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गुलजार होने लगा जिले के प्रसिद्ध कुरसेला का मक्का मंडी

गुलजार होने लगा जिले के प्रसिद्ध कुरसेला का मक्का मंडी

कुरसेला मक्का फसल की तैयारी शुरू होते ही मक्का का मंडी गुलजार होने लगा है. थोक व खुदरा खरीदार व्यवसाइयों के यहां मक्का बिक्री का आवक बढ़ने लगा है. मक्का खरीदारी के लिए कुरसेला बड़ी मंडी के रूप में उभरा है. कुरसेला सहित आसपास क्षेत्र में अनेकों धर्मकांटा और भंडारण के लिए बड़ा गोदाम बन चुका है. तैयार मक्का का आवक बढ़ने से रैक प्वांइट की रौनक बढ़ने लगी है. सड़क से लेकर मंडी मे मक्का लदे ट्रेक्टरों, ट्रको के आवाजाही बढ़ने लगी है. मक्का का दर थोड़ा अनुकूल होने से किसानों में उत्साह है. जानकारी अनुसार मंडी में मक्का का वर्तमान दर 2300 से 2500 रुपया प्रति क्विंटल बताया जा रहा है. जानकारी अनुसार प्रतिदिन मक्का दरों में कमी बढ़ोतरी होते रहती है. वर्तमान दर पाने के उम्मीद लिए किसान आनन- फानन में मक्का तैयारी करने में जुटा है. ताकि बाजार के वर्तमान दर में मक्का की बिक्री का लाभ पा सकें. किसानो को यह आशंका घेरे रहती है कि मक्का के दर में गिरावट नहीं आ जाये. जानकार का मानना है कि मक्का के वर्तमान दरों में ज्यादा गिरावट नहीं आयेगी. मक्का के वर्तमान दरों से किसान खुश नहीं है. किसानों का कहना है कि मक्का का दर पैंतीस सौ रुपया प्रति क्विंटल से अधिक होना चाहिए था. रसायनियक खाद, बीज, जुताई, सिंचाई के बढते खर्च से मक्का के खेती में लागत पुंजी कई गुणा बढ़ चुकी है. डीजल सहित खेती करने के संसाधन का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है. उस हिसाब से मक्का के वर्तमान दर से खेती का लागत पुंजी का निकल पाना कठिन है. परिक्षेत्र के किसान मुख्य नगदी फसल के रूप में सैकड़ों हैक्टियर क्षेत्र मे खेती करते आये है. मक्का फसल पैदावार के लिए जिले के सीमावर्ती क्षेत्र का भुभाग अहम साबित होता आया है. उधर रैक प्वांइट पर मक्का खरीदारी और माल गाड़ियों में मक्का लोडिंग के लिये आने वाले कुछ सप्ताह में चहल पहल बढ़ने की उम्मीद है. दरों पर अंकुश रखने की नहीं होती है व्यवस्था जानकारी अनुसार सरकारी स्तर पर मक्का मूल्य पर अंकुश बनाये रखने के लिये कोई व्यवस्था नहीं है. सरकार के घोषणा अनुरूप स्थानीय स्तर पर मक्का के खरीदारी में अंतर बना रहता है. जिसका नुकसान कृषकों को उठाना पड़ता है. आर्थिक लाचारी में किसानों को बाजार के तय कीमतों पर मक्का बेचना पड़ता है. खास कर छोटे और साधन विहिन किसानों को तैयार मक्का फसल को बेचने की मजबूरी होती है. खेती का कर्ज चुकता करने के लचारी में किसान मक्का फसल की बिक्री कर जाते है. नतीजन किसान कर्ज के गिरफ्त से बाहर नहीं निकल पाते है.

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