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स्वास्थ्य विभाग के ढुलमूल रवैये से ब्लड बैंक में सेपरेटर मशीन लगाने में आ रही अड़चन

स्वास्थ्य विभाग के ढुलमूल रवैये से ब्लड बैंक में सेपरेटर मशीन लगाने में आ रही अड़चन

– जल्द इस पर काम नहीं हुआ तो दूसरे जिले को सेपरेटर मशीन कर दिया जायेगा आवंटित कटिहार ब्लड सेन्टर सदर अस्पताल कटिहार में ब्लड सेपरेटर मशीन लगने को लेकर स्थान का चयन तो हो गया है. पर मामला भवन निर्माण को लेकर अटकलें अभी भी जारी है. सेपरेटर मशीन लगने को लेकर नया भवन निर्माण होना है. विभाग के पास भवन निर्माण को लेकर कोई फंड नहीं है. निर्माण को लेकर सांसद या विधायक फंड से भवन निर्माण किया जा सकता है. लेकिन इस मामले में जिला स्वास्थ्य विभाग का रवैया काफी सुस्त है. यदि जल्दी भवन निर्माण को लेकर कोई भी प्रक्रिया शुरू नहीं होती है तो ऐसे में सेपरेटर मशीन दूसरे जिला का आवंटित हो जायेगा. ब्लड सेंटर में सेपरेटर मशीन स्थापित हो इसको लेकर एक महीना पूर्व ही स्टेट से आई टीम और जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की एक बैठक हुई थी. जहां साफ शब्दों में कहा गया था कि बहुत जल्द भवन निर्माण को लेकर प्रक्रिया में लाया जाय. सेपरेटर मशीन कटिहार को आवंटित कर दिया जायेगा. यदि इस मामले में यदि देरी होती है तो यह मशीन दूसरे जिला काे आवंटित कर दी जाएगी. स्वास्थ्य विभाग की ओर से सांसद मद से भवन निर्माण को लेकर रूपरेखा तैयार की गई थी लेकिन इस मामले में विभाग अधिकारियों का अभी तक सुस्त रवैया है. सूत्रों की माने तो भवन निर्माण का कार्य सांसद मद से किया जाय या विधायक मद से हो इसको लेकर मामला उलझा हुआ है लेकिन इस उलझन के कारण सेपरेटर मशीन दूसरे जिला को आवंटित होने के कगार पर है. कटिहार जिला अस्पताल में सेपरेटर मशीन नहीं होने के कारण जिला वासियों को पूर्णिया का चक्कर लगाने के लिए मजबूर होना पड़ता है. यदि कटिहार सदर अस्पताल के ब्लड सेंटर में सेपरेटर मशीन की स्थापित हो जाती है तो जिले वासियों के लिए यह किसी सौगात से काम नहीं होगा. ब्लड सेपरेटर मशीन एक ऐसी मशीन है जो रक्त से विभिन्न घटकों को अलग करती है. जैसे कि प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, लाल रक्त कोशिकाएं, यह मशीन एक सेंट्रीफ्यूज का उपयोग करती है जो रक्त को घुमाकर उसके घटकों को अलग करती है. एफेरेसिस भी कहा जाता है. थैलेसीमिया ऐसे मरीजों को लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी) की जरूरत होती है. ब्लड से आरबीसी अलग करके थैलेसीमिया के मरीजों को चढ़ाना आसान होगा. डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाये जाते हैं, इस मशीन से खून से प्लेटलेट्स अलग किए जायेंगे. बर्न केस यानी जले हुए बर्न केस के मरीजों को बचाने के लिए प्लाजमा की जरूरत होती है. व्यवस्था इस मशीन से प्लाजमा और फ्रेश फ्रोजन प्लाजमा (एफएफपी) को अलग कर चढ़ाया जा सकेंगे. एड्स के मरीजों को श्वेत रक्त कणिकाएं (डब्ल्यूबीसी) की जरूरत होती है. यह मशीन खून से डब्ल्यूबीसी को अलग करने में भी कारगर साबित होती है. कहते है सिविल सर्जन ————————– प्रभारी सिविल सर्जन डॉ जेपी सिंह ने बताया कि सेपरेटर मशीन स्थापना को लेकर भवन निर्माण को लेकर कहां मामला फंसा हुआ है. इसकी जानकारी ली जायेगी. निर्माण कार्य जैसे भी हो जल्द इस पर काम किया जायेगा.

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