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कटिहार रेल मंडल में हाथी गलियारा बनाने को लेकर लगाया जा रहा ईडीएस सिस्टम

कटिहार रेल मंडल में हाथी गलियारा बनाने को लेकर लगाया जा रहा ईडीएस सिस्टम

– इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम के तहत हाथी रेलवे लाइन से रहता है दूर – पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने रेल पटरियां पार कर रहे 160 से अधिक हाथियों की जान बचाई कटिहार रेलवे ट्रैक पार कर रहे हाथी गलियारा बनाने व रेलवे ट्रैक पर इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम लगाने का कार्य प्रगति पर है. ताकि हाथियों की मौत पर कमी आये तथा रेलवे जान माल के नुकसान से बचें. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने अपने नेटवर्क में हाथी टकराव की घटनाओं को रोकने तथा सुरक्षित, निर्बाध ट्रेन परिचालन सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय है. इन निरंतर प्रयासों ने वर्ष 2025 में 160 से अधिक हाथियों का जीवन संरक्षित करने के परिणाम दिए हैं. जो पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे की वन्यजीव संरक्षण के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को पुनः दोहराते हैं. इस दिशा में एक प्रमुख कदम इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम (आईडीएस) का स्थापन है. जो डिस्ट्रिब्यूटेड अकॉस्टिक सिस्टम (डीएएस) सिद्धांतों का उपयोग करने वाली एक उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित प्रौद्योगिकी है. यह प्रणाली रेल पटरियों के पास हाथियों के आवागमन का पता लगाती है तथा तत्काल लोको पायलटों और नियंत्रण कक्षों को सटीक समय पर अलर्ट प्रदान करती है. जिससे समय पर निवारक कार्रवाई संभव हो जाती है. परिचालन संरक्षा में वृद्धि होती है. कटिहार रेल मंडल में भी आता है हाथी गालियारा आईडीएस को काफी पहले एनएफआर के उन प्रमुख सेक्शनों में चालू किया जा गया है जहां हाथी गलियारों को चिह्नित किया गया है. वर्तमान में, यह प्रणाली चार महत्वपूर्ण सेक्शनों में कार्यरत है. जिनमें रंगिया मंडल के अंतर्गत 24 किमी कामाख्या-आजरा-मिर्जा सेक्शन, अलीपुरद्वार मंडल के अंतर्गत 52 किमी मदारीहाट-नागराकाटा सेक्शन, लामडिंग मंडल के अंतर्गत 32 किमी हावाईपुर-लाम्सखांग-पाथरखोला-लामडिंग सेक्शन तथा तिनसुकिया मंडल के अंतर्गत 23 किमी तिताबर-मरियानी-नकचारी सेक्शन शामिल है. कुल मिलाकर, ये स्थापनाएं 627 किमी हाथी गलियारों तथा 131 किमी ब्लॉक सेक्शनों को कवर करती हैं, जो संवेदनशील वन्यजीव क्षेत्रों में सुरक्षा को काफी हद तक बढ़ाती हैं. इसकी सफलता के बाद, आईडीएस प्रणालियों को वर्तमान में कई मंडलों में स्थापित करने का कार्य चल रहा हैं. जिनमें अलीपुरद्वार में 92 किमी, कटिहार में 25 किमी, रंगिया में 174 किमी, लामडिंग में 110 किमी. तथा तिनसुकिया मंडल में 12 किमी शामिल हैं. 146.4 हाथी गलियारों के साथ 413.4 ब्लॉक सैक्शन को करेगी कवर पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अंतर्गत सभी हाथी गलियारों को कवर करेगी, जो कुल 146.4 किमी हाथी गलियारों के साथ-साथ 413.42 किमी के कुल ब्लॉक सेक्शनों को कवर करेगी. जिससे एक सुदृढ़ और व्यापक सुरक्षा नेटवर्क का निर्माण होगा. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने ट्रेन-हाथी टक्कर को कम करने के लिए नवीन निवारक उपायों को अपनाया है. संवेदनशील समपार फाटकों पर प्लान बी प्रणाली लगाई गई है. इस प्रणाली में 400 मीटर तक सुनाई देने वाली मधुमक्खी की प्रबलित ध्वनियों का उपयोग होता है, जो हाथियों को रेल पटरियों के पास आने से रोकती है. वन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने सटीक समय की सूचना साझा करना, हाथी गलियारों में रात के वक्त गति प्रतिबंध, दृश्यों के आधार पर अस्थायी गति प्रतिबंध, ट्रेन चालक कर्मियों के संवेदीकरण, सतर्कता संकेतक चिह्नों की स्थापना तथा दृश्यता सुधारने के लिए झाड़ियों की सफाई के माध्यम से सुरक्षा को भी बढ़ाया है. राष्ट्रीय स्तर पर, रेलवे ने रेलवे ट्रैकों के पास हाथियों और अन्य वन्यजीवों का पता लगाने के लिए डिस्ट्रिब्यूटेड अकॉस्टिक सिस्टम (डीएएस) तकनीक का उपयोग कर एआई-सक्षम इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम (आईडीएस) वन्यजीव संरक्षण को मजबूत किया है. इसका उपयोग पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे पर सफल रहा है. यह प्रणाली अब देश के अन्य हिस्सों में विस्तारित की जा रही है. यह विस्तार अतिरिक्त 981 रूट किलोमीटर को कवर करेगा, जिससे रेलवे में कुल कवरेज 1,122 रूट किलोमीटर हो जायेगा, जो वन्यजीव संरक्षण और सुरक्षित ट्रेन परिचालन के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा. 2017 से पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में रेलवे पटरियों को पार करते समय 2,000 से अधिक हाथियों को संरक्षित किया है. कपिंजल किशोर शर्मा, सीपीआरओ एनएफ रेलवे

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