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Kaimur News : फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी कर रहे तीन शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज

शिक्षक बहाली के दौरान कितने पारदर्शी तरीके से शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, इसका पता निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा प्रमाणपत्रों की जांच के दौरान लग रहा है.

चैनपुर. शिक्षक बहाली के दौरान कितने पारदर्शी तरीके से शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, इसका पता निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा प्रमाणपत्रों की जांच के दौरान लग रहा है. शिक्षक बहाली के दौरान कितनी अनियमितता बरती गयी है, इसकी जानकारी भी निगरानी की जांच में सामने आ रही है. इस फर्जीवाड़ा में कौन-कौन से लोग शामिल हैं, इसका पता तो जांच के बाद ही चल सकेगा, लेकिन फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सालों से कार्य कर रहे गुरुजी पर अब निगरानी का शिकंजा कसना शुरू हो गया है. इसका ताजा उदाहरण चैनपुर व दुर्गावती थाने में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस निरीक्षक सह जांचकर्ता जहांगीर अंसारी द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी है. यहां जिले में फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नियोजित हुए तीन शिक्षकों के विरुद्ध निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा चैनपुर व दुर्गावती थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. इनमें उत्क्रमित मध्य विद्यालय मसोई खुर्द में पदस्थापित नागेंद्र कुमार, उत्क्रमित मध्य विद्यालय बौरई में पदस्थापित अभय कुमार मिश्रा व दुर्गावती प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय सरियांव में पदस्थापित शिक्षिका फूल कुमारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज होने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. अब ऐसे शिक्षक अपने बचाव के रास्ते तलाशने में लगे हैं, लेकिन अब निगरानी किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं दिख रही है. # चैनपुर थाने में दो शारीरिक शिक्षकों पर दर्ज हुई प्राथमिकी निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस निरीक्षक सह जांचकर्ता जहांगीर अंसारी द्वारा चैनपुर थाने में दिये गये आवेदन में 2014 से शारीरिक शिक्षक के रूप में उत्क्रमित मध्य विद्यालय मसोई खुर्द में पदस्थापित नागेंद्र कुमार व उत्क्रमित मध्य विद्यालय बौरई में शारीरिक शिक्षक के रूप में पदस्थापित अभय कुमार मिश्रा के विरुद्ध प्राथमिक दर्ज करायी गयी है. दिये आवेदन में उनके द्वारा दोनों शारीरिक शिक्षकों पर फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने का आरोप लगाया गया है. आवेदन में बताया है कि दोनों ही शारीरिक शिक्षकों द्वारा नियोजन के समय उत्तर प्रदेश के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से 2007 में शारीरिक शिक्षा प्रमाण पत्र की उपाधि प्रथम श्रेणी से प्राप्त होने से संबंधित प्रमाण पत्र जमा किया गया था. जब दोनों के सीपीएड के प्रमाण पत्रों की जांच की गयी, तो उनके प्रमाण पत्र फर्जी पाये गये. आवेदन में कहा गया कि नागेंद्र कुमार पिता सीताराम पाल ग्राम पढ़ौती द्वारा सीपीएड के अंक पत्र नामांकन संख्या एम 121527813 रोल नंबर 015682141 वर्ष 2007 प्राप्तांक 1196 श्रेणी प्रथम व अभय कुमार मिश्रा पिता ओमकार नाथ मिश्रा ग्राम पढ़ौती के सीपीएड के अंक पत्र नामांकन संख्या एम 241907803 रोल नंबर 0702437551 वर्ष 2007 प्राप्तांक 1186 श्रेणी प्रथम का सत्यापन चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ उत्तर प्रदेश के पत्रांक 175-भी, 20 जनवरी 2025 के माध्यम से प्राप्त हुआ, जिसमें दोनों शिक्षकों के अंकपत्र व प्रमाण पत्र विश्वविद्यालय द्वारा निर्गत नहीं पाये गये. इस प्रकार जांच से अभय कुमार मिश्रा व नागेंद्र कुमार का अंक पत्र गलत पाया गया. आवेदन में बताया गया है कि इस प्रकार नियोजित प्रखंड शिक्षक नागेंद्र कुमार व अभय कुमार मिश्रा द्वारा अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलीभगत कर उक्त अंक पत्र की कूटरचना कर कूट रचित अंक पत्र को असली के रूप में प्रयोग कर धोखाधड़ी से आपराधिक षड्यंत्र के तहत अवैध रूप से नियोजन प्राप्त किया गया है, जो एक संज्ञेय अपराध है. इस अवैध नियोजन में अन्य अज्ञात व्यक्तियों की संलिप्तता के संबंध में अनुसंधान की आवश्यकता है. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा दोनों शिक्षकों के साथ अन्य अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध धारा 420, 467, 468, 471,120(बी) भादवि के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. # जिला अपीलीय प्राधिकार के आदेश पर हुई थी नियुक्ति फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर विगत 10 वर्ष से भी अधिक समय से चैनपुर प्रखंड के अलग-अलग विद्यालय में कार्य कर रहे दो शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाये गये, जिसके बाद से ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. निगरानी द्वारा चैनपुर थाने में दिये गये आवेदन में बताया गया कि नागेंद्र कुमार व अभय कुमार मिश्रा द्वारा वर्ष 2006 में शिक्षक नियोजन हेतु प्रखंड नियोजन इकाई चैनपुर में शारीरिक शिक्षक पद के लिए आवेदन किया गया था. इनकी नियुक्ति जिला अपीलीय प्राधिकार के आदेश पर 2014 में हुई. इन दोनों द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति पत्र पाया गया और इनको विगत 10 वर्षों से अधिक समय से लगातार वेतन का भुगतान भी किया जा रहा है. आवेदन में बताया गया है कि फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्त शिक्षकों के लिए माननीय उच्च न्यायालय पटना द्वारा त्यागपत्र देने के लिए समयावधि निर्धारित की गयी थी, इस समयावधि के दौरान कई शिक्षकों ने अपने त्यागपत्र दिये, लेकिन अभी भी कई शिक्षक ऐसे हैं जो फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर विद्यालय में जमे हैं, जिसकी जांच की जा रही है. # दुर्गावती थाने में एक शिक्षिका पर केस दर्ज जिले में फर्जी शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र के आधार पर कई शिक्षकों की बहाली हुई है. निगरानी द्वारा इनके शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र की जांच की जा रही है और इस जांच के दौरान चैनपुर में दो शारीरिक शिक्षकों का प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया, जिनके विरुद्ध चैनपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी, साथ ही दुर्गावती प्रखंड क्षेत्र की खामिदौरा पंचायत स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय सरियाव में पंचायत शिक्षिका के रूप में नियुक्त शिक्षिका फूल कुमारी पिता लालू प्रसाद बिंद ग्राम सरियाव पर भी फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर हुई नियुक्ति मामले में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. निगरानी द्वारा प्राथमिकी के लिए दिये गये आवेदन में बताया गया कि पंचायत शिक्षिका फूल कुमारी ने वर्ष 2006 में शिक्षक नियोजन हेतु पंचायत शिक्षक नियोजन इकाई ग्राम पंचायत खमीदौरा प्रखंड दुर्गावती में आवेदन दिया था, इसके बाद इनका नियोजन पंचायत शिक्षिका के रूप में हुआ था. नियोजित पंचायत शिक्षिका फूल कुमारी के इंटरमीडिएट के अनुक्रमांक संख्या 2192011 वर्ष 2006 प्राप्तांक 333 श्रेणी प्रथम को माध्यमिक शिक्षा परिषद क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी उत्तर प्रदेश को सत्यापन हेतु भेजा गया था. सत्यापन हेतु भेजे गये पंचायत शिक्षिका के इंटरमीडिएट के प्रमाण पत्र का सत्यापन प्रतिवेदन माध्यमिक शिक्षा परिषद क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी उत्तर प्रदेश के पत्रांक 1498, 30 नवंबर 2023 के माध्यम से प्राप्त हुआ, जिसमें उल्लेख किया गया है कि उक्त अनुक्रमांक का परीक्षा फल रोका गया है, जिससे स्पष्ट है कि फुल कुमारी का उक्त प्रमाण पत्र माध्यमिक शिक्षा परिषद क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी उत्तर प्रदेश द्वारा निर्गत नहीं है. इस प्रकार जांच में फुल कुमारी का अंक पत्र गलत पाया गया. इसे लेकर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा शिक्षिका फुल कुमारी के साथ अन्य अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. # नियोजन इकाई का कार्य कर रहा निगरानी विभाग पूरे प्रदेश में कांट्रेक्ट के आधार पर 2003 में बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई थी, जिसके बाद लगातार नियमावली में बदलाव होता रहा है. इस बहाली की सारी जिम्मेदारी पहले तो सिर्फ पंचायत नियोजन इकाई के जिम्मे थी, बाद में प्रखंड नियोजन इकाई व जिला नियोजन इकाई को भी इसकी जिम्मेदारी सरकार द्वारा मध्य विद्यालयों व उच्च विद्यालयों में शिक्षकों की बहाली के लिए दी गयी. इस बहाली के लिए जो मेधा सूची बनायी जाती है, वो अंकों के आधार पर ही बनायी जाती थी. बहाली के दौरान आवेदकों द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र सही हैं या फर्जी ये देखना नियोजन इकाई की जिम्मेदारी थी, लेकिन नियोजन इकाई द्वारा अपनी जिम्मेदारी का सही तरीके से निर्वहन नहीं किया गया, जिससे फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर भी शिक्षकों की बहाली होती रही. जो कार्य नियोजन इकाई द्वारा बहुत पहले ही कर लेना चाहिए था, वह आज निगरानी विभाग द्वारा किया जा रहा है. इस संबंध में थानाध्यक्ष विजय प्रसाद ने बताया कि निगरानी द्वारा दिये गये आवेदन के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है.

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