कटिहार : संतान की दीर्घायु के लिए महिलाओं के लिए जिउतिया पर्व का बहुत बड़ा महत्व है. जीउतिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तक मनाया जाता है. तीन दिवसीय पर्व को लेकर इस बार बनारसी और मिथिला पंचांग कैलेंडर एकमत नहीं है.
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जिऊतिया पर बनारसी व मिथिला पंचांग एकमत नहीं
कटिहार : संतान की दीर्घायु के लिए महिलाओं के लिए जिउतिया पर्व का बहुत बड़ा महत्व है. जीउतिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तक मनाया जाता है. तीन दिवसीय पर्व को लेकर इस बार बनारसी और मिथिला पंचांग कैलेंडर एकमत नहीं है. यही वजह है कि जिउतिया व्रत इस बार […]
यही वजह है कि जिउतिया व्रत इस बार दो दिन हो गया है. बनारस पंचांग के अनुसार पंडित बबलू पाठक की मानें तो सप्तमी भेदा अष्टमी व्रत नहीं होता है. पुत्र जीविका व्रत कथा में यह स्पष्ट कहा गया है. पंडित बबलू पाठक ने बताया कि इस बार 21 तारीख शनिवार को नहाए खाय है.
22 तारीख को निर्जला उपवास व्रत तथा 23 तारीख सोमवार को प्रात: कालीन पारणा किया जायेगा. जबकि पंडित राम कन्हाई शास्त्री की मानें तो मिथिला पंचांग के अनुसार 20 तारीख शुक्रवार को नहाए खाय है. 21 तारीख की सुबह 5:00 बजे तक ओतगन तथा सुबह 5:00 बजे के बाद निर्जला उपवास व्रत के साथ 22 तारीख की दोपहर 2:50 मिनट दिन में पारणा का समय है.
हालांकि दोनों पंचांग को लेकर परवर्तियों में काफी असमंजस बना हुआ है. दोनों पंचांग के अनुसार इस वर्ष दो दिन पूजा अर्चना की जा रही है. जिउतिया पर्व को लेकर बाजारों में भी गुरुवार को परवर्तियों की काफी चहल-पहल रही.
पूजा को लेकर सभी सामग्री की खरीदारी करते दिखे, हिंदू सनातन धर्म में जिउतिया पर्व का बहुत ही बड़ा महत्व है. अपनी संतान की दीर्घायु के लिए महिलाएं इस पर्व को बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ करती है. तीन दिवसीय इस पर्व में पहला दिन नहाए खाय है. इस दिन परवर्ती नहाने के बाद एक बार भोजन करती है.
दूसरे दिन भर कुछ नहीं खाती है. दूसरा दिन व्रत को खुर जिउतिया कहा जाता है. यह दिन व्रत का विशेष दिन है. जो की अष्टमी को पड़ता है. इस दिन परवर्ती निर्जला उपवास रहती है. यहां तक कि रात को भी पानी नहीं पीती है. तीसरे दिन पारणा किया जाता है. इस दिन व्रत का पारणा करने के बाद ही भोजन किया जाता है. पूजा को लेकर सभी परवर्ती देर रात तक अपनी तैयारी में जुटे रहे.
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