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स्टैंड अप योजना महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में रही नाकाम

ऋण नहीं मिलने से रोजगार नहीं कर पायी जिले की महिलाएं खगड़िया : नाम से स्टैंड अप योजना के उद्देश्य का पता लग जाता है. स्टैंड अप यानि उठ जाओ. मात्र एक-दो साल पुरानी यह योजना लोगों को सहारा देने, आत्मनिर्भर बनाने, स्वरोजगार के लिए ऋण मुहैया कराने के लिए चलाई गयी थी. इस योजना […]

ऋण नहीं मिलने से रोजगार नहीं कर पायी जिले की महिलाएं

खगड़िया : नाम से स्टैंड अप योजना के उद्देश्य का पता लग जाता है. स्टैंड अप यानि उठ जाओ. मात्र एक-दो साल पुरानी यह योजना लोगों को सहारा देने, आत्मनिर्भर बनाने, स्वरोजगार के लिए ऋण मुहैया कराने के लिए चलाई गयी थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य ही जरूरतमंद व इच्छुक लोगों को रोजगार ऋण मुहैया कराकर उन्हें कुशल व्यवसायी बनाना था. लेकिन लोगों को उठाने में असफल रही यह योजना खुद भी नहीं उठ पाई. अधिकांश लोग स्टैंड अप योजना का न तो नाम जान पाये और न ही योजना के उद्देश्य ही जान पाए. वहीं बैंक ने भी लोगो के इस योजना के महत्व व उद्देश्य को बताने में अधिक रूची दिखाई. जिस कारण आज इस महत्वपूर्ण व उपयोगी योजना के अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगे है. वर्ष 17-18 में स्टैंड अप योजना की उपलब्धि निराश करने वाली
रही है.
दर्जन भर लोगों तक ही सिमटी रही योजना
दर्जन भर लोगों तक ही इतनी महत्वपूर्ण योजना सिमट कर रह गयी. दो चार दिन पूर्व ही जिले के सभी बैंको द्वारा स्टेंड अप योजना के तहत वितरीत ऋृण की समीक्षा की गयी. समीक्षा के दौरान यह बातें निकल कर सामने आई कि स्टैंड अप योजना की उपलब्धि बेहद ही खराब रही है. यह योजना कुछ लोगों के ही बीच सिमट कर रह गयी है. बड़ी संख्या में रोजगार करने के इच्छुक महिलाएं व अन्य लोग ऋण लेने से वंचित रह गये. सूत्र बताते हैं कि आधे बैंको की उपलब्धि शून्य रही है. जब पूछा गया कि उनकी उपलब्धि जीरो/शुन्य क्यों रही? तो बैंकर्स की बोलती बंद हो गयी. क्योंकि इनके पास इस खराब उपलब्धि का कोई जवाब ही नहीं था. सूत्र बताते थे कि बोलती तो उन बैंकर्स की भी बंद थी. जिन्होंने स्टैंड अप योजना के तहत ऋण बांटे थे. रिपोर्ट बताने से ये भी कतराते दिखे, वो इसलिए क्योंकि ऋण देने के नाम पार इन्होंने भी मात्र खानापूर्ति ही की थी.
क्या है योजना, किसे मिलता है ऋण
स्टैंड अप योजना सिर्फ महिलाओं व एससी एसटी जाति के लोगों के लिए चलाई गयी है. इन्हें काम के लिए दूसरों के सामने मोहताज नहीं होना पड़े, ये खुद का कारोबार कर सके तथा दूसरे जरूरतमंदो को भी राजगार मुहैया करा सकें. इस उद्देश्य व ऐसे लोगों के लिए स्टैंड अप योजना आरंभ की गयी है. बताया जाता है कि उपार्जन व स्वरोजगार के लिए इस योजना के तहत 10 लाख से 1 करोड़ रुपये तक ऋण दिये जाते है वो भी किसी प्रकार के सिक्योरिटी लिये बगैर.
अधिकांश उपलब्धि रही खराब : एसबीआई, पंजाब नेशनल बैंक, कैनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, विजया बैंक, युनाइटेड बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, सेंट्रल बैंक, युको बैंक, आन्ध्रा बैक, आईडीबीआई बैंक तथा बिहार ग्रामीण बैंक ने स्टैण्ड अप ऋण योजना की घोर अनदेखी की है. वहीं बैंक ऑफ इंडिया ने भी चंद लोगों को ऋण मुहैया कराया. सूत्र बताते है कि बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक,आईसीआईसीआई तथा एसिक्स बैंक ने भी इस योजना से तौबा कर लिया.
निश्चित ही स्टैण्ड अप योजना की उपलब्धि जिले में बहुत खराब रही है. अधिकांश बैंक शाखाओं ने स्टैण्ड अप योजना के तहत ऋण नहीं दिये है. जो कि चिंता का विषय है. इस महत्वपूर्ण योजना में रूची दिखाकर वर्तमान वित्तीय वर्ष में अधिक से अधिक लोगों को इस योजना के तहत ऋण मुहैया कराने का निर्देश बैंकों को दिया गया है.
पुरुषोत्तम, बैंकिंग उप समाहर्ता.

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