– घट रहा लगातार खेती का रकवा, विभाग मौन – आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे किसान प्रतिनिधि, कटिहार कभी जूट मिल कटिहार शहर वासियों के लिए वरदान साबित हुआ करता था. आरबीएचएम जूट मिल सरकारी, सनबायो प्रालिटेड डहेरिया हजारों हजार मजदूरों के लिए पनाहगार हुआ करता था. अगस्त 2015 में आरबीएचएम जूट मिल बंद हो गया. पिछले साल आरबीएचएम जूट पूरी तरीके से बंद होने से जहां कार्य करनेवाले मजदूरों के समक्ष आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दूसरी ओर जिले में जूट मिल बंद होने के कारण अब जूट उत्पादन में कमी आयी है. जूट किसानों को मजदूर नहीं मिलने के कारण चाह कर इसकी खेती कम करने लगे हैं. इतना ही नहीं किसानों को इसका उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण जूट किसान इससे अब विमुख होते जा रहे हैं. यही कारण है कि जूट की नगरी के नाम से देश भर में मशहूर जिला कटिहार जूट उत्पादन के मामले में पिछड़ता जा रहा है. हालांकि कृषि विभाग इसके प्रचार प्रसार के नाम पर लाखों लाख रूपये खर्च कर रहा है. बावजूद किसानों के बीच जूट खेती का लेकर असंमजस्य की स्थिति बरकरार है. किसान रविशंकर श्रवणे, संजय चौधरी, फरीद, अख्तर का कहना है कि जूट की खेती कभी किसानों के लिए वरदान हुआ करता था. आज भी इस खेती से जमीन और जीवन दोनों सुरक्षित है. लेकिन जूट मिल बंद होने के कारण अब उनलोगों की स्थिति डावांडोल गयी है. जूट पर विभाग द्वारा पूरा जाे दिया जाये तो जमीन मजबूत होगी और किसान खुशहाल होंगे. यह नकदी फसल में आता है. किसानों की माने तो कटिहार से जूट मिल बंद होने के बाद खेती प्रभावित हुई है. इससे नकारा नहीं जा सकता है. जूट मिल बचाने के लिए सर्वदलीय नेता गये थे दिल्ली जैविक खेती व प्राकृतिक खेती पर सरकार का ध्यान है. लेकिन जूट से ध्यान हटाता चला रहा है. मिल बंद होने के बाद इसे बचाने को लेकर सर्वदलीय नेताओं द्वारा भरपूर प्रयास किया गया. इसके लिए सर्वदलीय नेताओं द्वारा दिल्ली कपड़ा मंत्री स्मृति इरानी से मिलने गये थे. सांसद तारिक अनवर, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री भाजपा निखिल कुमार चौधरी, विधायक तारकिशोर प्रसाद, डॉ राम प्रकाश महतो, राजद नेता समरेन्द्र कुणाल, मजदूर नेता सह भाजपा नेता विकास सिंह, विपिन चौबे शामिल थे. लेकिन किसी तरह का कोई नोटिस नहीं लिये जाने के कारण आज शहर जूट मिल विहीन है. सरकारी व अर्द्धसरकारी जूट मिल में मजदूरों को मिलता था काम कांग्रेस के छात्र नेता कुमार गौरव की माने तो शहर में सरकारी व गैर सरकारी में हजारों हजार श्रमिकों को काम मिला करता था. केवल आरबीएचएम जूट मिल में उस समय पांच हजार मजदूर कार्य करते थे. करीब 2004 के बाद से मिल बंद होना शुरू हो गया था. मुख्य रूप से पिछले दस साल पूर्व पूरी तरह से बंद हो गया. बंद होने तक एक हजार मजदूर कार्य करते थे. शहर में अब छोटे छोटे स्तर पर जूट मिल का संचालन हो रहा है. जिसमें फसिया और सिरसा का जूट मिल शामिल है.
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