कटिहार फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को समुदाय स्तर पर एमएमडीपी किट्स उपलब्ध कराते हुए एमएमडीपी किट्स का उपयोग कर फाइलेरिया ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखने के लिए जिला भेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जेपी सिंह ने सभी प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया. प्रशिक्षण में सभी समुदायिक अधिकारियों को फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की पहचान कर उन्हें फाइलेरिया ग्रसित अंग को नियंत्रित रखने के लिए एमएमडीपी किट्स उपलब्ध कराते हुए फाइलेरिया ग्रसित अंग को नियंत्रित रखने की जानकारी दी. डॉ जेपी सिंह ने बताया कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है. जिसका सम्पूर्ण इलाज नहीं किया जा सकता है. ग्रसित मरीजों को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा समुदाय स्तर पर संचालित स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा एमएमडीपी किट्स उपलब्ध करायी जाती है. मरीजों को एमएमडीपी किट्स के रूप में फाइलेरिया बीमारी को नियंत्रित रखने के लिए जरूरी मेडिकल सुविधा उपलब्ध करायी जाती है. इसमें टब, मग, साबुन, तौलिया, रुई व मलहम रहता है. इसका समुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा मरीजों को उपलब्ध कराते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा मरीजों को इसके उपयोग के लिए विशेषज्ञ द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है. डॉ सिंह ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित अंगों का पर्याप्त उपचार नहीं किया जा सकता, लेकिन उसे नियंत्रित रखा जा सकता है. इसके लिए मरीजों को नियमित रूप से फाइलेरिया ग्रसित अंगों की साफ-सफाई करनी चाहिए और वहां मलहम लगानी चाहिए. फाइलेरिया ग्रसित अंगों में हुई सूजन को कम करने के लिए मरीजों को नियमित रूप से एक्सरसाइज करनी चाहिए, इससे सूजन को नियंत्रित रखने में सहायता होती है. नियमित रूप से किट्स का उपयोग करने और एक्सरसाइज करने से मरीज एक्यूट अटैक से सुरक्षित रह सकते हैं. जिससे उन्हें सामान्य जीवनयापन में कोई तकलीफ नहीं होगी. मौके पर भीडीसीओ एनके मिश्रा, भीडीसीओ सुप्रिया कुमारी, राजीव कुमार सिंह, भीबीडीएस जेपी महतो, विभिन्न प्रखंड के भीबीडीएस, समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) पिरामल स्वास्थ्य अधिकारी और अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे. छुआछूत से नहीं, मच्छरों के काटने से होता है फाइलेरिया वीडीसीओ एनके मिश्रा ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाला रोग है. जो ग्रसित मरीजों को पांच से 10 साल बाद पता चलता है. अगर मरीज शुरुआत से ही फाइलेरिया ग्रसित अंग का ध्यान रखे तो वे ज्यादा संक्रमित होने से सुरक्षित रह सकते हैं. मरीजों को अस्पताल में उपलब्ध दवाइयों के साथ फाइलेरिया ग्रसित अंगों की साफ सफाई व एक्सरसाइज नियमित रूप से करना आवश्यक है. फाइलेरिया बीमारी छुआछूत से नहीं होता है. अगर परिवार का कोई सदस्य फाइलेरिया ग्रसित है तो उसके साथ बैठने, खाने से सामान्य व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित नहीं हो सकते, अगर क्यूलेक्स मच्छर ग्रसित मरीज को काटने के बाद सामान्य व्यक्ति को काटती है तो वे फाइलेरिया ग्रसित हो सकते हैं. इससे सुरक्षित रहने के लिए लोगों को नियमित मच्छरदानी का उपयोग जरूर करना चाहिए.
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