मोहनिया सदर. प्रखंड की अधिकतर पंचायतों में डोर टू डोर कचरा उठाव की योजना लगभग पूरी तरह ठप है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सफाई कर्मियों को पारिश्रमिक का भुगतान नहीं होना भी बताया जा रहा है. जबकि, कुछ पंचायतों में अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई का निर्माण ही नहीं हुआ है. वहीं, जहां अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई बनी भी है तो वीरान पड़ी है. बघिनी पंचायत के बहदुरा के समीप दुर्गावती मुख्य नहर के उत्तरी तट के बगल हजारों रुपये की लागत से लंबे समय से अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई बन कर तैयार है, इसके बावजूद पंचायत के घरों से इकट्ठा किया गया कूड़ा कचरा अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई में रखने के बजाय पूर्व की तरह सड़कों के किनारे गिरा कर गंदगी फैलायी जा रही है. स्थिति यह है कि हवा के झोंकों से सड़क किनारे डंप किया गया कूड़ा कचरा व पॉलीथिन उड़ कर उक्त बाइपास पथ से गुजरने वाले लोगों के शरीर पर आ रहा. ऐसे में लोगों के जबान पर बड़ा सवाल है कि आखिर गांव में स्वच्छता का ढिंढोरा पीटने वाले हाकिम कब तक गांव की गंदगी सड़कों के किनारे डंप करते रहेंगे! यह कैसी सफाई है कि गली व घरों से कूड़ा कचरा का उठाव कर उसको सड़कों के किनारे लाकर गिरा दिया जाये. पंचायत मुख्यालय बघिनी के घरों से निकला कूड़ा कचरा जहां दुर्गावती मुख्य नहर के किनारे गिराया जाता है, वहीं इसी पंचायत के दसौंती गांव से डोर टू डोर इकट्ठा किये गये कचरे को सियापोखर मुख्य मार्ग के बगल डंप किया जाता है. हालांकि, हाकिमों की मेहरबानी से कुछ महीने पहले से कूड़ा कचरा का उठाव भी बंद हो गया है, फिर भी इन सड़कों से गुजरने वाले लोगों का कचरे की ढेर से निकलती दुर्गंध से सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. सरकार का निर्देश है कि पंचायत के गली-घरों से किया गया कूड़े कचरे के उठाव को अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई में रखा जाये, जहां से उसे सफाई कर्मियों द्वारा छांटकर अलग-अलग रखा जायेगा व जैविक खाद का निर्माण किया जायेगा. लेकिन, सबसे बड़ी विडंबना तो यह थी कि बघिनी पंचायत में लंबे समय से अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई बनकर तैयार है, फिर भी आज तक वीरान पड़ा हुआ है. जबकि, सफाई कर्मी पंचायत के घरों से उठाये गये कूड़े कचरे को अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई में रखने की बजाय सड़कों और तालाबों के किनारे गिर देते हैं. एक तरफ सरकार जल जीवन हरियाली के अंतर्गत तालाब, पोखरों का सौंदर्यीकरण कर जल संचय की बात करती है वहीं दूसरी तरफ बघिनी पंचायत में घरों से उठाव किया गये कूड़े कचरे को सरकारी तालाबों के किनारे गिराया दिया जाता, स्वच्छता की निगरानी करने वाले इसके जिम्मेदार कहां खो गये हैं, किसी को पता नहीं. # कई पंचायतों में नहीं हो रहा कूड़े कचरे का उठाव एक पंचायत ही नहीं बल्कि जिले के कई प्रखंडों की पंचायतों में घरों ते कूड़े कचरे का नियमित उठाव पूरी तरह से बंद है, जिससे सरकार की यह योजना धरातल पर सिर्फ दिखावा बनकर रह गयी है. भले ही इस योजना को अमलीजामा पहनाने में लाखों रुपये पानी की तरह बहा दिये गये, लेकिन सही मायने में इस स्वच्छता योजना का लाभ आज तक लोगों को नहीं मिल रहा है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह भी है कि पंचायत में बहाल किये गये सफाई कर्मियों को पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया जा रहा. कई पंचायतों में लंबे समय तक घरों और गलियों से कूड़े कचरे का उठाव करने के बाद जब सफाई कर्मियों को पारिश्रमिक नहीं मिला, तो उनके द्वारा प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय में बैठे पदाधिकारियों से गुहार लगायी गयी. इसके बावजूद जब किसी ने उनके पारिश्रमिक का भुगतान कराने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया, तो उन्होंने कार्य करना बंद कर दिया. इसका परिणाम है कि सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना फाइलों पर तो स्वच्छता की दौड़ लगा रही है, लेकिन धरातल पर औंधे मुंह गिरी पड़ी है, जिसे खड़ा कर पाना प्रशासन के लिए किसी चुनौती से काम नहीं है. # पारिश्रमिक के भुगतान में कहां हुई चूक पंचायत में सफाई कर्मियों, स्वच्छता पर्यवेक्षक, डाटा ऑपरेटर की चयन प्रक्रिया को लेकर शुरुआती दौर में पंचायतों के जनप्रतिनिधियों व कुछ पदाधिकारियों द्वारा यह हवा उड़ायी गयी थी कि सफाई कार्य करने के एवज में प्रत्येक सफाई कर्मी को 3000 रुपये प्रतिमाह पारिश्रमिक दिया जायेगा. इसी तरह अन्य पदों पर कार्य करने वाले स्वच्छता कर्मियों को भी उनके पद व कार्य के अनुसार पारिश्रमिक दिया जायेगा. इसे सुनने के बाद ग्रामीणों में इसे सरकारी नौकरी समझ चयन के लिए होड़ लग गयी. इसमें सबसे निचले पायदान वाले पद सफाई कर्मी बनने तक के लिए रुपये व पैरवी का खेल शुरु हुआ, जो आज भी चल रहा है. लेकिन जब सफाई कार्य करने के लंबे समय बाद भी पारिश्रमिक नहीं मिला, तो कुछ चयनित सफाई कर्मी अपने इस कार्य से मुंह मोड़ने लगे. अब संबंधित पदाधिकारी भी सफाई कर्मियों के पारिश्रमिक का भुगतान करने के नाम पर यह कहते हुए अपना पीछा छुड़ाने लगे हैं कि उनके पारिश्रमिक का भुगतान पंचायत के प्रत्येक घर से मासिक शुल्क के रूप में प्राप्त 30 रुपये वसूलने के बाद उसी राशि से किया जाना है. लेकिन, यहां तो स्थिति यह है कि गांव में रहने वाले अधिकांश व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से एक रुपये भी देने को तैयार नहीं हैं, ऐसी स्थिति में आखिर इन सफाई कर्मियों को पारिश्रमिक का भुगतान कहां से किया जायेगा, इसी उधेड़बून में सरकार की यह योजना दम तोड़ रही है. हालांकि, कुछ पंचायतों में सफाई कर्मियों को पारिश्रमिक का भुगतान भी पूर्व में किया गया है. # डंडवास पंचायत डंडवास पंचायत में कूड़ा निस्तारण केंद्र तो बना हुआ है, लेकिन जिन लोगों का घर अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई के नजदीक बना हुआ है उन घरों में रहने वाले लोग कूड़ा निस्तारण केंद्र में कूड़ा कचरा को यह कहते हुए नहीं रखने देते है कि गंदगी से निकलने वाली दुर्गंध हम लोगों को जीने नहीं देगी. इसकी वजह से डंडवास पंचायत में डोर टू डोर कूड़ा कचरा का उठाव बंद है, ऐसा पंचायत के मुखिया राजेश प्रसाद का कहना है # बेलौड़ी पंचायत # बेलौड़ी पंचायत में कही सरकारी जमीन उपलब्ध ही नहीं है, जहां अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई का निर्माण कराया जा सकें. पूर्व में कूड़ा कचरा का उठाव डोर टू डोर किया जाता था, लेकिन सफाई कर्मियों को लंबे समय से पारिश्रमिक का भुगतान नहीं होने की वजह से घरों से निकलने वाले कूड़ा कचरा का उठाव बंद है. अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई का निर्माण भूमि के अभाव में नहीं हो सका है, लेकिन बेलौड़ी को अमेठ पंचायत के अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई से टैग किया गया है, वहीं कूड़ा कचरा को रखवाने की बात कही गयी है. ऐसा पंचायत के मुखिया मीर इमरान का कहना है. # अमेठ पंचायत # अमेठ पंचायत में दो स्थानों को चिह्नित किया गया, लेकिन दोनों में से कही भी अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई का निर्माण अभी तक नहीं कराया गया है. घरों से निकलने वाले कूड़ा कचरा का उठाव नहीं के बराबर किया जा रहा है. लंबे समय से सफाई कर्मियों को पारिश्रमिक का भुगतान भी नहीं हुआ है. हाल के दिनों में दो माह का पारिश्रमिक का भुगतान किया गया है, ऐसा अमेठ पंचायत के मुखिया दिनेश प्रसाद प्रजापति का कहना है. # अकोढ़ीमेला पंचायत# अकोढ़ीमेला पंचायत में मिट्टी के अभाव में अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई का कार्य प्रभावित था, जो अब हो रहा है लगभग 10 दिनों में निर्माण कार्य पूर्ण हो जायेगा. डोर टू डोर कूड़ा कचरा का उठाव हो रहा है. कूड़ा निस्तारण केंद्र के अपूर्ण होने से वैकल्पिक व्यवस्था के तहत उसके बगल खाली जमीन पर कूड़ा कचरा रखा जा रहा है, ऐसा पंचायत के मुखिया विजय कुमार का कहना है. # उसरी पंचायत# उसरी पंचायत में अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई तो तैयार है, लेकिन कूड़ा कचरा का उठाव करने के एवज में सफाई कर्मियों को पारिश्रमिक का भुगतान करने के लिए प्रत्येक घर से लिये जाने वाले 30 रुपये मासिक शुल्क का भुगतान कुछ दिनों तक ग्रामीणों ने किया, फिर शुल्क देना बंद कर दिया. इसकी वजह से धीमी गति से घरों से निकलने वाले कूड़ा कचरा का उठाव हो रहा है. सफाई कर्मियों को पारिश्रमिक का भुगतान करने के लिए राशि उपलब्ध हो गयी है, जल्द ही भुगतान कर दिया जायेगा. एक सप्ताह में कूड़ा कचरा का उठाव शुरु हो जायेगा, ऐसा पंचायत के मुखिया रंगलाल पासवान का कहना है. # बघिनी पंचायत # बघिनी पंचायत में एक वर्ष से सफाई कर्मियों को पारिश्रमिक का भुगतान नही हो सका है जिसकी वजह से घरों से निकलने वाले कूड़ा कचरा का उठाव पूरी तरह ठप है अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई बनकर तैयार है उसमें कुछ कूड़ा कचरा रखा भी गया है सफाई कर्मियों को पारिश्रमिक का भुगतान होने के बाद कूड़ा कचरा का उठाव नियमित रूप से शुरु कर दिया जायेगा, प्रशासन द्वारा पूर्व में कहा गया था कि प्रत्येक वार्ड में दो सफाई कर्मी बहाल करना है और जब पारिश्रमिक के भुगतान की बात आयी तो एक व्यक्ति को पारिश्रमिक देने की बात कही जा रहीं है ऐसा पंचायत की मुखिया पुष्पा देवी के पति कामेश्वर राम का कहना है.
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