कमाई बढ़ नहीं रही, पर आसमान छूती महंगाई गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार को कर परेशान कटिहार बढ़ती महंगाई ने आम घरों की रसोई का बजट बुरी तरह चरमरा दिया है. हालात ऐसे बन चुके हैं कि गृहणियों को अब रोजाना बाजार जाकर किसी न किसी चीज पर समझौता करना पड़ रहा है. खाद्य सामग्रियों से लेकर दाल, चावल, तेल और गैस सिलेंडर तक हर जरूरी सामान के दाम आसमान छू रहे हैं. महंगाई की मार ने मिडिल क्लास और लोअर क्लास परिवारों को सबसे अधिक प्रभावित किया है. जिसके कारण घर का खर्च संभालना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं रह गया है. हरी सब्जियों के दाम आसमान तो छू ही रहे है. दाल और रोजमर्रा की चीजों के बढ़ते दाम ने किचन का संतुलन पूरी तरह बिगाड़ दिया है. एक तरफ जहां सामान्य दाल-रोटी भी लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही है. दूसरी तरफ सरसों तेल व रिफाइंड जैसे जरूरी खाद्य तेलों ने भी घरों का बजट पटरी से उतार दिया है. गैस सिलेंडर के दाम 900 रुपये से नीचे आने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में खाना पकाने का खर्च ही आम परिवारों के लिए सिरदर्द बन चुका है. खाद्य सामग्रियों के बढ़ते दामों ने बढ़ाई आफत दरअसल खाद्य सामग्रियों के दाम पहले की तुलना में तेजी से बढ़े हैं. सरसों तेल जो पहले 100 से 110 रुपये लीटर तक आराम से मिल जाता था. वर्तमान में 180 रुपये से लेकर 210 रुपये लीटर तक पहुंच गया है. रिफाइंड तेल का मूल्य भी 150 रुपये लीटर तक पहुंच गया है. इतना ही नहीं, दाल के दामों में भी लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. इन बढ़ते दामों के कारण दाल चावल का साधारण भोजन भी महंगा हो गया है. गृहणियों ने साझा किया दर्द महंगाई पर जब गृहणियों से बात की गई तो उन्होंने दिल खोलकर अपनी परेशानी और दर्द साझा किया. गृहणी सुजाता देवी ने कहा की घर चलाना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं रह गया है. महंगाई पर सरकार का कोई जोर नहीं चल रहा. हर दिन किसी न किसी चीज के दाम बढ़ जाते हैं. सरसों तेल तो जैसे आम घरों की पहुंच से बाहर हो गया है. आमदनी बढ़ नहीं रही और खर्चे दुगने होते चले जा रहे हैं. रागिनी देवी ने कहा की साग-सब्जी, दाल, तेल कुछ भी सस्ता नहीं मिल रहा. रोजमर्रा की जरूरत की चीजें हैं. लेकिन इनके दाम इतने बढ़ गए हैं कि बजट बनाना बेहद मुश्किल हो गया है. आने वाले समय में तीन समय का भोजन दो वक्त में बदलता नजर आ रहा है. अर्चना देवी का कहा की मिडिल क्लास और लोअर क्लास पर महंगाई का सबसे ज्यादा असर होता है. नेता तो बस वादे करते हैं. लेकिन महंगाई का बोझ आम परिवारों पर ही पड़ता है. रौशनी कुमारी ने कहा की एक सामान्य परिवार इस महंगाई में कैसे अपना घर चलाए, यह समझ से बाहर हो गया है. लगता है कि अब हर महीने केवल जरूरी चीजें खरीदने के लिए ही सोच-समझकर खर्च करना पड़ेगा. गौरी कुमारी ने कहा की हर बार उम्मीद करते हैं कि कुछ सामान सस्ता होगा, लेकिन हर बार उसके दाम और बढ़ जाते हैं. अब रसोई का बजट सम्भालना किसी जंग लड़ने जैसा हो गया है. महंगाई के कारण आम परिवारों पर बढ़ा दबाव महंगाई का दबाव अब इतना बढ़ गया है कि गृहणियां कई चीजों में कटौती करने को मजबूर हो गई हैं. जहां पहले घरों में सब्जी, दाल और तेल का जरूरत के हिसाब से स्टॉक रखा जाता था. अब लोग कम मात्रा में खरीददारी कर रहे हैं. गृहणियां बता रही हैं कि अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में तीन समय का भोजन भी नसीब नहीं होगा. लोगों का सरकार पर बनी हुई आस लगातार बढ़ती महंगाई ने आम जनों के जीवन को कठिन बना दिया है. सरकार के स्तर पर राहत की कोई ठोस पहल नहीं दिख रही. ऐसे में लोग अभी भी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जल्द ही कीमतें स्थिर होंगी. ताकि रसोई का बजट फिर से पटरी पर आ सके. फिलहाल बढ़ती महंगाई की मार ने हर वर्ग को परेशान कर रखा है. लोग मजबूरी में समझौता कर घरों का खर्च चला रहे हैं. वर्तमान समय में खाद सामग्री की कीमत सामान्य चावल 38 रु किलो आटा 33 रु किलो चना दाल 80 रु किलो रहार दाल 120 रु किलो मुंग दाल110 रुपये किलो मसूर दाल 120 रु किलो कलाय दाल 120 रु किलो सरसो तेल 180 से 210 रु लीटर रिफाइन 150 रु लीटर चीनी 48 रु किलो नमक 15 रु किलो
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