खगड़िया : जिले में डिफॉल्टर बकायेदारों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ. बीते तीन माह में ऐसे डिफॉल्टर बकायेदारों की संख्या 4 सौ से अधिक हो गयी है, जिनसे राशि वसूली के अब बैंक व अन्य विभागों को सर्टिफिकेट केस दर्ज कराने पड़े हैं.
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डिफॉल्टरों की संख्या में हो रहा इजाफा,तो बकायेदारों से वसूली में हो रही है कमी
खगड़िया : जिले में डिफॉल्टर बकायेदारों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ. बीते तीन माह में ऐसे डिफॉल्टर बकायेदारों की संख्या 4 सौ से अधिक हो गयी है, जिनसे राशि वसूली के अब बैंक व अन्य विभागों को सर्टिफिकेट केस दर्ज कराने पड़े हैं. विभागीय आंकड़े बताते हैं कि ऋण जमा नहीं करने वाले औसतन […]
विभागीय आंकड़े बताते हैं कि ऋण जमा नहीं करने वाले औसतन चार कर्जदारों पर प्रतिदिन कर्ज की राशि वसूली के लिये सर्टिफिकेट केस दर्ज हो रहे हैं. विभागीय सूत्र के मुताबिक 1 अप्रैल से 30 सितम्बर के बीच 445 लोगों पर करीब 8 करोड़ 58 लाख की वसूली के लिये सर्टिफिकेट केस दर्ज हुए है.
जिन्हें धारा 7 के तहत जिला निलाम-पत्र शाखा से नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है.वहीं कर्ज वसूली की स्थिति बेदह ही खराब है. तीन माह में भले ही 445 नये डिफॉल्टरों पर केस दर्ज हुए हैं, वहीं वसूली महज 25 लोगों से 75 लाख 82 हजार के करीब हो पाई है. यानी करीब 4 दिन पर एक कर्जदार से ऋण की राशि वसूल हो पाई है.
बता दें कि ऐसे लोगों की संख्या अच्छी खासी है, जिन्होंने बैंक से ऋण लेकर राशि नहीं लौटाई. जिस कारण उनके खिलाफ राशि वसूली की कार्रवाई शुरू की गयी है.
जानकार बताते हैं कि हाल के दिनों में बैंकों ने काफी संख्या में कर्जदारों पर सर्टिफिकेट केस कराये हैं. स्थिति यह है कि औसतन तीन-चार कर्जदारों पर प्रत्येक दिन कर्ज की राशि की राशि वसूली के लिये बैंक सर्टिफिकेट केस दर्ज करा रही है. बता दें कि ऋण वसूली की यह कार्रवाई (सर्टिफिकेट केस) नयी नहीं है.
पहले भी बैंक डिफॉल्टर कर्जदारों पर केस दर्ज कराती रही है. लेकिन जानकार बताते हैं कि कुछ वर्षों में इसमें काफी वृद्धि हुई है. पिछले वित्तीय साल 1 अप्रैल 2018 से 31 जनवरी 2019 के बीच 1 हजार से अधिक लोगों पर तकरीबन 16 करोड़ की वसूली के लिये अलग-अलग बैंकों ने जिला निलाम-पत्र शाखा में सर्टिफिकेट केस दर्ज कराया है.
इन दिनों बैंक दोहरी परेशानी से घिरा हुआ है. पहली परेशानी तो यह है कि पुराने कर्जदारों से वसूली नहीं होने के कारण उनपर सर्टिफिकेट केस दर्ज कराना पड़ा. वहीं दूसरी परेशानी यह है कि काफी संख्या में नये ऋण खाते भी खराब यानी एनपीए हो रहे हैं.
पिछले साल के आरंभ में एनपीए खातों में करीब 150 करोड़ रुपये फंसी थी जो बढ़कर कुछ माह पहले दो सौ करोड़ से ऊपर हो गया है. सूत्र बताते हैं कि करीब 16 प्रतिशत या इससे ऋण की राशि एनपीए खातों में फंसी हुई है.
जो कि छोटी-मोटी बात नहीं है. लगातार एनपीए हो लोन एकाउन्ट से अधिकांश बैंक परेशान है. सूत्र बतातें है कि को-ऑपरेटिव बैंक, पीएनबी, ग्रामीण बैंक,बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक तथा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के काफी लोन एकाउन्ट एनपीए हो चुके हैं. ऐसे एकाउन्ट में बैंकों के अरबों रुपये फंसे हुए हैं. बैंकों ने हजारों कर्जदारों पर बकाये ऋण की वसूली के लिये सर्टिफिकेट केस दर्ज कराये गये हैं, सैकड़ों को बैंकों ने नोटिस भी जारी किया है.
94 करोड़ की वसूली के लिए 10 हजार से अधिक पर केस दर्ज
जानकार बताते हैं कि बीते करीब डेढ़ साल में तीन हजार कर्जदारों पर सर्टिफिकेट केस दर्ज हुए हैं. अगर कुल बकायेदारों की बातें करें तो 10 हजार 794 के विरुद्ध 94 करोड़ 49 लाख 20 हजार 668 रुपये की वसूली के लिये सर्टिफिकेट केस दर्ज हैं. जिसमें अलग-अलग बैंक का सर्वाधिक राशि इन कर्जदारों के पास फंसी हुई है.
बताते चले कि बैंक के द्वारा 7531, परिवहन विभाग के द्वारा 283, उत्पाद विभाग के द्वारा 14, राजस्व विभाग के द्वारा 4, विद्युत विभाग के द्वारा 236 एवं अन्य विभाग के द्वारा 2726 लोगों पर सर्टिफिकेट केस दर्ज कराये गये हैं. जानकार बताते हैं कि 65 करोड़ से अधिक राशि के लिये बैंकों के द्वारा केस किया गया है.
कुछ दिन पूर्व ही उन्हें निलाम-पत्र शाखा का प्रभार मिला है. उनका प्रयास होगा कि अधिक से अधिक से बकायेदारों के पास फंसी राशि की वसूली की जा सके.
आदित्य कुमार पियूष,प्रभारी पदाधिकारी निलाम-पत्र शाखा.
पहले से ही कुछ बैंकों के हालात अच्छे नहीं हैं. ऐसे में ऋण एकाउन्ट का लगातार एनपीए होना तथा लंबे समय तक कर्जदारों के पास ऋण की राशि फंस जाना, गंभीर चिंता का विषय है. समय पर जरुरतमंदों को बैंक ऋण मुहैया कराती है. ऐसे में ऋणी को भी समय से बैंक को पैसे वापस कर देना चाहिए.
ज्योति प्रभा सबर, एलडीएम
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