यहां से यात्रा करना सजा के समान
मिरचाईबाड़ी अस्थायी बस स्टैंड में यात्री सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. हद तो यह है कि यात्रियों काे धूप से बचाने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. बैठने व आराम करने की बात तो दूर की बात है. पेयजल, शौचालय, मूत्रालय आदि की भी व्यवस्था नहीं है. ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यात्री किन परेशानियों के बीच यात्रा करने को मजबूर हैं.
कटिहार : शहीद चौक से बस स्टैंड हटने के बाद यात्रियों की परेशानी बढ़ गयी है. बगैर किसी तैयारी के बस स्टैंड मिरचाईबाड़ी में शिफ्ट कर दिया गया है. मिरचाईबाड़ी अस्थायी बस स्टैंड में यात्री सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. हद तो यह है कि यात्रियों काे धूप से बचाने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. बैठने व आराम करने की बात तो दूर की बात है. पेयजल, शौचालय, मूत्रालय आदि की भी व्यवस्था नहीं है. ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यात्री किन परेशानियों के बीच यात्रा करने को मजबूर हैं. सवाल उठता है कि आखिर यात्रियों को सुविधा क्यों नहीं दी जा रही है,
जबकि बस स्टैंड से नगर निगम प्रशासन को सालाना लाखों का राजस्व प्राप्त होता है. दरअसल बस स्टैंड को पहले उदामारख्खा ले जाने का निर्णय लिया गया था. नये बस स्टैंड के लिए वहां तैयारी भी की जा रही थी. लाखों रुपये वहां फूंक भी दिये गये, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला. ऐसा इसलिए हुआ कि नये बस स्टैंड में जाने से बस मालिकों व चालकों ने इनकार कर दिया. उनका तर्क था कि शहर से दूर होने एवं गौशाला रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज नहीं होने के कारण हमेशा वाहन जाम में फंसेंगे और यात्री परेशान होंगे. बस का परिचालन भी विलंब से होगा.
जब तक गौशाला रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज का निर्माण नहीं हो जाता, नये बस स्टैंड से बसों का परिचालन संभव नहीं है. बस मालिकों का तर्क काफी हद तक ठीक भी है. बस चालकों को जब नये बस स्टैंड से वाहन चलाने के लिए कहा गया, तो चालकों ने वहां जाने से इनकार करते हुए हड़ताल शुरू कर दिया. बाद में आनन-फानन में प्रशासन ने बस मालिकों के साथ वार्ता की ओर यह तय हुआ कि जब तक गौशाला रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज का निर्माण नहीं हो जाता,
तब-तक मिरचाईबाड़ी से ही बसों का परिचालन होगा. बस सेवा तो चालू हो गयी, लेकिन यात्री सुविधा की किसी को कोई चिंता नहीं है. प्रभात खबर ने शनिवार को मिरचाईबाड़ी के नये बस स्टैंड का जायजा लिया और जानने का प्रयास किया कि यात्रियों को कितनी परेशानी उठानी पड़ रही है.
यात्री सुविधा के नाम पर कुछ नहीं
शनिवार को बडी संख्या में महिला, पुरूष, बच्चे, वृद्ध यात्री विभिन्न स्थानों पर जाने के लिए दोपहर चिलचिलाती धूप में भटक रहे थे. किसी को पूर्णिया जाना था, तो कोई भागलपुर जाने के लिए बस का इंतजार कर रहा था. जगह के अभाव में सड़क किनारे जहां-तहां बसों को खड़ा कर दिया गया था. यात्री अपने परिवार, बच्चे व भारी-भरकम सामान के साथ बस की प्रतीक्षा कर रहे थे. पसीने से तरबतर पूर्णिया निवासी राजेंद्र कुमार ने बताया कि इस तरह का बस स्टैंड तो आज तक हमने देखा ही नहीं है. जहां धूप से बचने के लिए छांव तक की व्यवस्था नहीं है. पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है. बच्चे प्यास से परेशान हैं. काफी ढूंढने के बाद चापाकल से बच्चों को पानी पिलाया और खुद प्यास बुझायी. इसी तरह दर्जनों यात्रियों का हाल था, जो इधर से उधर भटक रहे थे.
शेड कौन कहे, पानी तक की व्यवस्था नहीं
इस कड़ी धूप में हर दस मिनट पर लोगों को प्यास का एहसास होता है. बच्चों को तो और भी ज्यादा प्यास सताती है. ऐसे समय में पानी नहीं मिले तो आप क्या करेंगे. कुरसेला के श्याम ठाकुर अपने दो छोटे-छोटे बच्चों, पत्नी व वृद्ध मां के साथ बस स्टैंड में पहुंचे. उनके बच्चे प्यास लगने पर पानी की मांग करने लगे. गरीब होने की वजह से बोतल बंद पानी खरीद कर पी नहीं सकते. ऐसे में चापाकल की खोज उन्होंने शुरू की. दूसरे लोगों ने उन्हें चापाकल पेड़ के नीचे होने की बात बतायी, तब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली. मूत्रालय व शौचालय की व्यवस्था नहीं होने की वजह से खासकर महिला यात्रियों की परेशानी बढ़ गयी है.