कुरसेला . एनएच 31 पर प्रतिदिन लगने वाले भीषण जाम से परिचालन व्यवस्था बदत्तर हो चुकी है. सड़क पर जाम के बनने वाले अवरोध से गतंव्य तक समय पर पहुंचने का कोई भरोसा नहीं रह गया है. मार्ग पर वाहनों के लगने वाले जाम का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. एनएच 31 पूर्वोत्तर के सात राज्यों को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण मार्ग है. प्रतिदिन इस सड़क मार्ग से देश के विभिन्न राज्यों का मालवाहक ट्रक, सवारी बस, लग्जरी वाहनों का परिचालन होता है. सरकार के मंत्री पदाधिकारियों का वाहन गुजरता है. देश के अन्य सड़कों की अपेक्षा इस मार्ग का परिचालन के अनुरूप का सुविधा विस्तार नहीं हो सका है. जबकि पिछले पांच वर्षो से सड़क पर परिचालन करने वाले वाहनों की संख्या कई गुणा बढ़ा है. विगत के दस सालों से इस सड़क को फोरलेन में बदलने की चर्चा होती रही है. धरातल पर चर्चा सिफर साबित हुआ है. मार्ग पर परिचालन करने वाले वाहनों की संख्या बढ़ने से दुर्घटनाएं भी बढ़ी है. सड़क पर वाहनों के परिचालन का भार बढ़ने के बावजूद बाजार से गुजरने वाली सड़क पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है. जिससे बाजार से गुजरने वाली सड़क संकरा हेकर छोटा पड़ जा रहा है. एनएचआई के सतत निगरानी के बाद भी मार्ग से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं हो सकी है. कुरसेला कोसी सड़क पुल की चौड़ाई कम होने से लग रहा जाम एनएच 31 सड़क का चौड़ीकरण में मामुली विस्तार के बाद सड़क पुल का विस्तार संभव नहीं हो पाया है. कोसी सड़क पुल का परिचालन व्यवस्था में छोटा पड़ने से आये दिन जाम लगने की समस्या उत्पन्न होते रहती है. जगह कम पड़ने के स्थिति में कोसी सड़क पुल पर लगे जाम को तोड़ना कठिन हो जाता है. ऐसे में कुछ समय का जाम को टूटने में घंटों लग जाता है. हालात ऐसे हो जाते है कि कुरसेला समेली से लेकर रंगरा तक तीन से चार किलोमीटर में वाहनों की दोनों तरफ लम्बी कतारे लग जाती है. बताया जाता है कि एनएच 31 को प्रस्तावित फोरलेन सड़क बनाने के प्रक्रिया के पूर्व कोसी नदी पर नया पुल का निर्माण किया जायेगा. प्रस्तावित फोरलेन बनने के अपेक्षा के पूर्व फिलहाल एनएच 31 पर परिचालन मे जाम के दुष्वारियों को झेलने की समस्याये बनी हुई है. कुरसेला चौक पर लगता है अक्सर जाम कुरसेला चौक पर एसएच 77 से नेशनल हाईवे से जुड़ने से टर्निग जाम की समस्या पैदा करती है. स्टैट हाइवे से एनएच पर परिचालन करने वाले वाहन अवरोध पैदा करता है. इस तरह के हालात टर्निग के दोनों तरफ से होता है. मार्ग के इस ट्रेनिंग प्वांट पर अधिक जगह नहीं होने से वाहनों को टर्न लेने की कठिनाई बनी रहती है. उस पर सड़क का अतिक्रमण यात्री बस, टोटो, ऑटो के पड़ाव होने से परिचालन की मुश्किलें अधिक बढ़ जाती है. सरकारी स्तर पर सड़क के मौजूद कठिनाइयों को दूर करने का अब तक कोई सार्थक कार्य नहीं हो सका है.
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