैं. इस सीट से रामवृक्ष सदा भी राजद के हिस्से से उम्मीदवारी की दावेदारी ठोंक रहे हैं. वैसे राजद-जद यू महागंठबंधन में सीटिंग होने के नाते जद यू की स्वाभाविक दावेदारी है.
अब तक
इस विधानसभा क्षेत्र में कोई बड़ा नेता इधर-से-उधर नहीं हुआ है. लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान का गृह क्षेत्र होने की वजह से राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. पिछले चुनाव से जद यू का कब्जा है.
इन दिनों
महागंठबंधन के कार्यकर्ता स्वाभिमान रैली की तैयारी में जुट गये हैं तो भाजपा का परिवर्तन रथ गांवों में घूम रहा है. लोजपा भी यहां पर स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम कर रही है. हम के कार्यकर्ता भी सक्रिय हैं.
प्रमुख मुद्दे
विधानसभा क्षेत्र में बिजली की समस्या बरकरार
सड़कों की स्थिति खराब
बढ़ता अपराध
परबत्ता
पाला बदल ने कराये पांच साल में दो चुनाव
परबत्ता में वर्ष 2010 में राजद के टिकट पर सम्राट चौधरी ने जद यू के रामानंद प्रसाद सिंह को पराजित कर जीत दर्ज की थी. तीन वर्ष के बाद उन्होंने पहले जदयू का दामन थामा, मंत्री बने और बाद में हम के साथ हो लिये. इसके बाद यहां हुए उपचुनाव में जदयू (राजद का समर्थन) के आरएन सिंह ने लोजपा की सुहेली मेहता को हराया. परबत्ता में अभी तक किसी दल का कोई दूसरा उम्मीदवार भी सामने नहीं आया है.
हालांकि इस सीट पर जन अधिकार पार्टी भी अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं. वर्तमान विधायक आरएन सिंह के पुत्र डॉ संजीव कुमार सिंह स्थानीय निकाय के विधान परिषद के चुनाव में जोरदार टक्कर देकर राजनीतिक उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं. वर्तमान विधानसभा के चुनाव में महागंठबंधन के प्रत्याशी के साथ साथ भाजपा समर्थित उम्मीदवार भी दावेदारी करने लगे हैं.
अब तक
तीन बार से आरजेडी का कब्जा इस सीट पर बना हुआ है. 1990 से दो बार विद्यासागर निषाद जनता दल से विधायक बने थे. जबकि आरजेडी से सम्राट चौधरी व आरजेडी गंठबंधन से आरएन सिंह विधायक हैं. सम्राट के इस्तीफे के बाद उपचुनाव में आरएन सिंह फिर जीत गये.
इन दिनों
भाजपा व राजद-जदयू अपने-अपने स्तर से तैयारी कर रहा है. पीएम के डीएनए वाले बयान पर धरना-प्रदर्शन के बाद महागंठबंधन के कार्यकर्ता स्वाभिमान रैली की तैयारी में जुटे हैं. भाजपा का परिवर्तन रथ गांवों में घूम रहा है. लोजपा भी कार्यक्रम कर रही है.
प्रमुख मुद्दे
फोरलेन पुल निर्माण कार्य शुरु करवाना
केला आधारित उद्योग लगाना
शुद्ध पेयजल की व्यवस्था कराना
गांवों में बिजली की सुविधा
किसानों को समय पर खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करना
अपराध पर नियंत्रण
बेलदौर
सबको सीट व प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार
बेलदौर विधानसभा क्षेत्र जदयू का गढ़ माना जाता है. पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से जद यू के पन्नालाल पटेल ने लोजपा की सुनीता शर्मा को हराया था. इस क्षेत्र से पिछले कई बार से पूर्व सांसद रामशरण यादव के पुत्र चुनाव लड़ते आ रहे हैं.
राजद और जद यू के बीच एकता बनने से समीकरण बदला है, लेकिन महागंठबंधन में सीट की दावेदारी एक अलग परेशानी है. सीटिंग सीट होने की वजह से जद यू का स्वाभाविक दावा है, लेकिन राजद के नेता आसानी से अपना दावा छोड़ देंगे, ऐसा मानना आसान नहीं है. सीट बंटवारे और प्रत्याशी की घोषणा तक सभी नेता खामोश हैं.
वर्तमान विधायक पन्नालाल सिंह पटेल से पहले एक बार सीपीआइ के प्रत्याशी तथा एक बार जनता दल गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में सत्यनारायण सिंह चुनाव जीत चुके हैं. बेलदौर विधानसभा सीट से भाजपा समर्थित लोजपा के प्रत्याशी भी दावा ठोंक सकते हैं. लोजपा के टिकट पर वर्ष 2005 में सुनीता शर्मा चुनाव जीत चुकी हैं. यह क्षेत्र चारों तरफ से नदियों से घिरा है. यहां आज भी आवागमन की समस्या जटिल है.
अब तक
1990 में जनता दल के गठबंधन के साथ सीपीआइ के प्रत्याशी सत्य नारायण सिंह दो टर्म विधायक चुने गये थे, जबकि पन्ना लाल पटेल तीन टर्म से विधायक हैं. फिलहाल यहां पाला बदल तो नहीं हुआ है, लेकिन प्रत्याशियों की घोषणा का सबको इंतजार है.
इन दिनों
महागंठबंधन के कार्यकर्ता पटना में 30 अगस्त को आयोजित स्वाभिमान रैली की तैयारी में जुट गये हैं तो भाजपा का परिवर्तन रथ गांव-गांव घूम रहा है. भाकपा के कार्यकर्ता भी सक्रिय हैं. लोजपा की ओर भी संपर्क किया जा रहा है.
प्रमुख मुद्दे
डुमरी पुल के अलावा तेलौंछ के गढ़िया में सड़क निर्माण
धमारा घाट का विकास कार्य
ग्रामीण इलाके तक पहुंचने के लिए सड़क निर्माण
नियमित बिजली

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