रामगढ़. पिछले तीन दिनों से पहाड़ी क्षेत्र में हो रही बारिश व डैम से नदी में पानी छोड़े जाने के बाद गोरिया नदी के उफान से दो प्रखंडों की चार पंचायतों की सैकड़ों एकड़ धान की फसल चौथी बार डूब गयी है. वहीं, सिसौडा-मुखराव पथ पर चंदेश छलके पर नदी की तेज जलधारा बहने से दोनों प्रखंड का आवागमन बंद है. अब नुआंव प्रखंड की चार पंचायत के ग्रामीणों को रामगढ़ बाजार जाने के लिए एवती गांव के रास्ते 12 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय कर बाजार पहुंचना पड़ रहा है. नदी के उफान से एक तरफ जहां आम जनजीवन परेशान है, वहीं दूसरी तरफ मेहनत से लगाये गये चौथी बार धान की सैकड़ों एकड़ फसल डूबने के बाद किसानों का दर्द परवान पर है. अक्सर प्रत्येक वर्ष पहाड़ों में हुई हल्की बारिश के बाद नदी के उफान से किसानों की फसल डूब जाती है, जिससे उन्हें लाखों रुपये के नुकसान उठाने पड़ते हैं. उक्त ज्वलंत समस्या को लेकर कोई स्थायी समाधान प्रशासन द्वारा नहीं किया जा सका है. किसानों का कहना है कि गोरिया नदी के ऊपर अगर एक बड़े पुल का निर्माण हो जाये, तो मुख्य सड़क से हर वर्ष आवागमन प्रभावित होने की समस्या से ग्रामीणों को निजात मिल जाती. वहीं, दूसरी तरफ नदी किनारे की जमीन को अगर दोनों प्रखंड के सीओ द्वारा नदी के परिधि को चिह्नित कर गर्भ की खुदाई करके गाद की सफाई करा दी जाये, तो समस्या का समाधान काफी हद तक हो सकता है. # क्या कहते हैं किसान –चंदेश के किसान अरुण कुमार राय ने कहा चौथी बार गोरिया के उफान से सात एकड़ धान की फसल पूरी तरह डूब चुकी है. दो माह पूर्व बाढ़ के दौरान चंदेश छलके पर आये सभी दल के नेता आये, विधायक जी के साथ कृषि पदाधिकारी, दोनों अंचल के सीओ भी आये, किंतु आज तक ना तो डूबी फसल का मुआवजा मिला, ना ही बाढ़ की समस्या का समाधान हुआ. प्रत्येक वर्ष फसल डूबने से किसानों की माली हालत खराब है. फसल बीमा कराने के बाद भी इसका लाभ नहीं मिलता है. # चंदेश के किसान टिंकू राय ने कहा नदी उफान में चौथी बार धान की तैयार फसल पूरी तरह डूब चुकी है. प्रत्येक वर्ष फसल के डूबने से किसानों के लाखों रुपये के नुकसान होते हैं. सरकार अगर गोरिया नदी के गर्भ की खुदाई करके उसका चौड़ीकरण करा दे, तो लोगों को बाढ़ की समस्या से निजात मिल जायेगी. # चंदेश के किसान आकाश राय ने कहा तीस वर्षों से गोरिया नदी के उफान से किसानों के धान की फसल बर्बाद हो रही है. इस सीजन में चौथी बार नदी के उफान से 10 एकड़ धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. 70 वर्षों से किसानों के इस ज्वलंत मुद्दे पर आज तक ना तो सांसद, ना ही किसी विधायक द्वारा नदी की खुदाई व बाढ़ से निजात दिलाने को लेकर कोई ठोस पहल की गयी.
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