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संसाधन के अभाव में छोड़ रहे परंपरा, मरने के बाद जलाने के बदले शव को दफना रहे

संसाधन के अभाव में छोड़ रहे परंपरा, मरने के बाद जलाने के बदले शव को दफना रहे

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प्रभात खबर आपके द्वार मुहिम में दलन पूरब पंचायत के एक दर्जन टोला के लोगों ने बतायी अपनी सबसे बड़ी समस्या- शमशान की जमीन पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा, जनप्रतिनिधि मौन – कई टोला के करीब दस हजार के एक ही वर्ग के लोग हैं प्रभावित कटिहार आम से लेकर खास की समस्याओं को लेकर प्रभात खबर आपके द्वार मुहिम के तहत रविवार को प्रभात खबर की टीम दलन पूरब पंचायत पहुंची. जहां एक दर्जन टोला के लोगों ने जो समस्या बतायी वह काफी मामिक है. लोगों ने जिस समस्या को लेकर एक स्वर में अपनी समस्या को बताते हुए कहा कि वे सभी एक ही एससी वर्ग से आते हैं. मुख्य समस्या उनलोगों की शमशान की है. संसाधन के अभाव में वे लोग अपनी पुरानी परम्परा कहें या अंतिम संस्कार की विधि को छोड़ रहे हैं. आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से एक ओर जहां मरने के बाद शव को जलाने के बदले दफनाना शुरू कर दिया है, तो दूसरी ओर भसना स्थित सरकारी जमीन जहां शमशान के रूप में इस्तेमाल करते आ रहे हैं. उसे दबंगों ने कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है. दूसरे के खेत के मेढ पर अब तो दफनाने के लिए भी मना किया जाने लगा है. जिसके कारण यह समस्या उनलोगाें के लिए काफी खतरनाक साबित हाेने लगा है. यह बातें प्रभात खबर की ओर से शुरू किये गये प्रभात खबर आपके द्वार मुहिम के दौरान पुराना टोला के लोगों के घरों से निकलकर सामने आयी हैं. जहां सभी ने एक स्वर में बताया कि यह समस्या एकाध साल की नहीं बल्कि करीब पचासों साल पुरानी है. जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक इस समस्या से अवगत कराया गया. लेकिन अब तक मौन ही हैं. जिसके कारण अब ये लोग क्या करें क्या न करें की स्थिति में आ गये हैं. दलन पूरब पंचायत के पुराना टोला, डकैता टोला, रासो टोला, कॉलोनी टोला, सिरसा चौक के पीछे गुजर बसर करने वाले हजारों लाेगों का कहना है कि दलन पूरब पंचायत के बारह टोला, माेहल्ले के भूूमिहीन और गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले करीब दस हजार की आबादी पिछले पचास वषों से उपेक्षित हैं. सरकारी योजना के इस मोहल्ले में लाभ पहुंचाये जाने का दंभ भरा जा रहा है. लेकिन टोलों, मोहल्लों के लोगों को मरणोपरांत शव के जलाने व दफनाने की समुचित व्यवस्था तक नहीं होने से शमसान घाट की जमीन तलाश रहे हैं. इनलोगों की माने तो वर्षों पूर्व भसना के समीप सरकारी जमीन पर शव को दफनाने व जलाने का कार्य करते थे. देखरेख के अभाव में उक्त जमीन धीरे- धीरे अतिक्रमणकारी कब्जा जमाने लगे हैं. जिसके कारण उनलोगों को शव को दफनाने व जलाने के लिए परेशान होना पड़ता है. बरसात के दिनों में होती है काफी परेशानी फोटो 18 कैप्शन-जोगेन्द्र सादा आम दिनों में जहां तहां शव को जला या दफना दिया जाता है. सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के दिनों में होती है. बारिश होने पर जमीन में पानी भर जाता है. जिसके कारण यहां पर शव को दफनाया नहीं जा सकता है. दूसरे के खेतों में दफनाये जाने से गुस्से का शिकार होना पड़ता है. जोगेन्द्र सादा आर्थिक रूप से कमजोरी बन रहा बदलाव का कारण फोटो 19 कैप्शन- सुदामा देवी एससी वर्ग से होने के कारण उनलोगों का पेशा मजदूरी करना है. समय पर मजदूरी नहीं मिलने के कारण दिनाें दिन आर्थिक रूप से वे लोग कमजोर हो रहे हैं. अंतिम संस्कार को लेकर बदलाव यह भी एक कारण है. हालांकि जो आर्थिक रूप से सम्पन्न हैं. वे लोग शव को मनिहारी या कोसी घाट लेकर चले जाते हैं. सुदामा देवी दबंगों की दबंगई के सामने विवश फोटो 20 कैप्शन- गौतम सादा घर के किसी सदस्य के निधन के बाद वे लाेग परेशान हो जाते हैं. परेशानी केवल इसी बात की रहती है कि उनका अंतिम संस्कार कहां और कैसे किया जाये. जलाना तो दूर दूसरे के खेत में दफनाना भी मुश्किल हो जाता है. खेत के मेढ़ के समीप पहुंचने के बाद ही हड़का दिया जाता है. उन्हें वहां से भगा दिया जाता है. गाैतम सादा गरीबी के कारण नहीं पहुंच पाते मनिहारी फोटो 21 कैप्शन- विन्देश्वरी सादा रसो टोला, पुराना टोला, कॉलोनी टोला, रासो टोला, बीच टोला, पलटन टोला समेत अन्य टोला के लोग आथिक रूप से काफी कमजोर हैं,.गरीबी की वजह से भी ये लोग शव को लेकर मनिहारी नहीं पहुंच पाते हैं. जिसके कारण खेतों में शव को दफनाने का कार्य करते हैं. विन्देश्वरी सादा शमसान के लिए जमीन मुहैया कराने को लगा चुके हैं गुहार फोटो 22 कैप्शन- केसरी सादा शमसान की समस्या विकट है. स्थायी रूप से शमशान के लिए जमीन मुहैया कराने के लिए मुखिया, जिला प्रशासन तक को आवेदन देकर गुहार लगायी गयी है. लेकिन आज तक मौन रहने से शमशान घाट की समस्या प्रमुख है. शमशान के लिए जमीन मुहैया होने से लोग परेशानी से बच सकते हैं. केसरी सादा मनरेगा योजना में लिये जाने के बाद भी सिमटा है मामला फोटो 23 कैप्शन- रंजीत सादा टोले मोहल्ले के लोगों की माने तो 2022-23 में इसे मनरेगा योजना में लिया गया था. प्रस्ताव ठंडे बस्ता में चले जाने के कारण भसना की सीट नम्बर एक, खाता नम्बर 1833, खेसरा नम्बर 94, 122, 131, 132, 168 एवं 175 रकवा की लगभग 75 एकड़ जमीन का भी उनलोगों का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस पर अतिक्रमणकारी अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है. रंजीत सादा संसाधन के अभाव में होते हैं परेशान आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण इनलोगों के समक्ष श्मशान की सबसे बड़ी समस्या है. हालांकि इसको लेकर डीएम से लेकर सीएम तक को अवगत कराया गया है. दलन पूरब पंचायत के सभी बारह टोला में एक ही वर्ग से निवास करने वाले गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले हैं. इनलोगों की समस्या तब और अधिक बढ़ जाती है. जब बरसात के दिनों में इनके काेई अपने गुजर जाते हैं. दफनाने या जलाने में काफी परेशान होना पड़ता है. रविशंकर श्रवणे, उपसरपंच, दलन पूरब पंचायत श्मशान की जमीन है बड़ी समस्या उक्त टोले मोहल्ले के लोगों के लिए शमसान घाट की जमीन एक बड़ी समस्या है. सीओ से पैमाइश कराकर उक्त जगह पर श्मशान घाट बनाया जा सकता है. 2022-23 में मनरेगा योजना में इसे शामिल किया गया था. मनरेगा के इंजीनियर द्वारा यह कह कर नकार दिया गया कि बीस फीट गढ्ढे को मनरेगा द्वारा नहीं भरा सकता है. इस ओर और मजबूती से कार्य करने की जरूरत है. नैमूल हक, मुखिया, दलन पूरब पंचायत

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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