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इस बार चैत्र नवरात्र पूरे नौ दिन, नौ से शुरुआत,17 को मनेगी रामनवमी

मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के महापर्व चैत्र नवरात्र में अब दो-चार ही दिन शेष बचे हैं. इस बार चैत्र नवरात्र नौ अप्रैल से शुरू हो रही है और 17 अप्रैल को रामनवमी का पर्व मनाया जायेगा.

भभुआ सदर. मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के महापर्व चैत्र नवरात्र में अब दो-चार ही दिन शेष बचे हैं. इस बार चैत्र नवरात्र नौ अप्रैल से शुरू हो रही है और 17 अप्रैल को रामनवमी का पर्व मनाया जायेगा. इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नौ अप्रैल को और नवमी 17 अप्रैल को पड़ रही है, अत: शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबा की पूजा-आराधना का विशेष पर्व वासंतिक नवरात्र इस बार पूरे नौ दिन का होगा. शास्त्रों में भी नौ दिनों के नवरात्रि को बहुत ही शुभ माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार कई बार कोई तिथि 24 घंटे से अधिक तो कोई तिथि 12 घंटे से कम हो जाती है. नवरात्रि पर अगर तिथियां बढ़ती, तो नवरात्रि नौ दिनों के बजाय 10 दिनों तक हो सकती है और जब तिथि घटती है या लोप होती है, तो नवरात्रि आठ दिनों का भी हो सकती है. वहीं, ज्योतिषशास्त्री पंडित हरिशंकर तिवारी ने बताया कि नवरात्रि का त्योहार देवी दुर्गा की पूजा-आराधना और शक्ति की उपासना का पर्व है, जिसमें पूरे नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-आराधना की जाती है. इस बार नवरात्र नौ अप्रैल से आरंभ हो रही हैं और उसी दिन ब्रह्म योग भी लग रहा है. इस साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आठ अप्रैल को रात 11:55 बजे लग जा रही है, जो नौ अप्रैल को रात 9:43 मिनट तक रहेगी. उदय तिथि के अनुसार चैत्र नवरात्र नौ अप्रैल से शुरू होगी और कलश स्थापना की जायेगी. घट स्थापन अभिजित मुहूर्त में किया जायेगा, जो दिन के 11:34 बजे से 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. = इस बार नवरात्र में पांच दिनों तक रहेगा खरमास पंडित हरिशंकर तिवारी के अनुसार, चैत्र नवरात्र की शुरुआत नौ अप्रैल से होगी और खरमास का समापन 13 अप्रैल को होगा. चैत्र नवरात्र के शुरुआत के पांच दिनों तक खरमास का साया रहेगा. ऐसे में नौ अप्रैल से लेकर 13 अप्रैल तक मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी. खरमास के समापन के बाद मांगलिक कार्य किये जा सकते हैं. पंचांग के अनुसार, इस बार 14 मार्च से खरमास की शुरुआत की हो गयी है और इसका समापन 13 अप्रैल को होगा. इस दिन सूर्य देव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे, इसी के साथ खरमास की अवधि समाप्त होगी. = चैत्र नवरात्र को लेकर सजने लगे बाजार इधर, चैत्र नवरात्र को लेकर घर-घर तैयारी जोरों पर है. लोगों द्वारा मनोकामना पूर्ति, स्वास्थ, रोग मुक्त जीवन और मंगलमयी जीवन की कामना लिए अलग-अलग देवालयों में पर्व पर आस्था के दीप जलाये जायेंगे. चैत्र नवरात्र की तैयारी को लेकर शहर के बाजार भी सजने लगे हैं. भक्त माता के शृंगार के लिए चुनरी, मुकुट आदि खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं. इसी के साथ कई भक्त माता की भक्ति नवरात्र में व्रत रखकर करते हैं. इसमें वे एक समय फलाहार लेते हैं, जिसके लिए बाजार में तरह तरह के फलाहारी सामग्री उपलब्ध हैं. पंडित हरिशंकर तिवारी ने बताया कि नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत उत्तम रहता है. इसमें पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी पूजा, तृतीय मां चन्द्रघंटा पूजा, चतुर्थी मां कूष्मांडा पूजा, पंचमी को मां स्कंदमाता पूजा, षष्ठी को मां कात्यायनी पूजा, सप्तमी को मां कालरात्रि पूजा, अष्टमी को मां महागौरी और नवमी रामनवमी मां सिद्धिदात्री की विशेष पूजन का विधान शास्त्रों में बताया गया है. = नौ अप्रैल से होगी नवरात्र की शुरुआत प्रतिपदा तिथि, 9 अप्रैल, पहला दिन: मां शैलपुत्री की पूजा और कलश स्थापना द्वितीया तिथि, 10 अप्रैल, दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तृतीया तिथि, 11 अप्रैल, तीसरा दिन: मां चंद्रघंटा की पूजा चतुर्थी तिथि, 12 अप्रैल, चौथा दिन: मां कुष्मांडा की पूजा पंचमी तिथि, 13 अप्रैल, पांचवा दिन: देवी स्कन्दमाता की पूजा षष्ठी तिथि, 14 अप्रैल, छठा दिन: मां कात्यायनी की पूजा सप्तमी तिथि, 15 अप्रैल, सातवां दिन: मां कालरात्रि की पूजा अष्टमी तिथि, 16 अप्रैल, आठवां दिन: देवी महागौरी की पूजा,दुर्गा अष्टमी नवमी तिथि, 17 अप्रैल, नौवां दिन: मां सिद्धिदात्री की पूजा,राम नवमी दशमी तिथि, 18 अप्रैल , दसवां दिन: नवरात्रि का पारण, हवन फ़ोटो इनसेट चैत्र नवरात्र के साथ हिंदुओं के नये साल की होगी शुरुआत भभुआ सदर. देश में अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 01 जनवरी 2024 से नये साल की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन हिंदू नव वर्ष का आगाज चैत्र महीने से होता है. चैत्र माह हिंदू कैलेंडर का पहला महीना कहलाता है. हिंदू नववर्ष चैत्र माह की प्रतिपदा से शुरू होता है. ये तिथि इस बार नौ अप्रैल को पड़ रही है. यानी 2024 में हिंदी या हिंदू नववर्ष की शुरुआत नौ अप्रैल से होगी. दरअसल, हिंदू नव वर्ष चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. यह ऐसा समय होता है जब पतझड़ बीतने के बाद पूरी पृथ्वी नये रूप में निखर रही होती है. सही मायने में कहें तो यह वही समय होता है जब पतझड़ के बाद पेड़ पौधे बसंत ऋतु में प्रवेश कर रहे होते हैं और उनके सूखे पत्तों की जगह नये-नये हरे-भरे पत्ते उग रहे होते हैं. हिन्दू नव वर्ष पूजा-पाठ के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. चैत्र माह और हिंदू नववर्ष का पहला त्योहार नवरात्रि पड़ता है, जिसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूर्ण श्रद्धा से पूजा की जाती है. धर्म कर्म के जानकार पंडित हरिशंकर तिवारी ने बताया कि हिंदू कैलेंडर पूरी तरह से विज्ञान पर आधारित है. इसी कारण से अंतरिक्ष या किसी भी वैज्ञानिक अनुसंधान में हिंदू पंचांग को इंग्लिश कैलेंडर के मुकाबले ज्यादा महत्व दिया जाता है.

Prabhat Khabar News Desk
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