कटिहार : लोकसभा चुनाव के लिए कटिहार संसदीय क्षेत्र में 18 अप्रैल को मतदान होगा. ऐसे में अब करीब 20 दिन बचे हैं. पर, इस बीच यहां का सियासी पारा बढ़ने लगा है. खासकर जिस तरह एनडीए से बगावत कर विधान पार्षद अशोक अग्रवाल निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में कूदे हैं,
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अग्रवाल के अगले कदम पर टिकी हैं सबकी निगाहें
कटिहार : लोकसभा चुनाव के लिए कटिहार संसदीय क्षेत्र में 18 अप्रैल को मतदान होगा. ऐसे में अब करीब 20 दिन बचे हैं. पर, इस बीच यहां का सियासी पारा बढ़ने लगा है. खासकर जिस तरह एनडीए से बगावत कर विधान पार्षद अशोक अग्रवाल निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में कूदे हैं, उससे न […]
उससे न केवल एनडीए की ओर से जदयू प्रत्याशी दुलाल चंद्र गोस्वामी की परेशानी बढ़ गयी है, बल्कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर भी दबाव बढ़ा हुआ है.
यही वजह है कि बुधवार को भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व राज्य मुख्यालय के प्रभारी देवेश कुमार द्वारा पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए अशोक अग्रवाल से नाम वापस लेने का आग्रह किया गया था. साथ ही नाम वापस नहीं लेने की स्थिति में अनुशासनिक कार्रवाई करने का अल्टीमेटम भी दिया गया था.
इसका असर जब श्री अग्रवाल पर नहीं पड़ा, तो गुरुवार को प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय भी उन्हें मनाने यहां पहुंच गये. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के अचानक कटिहार पहुंचने पर यहां का सियासी पारा बढ़ गया. जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के सभी चौक-चौराहों पर आम लोग भी इस प्रकरण को लेकर तरह-तरह की चर्चा करने लगे.
एनडीए के साथ-साथ महागठबंधन व स्थानीय सियासी जानकार श्री अग्रवाल के अगले कदम व रणनीति पर निगाहें टिकाये हुए हैं. सबकी नजर अब शुक्रवार को नाम वापसी के दिन पर टिकी है. यह अलग बात है कि ढाई-तीन घंटे तक प्रदेश अध्यक्ष श्री राय द्वारा मान मनोव्वल करने के बाद भी श्री अग्रवाल नहीं माने तथा निर्दलीय चुनाव मैदान में डटे रहने की बात कही.
जानकारों की माने तो शीर्ष स्तर पर श्री अग्रवाल पर दबाव बनाया जा रहा है. ऐसा भी माना जा रहा है कि शुक्रवार को श्री अग्रवाल नाम वापस भी ले सकते हैं. इसके पीछे लोग कई तरह के तर्क भी देते हैं. हालांकि गुरुवार को श्री अग्रवाल ने साफ कह दिया कि वह जनता की भावनाओं को देखते हुए चुनाव मैदान में डटे रहेंगे.
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