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असहाय हैं किसान, अच्छे दिन का इंतजार

फोटो है 16 में कैप्सन : पीडि़त किसान परबत्ता. प्रखंड में इस बार असमय बारिश, ओला वृष्टि व खराब बीज के कारण फसल में दाना नहीं आने से किसानों की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. किसान कर्ज में हैं. उनके दर्द को कम करने में सरकारी सहायता भी कम पड़ रही है. परबत्ता के किसान […]

फोटो है 16 में कैप्सन : पीडि़त किसान परबत्ता. प्रखंड में इस बार असमय बारिश, ओला वृष्टि व खराब बीज के कारण फसल में दाना नहीं आने से किसानों की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. किसान कर्ज में हैं. उनके दर्द को कम करने में सरकारी सहायता भी कम पड़ रही है. परबत्ता के किसान जयराम दास ने बताया कि पचास रुपये प्रति किलो की दर से हाई ब्रीड बीज खरीदकर गेंहूं की खेती की. इसमें पांच सौ रुपये जुताई में और तीन हजार दो सौ रुपये का पटवन में खर्च किया. पहले यूरिया की किल्लत के कारण महंगे दर पर खरीदकर फसल को अपने बच्चों की तरह पाला-पैसा गया. चार महीनों तक बाल-बच्चों समेत इस खेत में इस उम्मीद में कठिन श्रम की कि फसल तैयार होने पर बेटी की शादी करने के साथ-साथ एक वर्ष के राशन का इंतजाम हो जायेगा. लेकिन प्राकृतिक आपदा ने सभी सपनों पर पानी फेर दिया. गेहूं का फसल जब पककर तैयार होने का समय आया, तो बाली में एक भी दाना नहीं था. स्थिति यह हो गयी कि अब इस फसल से केवल भूसा मिलने की संभावन ही बची. किंतु इस फसल को दौनी करने के लिये कोई थ्रेसर मालिक तैयार नहीं हुआ. प्रखंड में खेती करने वाले किसान की यह इकलौती कहानी नहीं है. इस इलाके के किसानो के द्वारा खेती के साथ-साथ पशुपालन भी किया जाता है. यह एक ऐसा कारण है इससे किसान यहां किसी प्रकार अपना जीवनयापन कर लेते हैं. वहीं दियारा क्षेत्र के किसानों में दीर्घ जीजिविषा होने का समृध इतिहास ही किसानों को आत्महत्या जैसे कलंक से बचाये रखता है. किसान जयजय राम दासग्राम परबत्ता

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