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शहर में नहीं है एक भी बेहतर खेल मैदान, राजेंद्र स्टेडियम की हालत भी बद से बदतर

शहर में बेहतर खेल मैदान का अभाव है. एकमात्र राजेंद्र स्टेडियम की हालत बद से बदतर है.

युवाओं को अभ्यास करने में हो रही परेशानी, उबड़-खाबड़ मैदान से पांव में मोच का रहता है डर

राजेंद्र स्टेडियम में बैठने के लिए लगायी गयी कुर्सियां भी टूट कर हुईं बर्बाद

कटिहार. शहर में युवाओं के अभ्यास व खिलाड़ियों के लिए भले ही सात खेल मैदान अवस्थित हैं. जिसमें डीएस कॉलेज खेल मैदान, राजेंद्र स्टेडियम, महेश्वरी अकादमी का खेल मैदान, एलडब्ल्यूसी डहेरिया खेल मैदान, हवाई अड्डा मैदान, रेलवे खेल मैदान, रेलवे कोसी के साथ बीएमपी सात कवायद मैदान शामिल है. मेंटनेंस का घोर अभाव रहने की वजह से मैदान उबड़-खाबड़ है. जिसकी वजह से अभ्यास व दौड़ लगाने वाले खिलाड़ियों के पैर में मोच आना आम बात हो गयी है. युवाओं की माने तो शहर में बेहतर खेल मैदान का अभाव है. एकमात्र राजेंद्र स्टेडियम की हालत बद से बदतर है. उक्त स्टेडियम की हालत इतनी खराब है कि राजेन्द्र स्टेडियम में बैठने के लिए लगायी गयी दर्शक दीघा में कुर्सियां टूट कर बरबाद हो चुकी है. राजेंद्र स्टेडियम में ढंग का ट्रैक नहीं है, न ही पेयजल या किसी अन्य प्रकार की कोई सुविधा है. जिसके कारण किसी तरह एक ओर जहां अभ्यास कर सरकारी नौकरी की तैयारी करने में लगे हुए हैं. अलग-अलग खेल प्रेमियों में मनोज कुमार सिंह, बद्रे आलम समेत अन्य युवाओं की माने तो बीएमपी सात कवायद मैदान में बिना अनुमति के प्रवेश निषेध किया गया है. इसी तरह महेश्वरी एकेडमी खेल मैदान में खेल कम मेला आदि अधिक सजाये जाते हैं. डीएस कॉलेज में बराबर परीक्षा होने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सरकार की ओर से जहां खेल के नाम पर युवाओं को लोकलुभावन योजनाओं की जानकारी दी जाती है, लेकिन शहर में बेहतर खेल मैदान के नहीं रहने से योजना के लाभ लेने के करीब पाने में असफल साबित हो जाते हैं.

हल्की बारिश में स्टेडियम में भर जाता है पानी

सिपाही बहाली के लिए फिजिकल की तैयारी करने वाले कई युवाओं की मानें तो, स्टेडियम समतल नहीं होने की वजह से काफी परेशानी होती है. परेशानी तब और बढ़ जाती है, जब हल्की बारिश हो जाती है. हल्की बारिश में ही ट्रैक पर पानी भर जाने के कारण बिना अभ्यास के ही वापस लौटने की मजबूरी हो जाती है. मैदान उबड़-खाबड़ होने की वजह से दौड़ने वाले खिलाड़ियों के पैर में मोच आने की संभावना हमेशा बनी रहती है. किसी भी मैदान में ढंग का ट्रैक नहीं बना हुआ है और ना ही पेयजल या अन्य किसी भी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध है, जिस वजह से कभी सड़क किनारे तो कभी बांध के किनारे अभ्यास करनी पड़ती है.

चार माह में दर्शनीय बन जायेगा राजेंद्र स्टेडियम

28 करोड़ की लागत से मल्टी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है. कार्य शुरू कर दिया गया है. यह कार्य बिहार राज्य भवन निर्माण लिमिटेड की ओर से किया जा रहा है. चार माह के अंदर एक ही छत के नीचे इंडोर व आउट डोर खेल भवन बन कर तैयार हो जायेगा. ड्रेनेज युक्त निर्माण होने की वजह से लगने वाली पानी पर अंकुश लग पायेगा. सभी तरह की सुविधायुक्त राजेंद्र स्टेडियम दर्शनीय नजर आयेगा. खासकर खिलाड़ियों व युवाओं को राजेंद्र स्टेडियम में अधिक सुविधा प्रदान की जायेगी.

संजीव कुमार सिंह, डीएसओ, कटिहारB

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