रामपुर. एक तरफ सरकार राज्य में आमलोगों को बेहतर व सुलभ चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर दूसरों को मौत से बचाने व गरीब असहाय लोगों को समुचित सेवा देने वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्वयं अस्वस्थ हो गया है. शनिवार को प्रभात खबर प्रतिनिधि द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर जब इसकी जानकारी ली गयी, तो अनेक प्रकार की समस्याएं आने लगी. अस्पताल में मरीजों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं, परंतु यहां पर्याप्त संख्या में चिकित्सक नहीं हैं. जबकि, आधी आबादी का इलाज रामभरोसे चल रहा है. महिला चिकित्सक के न होने के कारण नारी सशक्तीकरण की बात भी यहां बेइमानी लगती है. कहने को अस्पताल है, परंतु एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं, न ही दंत चिकित्सक है. इससे सारी सुविधा रहने के बावजूद यह अस्पताल प्राथमिक उपचार में भी लाचार दिखता है. यहां चिकित्सक के अभाव में मरीजों का प्राथमिक इलाज के बाद रेफर का पर्ची थमा दिया जाता है. बताया जाता है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चार चिकित्सक कार्यरत हैं. एक चिकित्सक रोस्टर के अनुसार रात में तो तीन डाॅक्टर रोस्टर के अनुसार दिन में कार्य करते है. जबकि, इनमें से ही एक डॉ चंदन कुमार अधौरा के प्रभारी भी है, जो कभी आते हैं तो कभी नहीं आते. एक डॉक्टर नीरज कुमार तीन दिन सोम, मंगल व बुधवार व दूसरे डॉक्टर अनिल कुमार शुक्रवार व शनिवार दोनों लोग ओपीडी कर चले जाते हैं. बाकी पूरे दिन व रात मिलाकर 24 घंटे प्रभारी डॉ रमेश कुमार के सहारे अस्पताल चलता है. देखा गया कि मात्र पांच एएनएम कार्यरत है, जिनसे रोस्टर के हिसाब से 24 घंटे ड्यूटी करायी जाती है. यहां प्रसव करने आयी महिलाओं का इन्ही एएनएम के सहारे पुरुष चिकित्सक की निगरानी में प्रसव का कार्य कराया जाता है. पूरे प्रखंड की आबादी दो लाख से अधिक है. बताया जाता है कि अस्पताल में चिकित्सक के स्वीकृत पद चार से पांच होनी चाहिए, परंतु मात्र तीन चिकित्सक पदस्थापित हैं. उसमें भी दो डॉक्टर मात्र ओपीडी कर घर चले जाते है. सोच सकते हैं कि ओपीडी के बाद इमरजेंसी से लेकर घटना-दुर्घटना सहित इलाज के लिए आये मरीजों का मात्र एक प्रभारी के सहारे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर कैसे इलाज होता होगा. – नहीं है एक भी महिला चिकित्सक की नियुक्त गौरतलब है कि इस हॉस्पिटल में एक भी महिला चिकित्सक भी नियुक्त नहीं है. प्रखंड क्षेत्र से आयी प्रसव कराने महिलाओं का भविष्य एएनएम के हाथों में है, उन्हीं के सहारे महिलाओं का प्रसव कराया जाता है. महिलाओं की जांच जेंट्स डॉ द्वारा ही किया जाता है या प्रसव के समय मरीज की स्थिति नाजुक होने पर या महिला डॉ का जरूरत महसूस होने पर भी एएनएम के बताये अनुसार जेंट्स डॉ से ही परामर्श लेने के लिए विवश रहती है. स्थिति यह है कि बाकी समय मात्र एक ही डॉक्टर के रहने के कारण क्या दवा देना है या क्या करना है, इसे लेकर भी मरीज व मरीज के परिजन भी असमंजस में रहते हैं, जबकि डिलिवरी के समय जच्चा और बच्चा का भविष्य राम भरोसे रहता है. इतना ही नहीं एएनएम की भी कमी रहने के कारण कार्यरत पांच एएनएम भी दो-दो कर तीन शिफ्ट में कार्य करती है. – भवन के अभाव में भी पीएचसी में स्वास्थ्य कर्मियों एवं मरीजों को होती है असुविधा भवन के अभाव में पीएचसी में स्वास्थ्य कर्मियों व मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. यहां आज की स्थिति में यह भवन भी जर्जर स्थिति में पहुंच गया है, जिससे कर्मियों को भी हमेशा अनहोनी घटना होने की संभावना बनी रहती है. वर्षा के मौसम में भवन से पानी का रिसाव होने के कारण पंखा, कंप्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामग्री शॉर्ट सर्किट के कारण खराब हो जाते हैं, जिससे कई दिनों तक असुविधा बनी रहती है. जबकि प्रभारी का भी कहना है कि जब डायरिया व अन्य इमरजेंसी या दुर्घटना के मरीज आते हैं, तो बहुत परेशानी हो जाती है. अस्पताल के अंदर शुद्ध पीने योग्य आरओ का पानी हमेशा मिलता है. गर्मी के मौसम में मशीन द्वारा शीतल जल भी लोगों के लिए उपलब्ध है. अस्पताल में ब्लड जांच से लेकर एक्सरे तक की सुविधा भी उपलब्ध है. यहां मात्र चिकित्सकों की कमी व भवन के अभाव के कारण सातों दिनों 24 घंटे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके विभाग के निर्देश पर आयुष डॉक्टर भी यहां नियुक्त नहीं किये गये हैं. # क्या कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश कुमार ने बताया कि चिकित्सकों के कमी होने कारण मरीजों को जो परेशानी हो रही, उसके लिए हमें खेद है. फिर भी हम यहां से किसी मरीज को बिना इलाज किये बगैर नहीं लौटने देते हैं. चिकित्सकों की कमी को लेकर हमने कई बार उच्च अधिकारियों को चिकित्सक बहाल कराने की सूचना दी है.
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