भभुआ. वन प्रमंडल कैमूर के सेंचुरी एरिया में जिले के सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना दुर्गावती जलाशय पर इस साल सात समंदर पार कर 45 प्रजातियों के मेहमान परिंदों ने अपने पंख कैमूर के अंगने में फड़फड़ाये हैं. इसका खुलासा फरवरी 2025 में दुर्गावती जलाशय पर प्रवासी पक्षियों की पड़ताल में आयी पक्षी विशेषज्ञों की टीम के रिपोर्ट से हुआ है. दिलकश पहाड़ी वादियों और प्रकृति के अनुपम अवदानों से भरा कैमूर का वन प्राणी आश्रयणी क्षेत्र जहां एक तरफ पर्यटन विकास के पयदान की ऊंचाई तक हिलोरें ले रहा है. वहीं, जिले की दुर्गावती जलाशय परियोजना पर्यटकों को रमणीक पहाड़ी वादियों में जलाशय के विशाल जन संग्रहण क्षेत्र में जल विहार कराने के साथ-साथ जल संग्रहण क्षेत्र के टीलों और उन पर उगी झाडियों के बीच मेहमान परिंदों के कलरव के चहचहाहट का भी आनंद पर्यटक उठाने लगे हैं. जानकारी के अनुसार, फरवरी 2025 में बंगाल से एक पक्षी विशेषज्ञों की टीम प्रवासी पक्षियों की पड़ताल में दुर्गावती जलाशय पर पहुंची थी. इस संबंध में जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी चंचल प्रकाशम ने बताया कि पक्षी विशेषज्ञों की टीम द्वारा जलाशय के जल संग्रहण क्षेत्र के टीलों और जल में उतरे प्रवासी पक्षियों के फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करायी गयी थी. इसके बाद विशेषज्ञों की टीम की रिपोर्ट के अनुसार इस साल दुर्गावती जलाशय पर 45 किस्म के मेहमान परिदों का आगमन हुआ था. गौरतलब है कि पिछले तीन-चार सालों से प्रवासी पक्षियों का काफिला हजारों मिल की यात्रा तय कर दुर्गावती जलाशय में विचरण करते देखे जाने लगे हैं, जो समंदर पार से हजारों मिल की लंबी उड़ान तय करके एक नयी दुनिया में अपने नये घरौंदों का सृजन करने परदेश आते हैं. मार्च व अप्रैल में प्रवासी पक्षी अपने मूल स्थान की राह पकड़ लगे लगभग 40 एकड़ से अधिक जल संग्रहण क्षेत्र को समेटे दुर्गावती जलाशय परियोजना प्रवासी पक्षियों का पसंद लगातार बनते जा रहा है. क्योंकि, जलाशय का विशाल जल संग्रहण क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए आदर्श और अनुकूल वातावरण वाला स्थल साबित हो रहा है और जलाशय का यह लंबा चौड़ा जल संग्रहण क्षेत्र आज अपनी पूरे बाजुओं को खोल कर मेहमान परिंदों की स्वागत कर रहा है. जल संग्रहण क्षेत्र के बीच-बीच में निकली पहाड़ी चट्टाने और पानी में निकली बड़ी-बड़ी झाड़ियां इनके अंडा देने के लिए मुफिद स्थान हैं. जल क्षेत्र विहंग करने के बाद ये प्रवासी मेहमान चट्टानों पर गुनगुनी धूप का आनंद लेते हैं और शाम होते ही जलाशय में उगी झाडिंयां इनका बसेरा बन जाती हैं. कई मादा प्रवासी पक्षी अपना अंडा देने के लिए इन झाड़ियों में अपना घरौंदा भी बनाती हैं. यहां पर खाने के लिए इन्हें जलाशय में गोता मारने पर मछलियों सहित पेड़ों पर बैठने के बाद जंगली फूलों के रसपान का भी स्वाद मिल जाता है. जानकारी के अनुसार, ये पक्षी मूल निवास स्थान जिसमें साइबेरिया आदि देश आते हैं, वहां जब सर्दियों में जल क्षेत्र बर्फ से ढकने लगता है तो ये पक्षी तमाम झंझेवातों को झेलते हुए अपनी यात्रा गर्म क्षेत्रों के लिए आरंभ कर देते है. अमूमन इन पक्षियों के गर्म देशों में आने का माह नवंबर-दिसंबर माह ही माना जाता है. मार्च और अप्रैल में ये प्रवासी पक्षी अपने मूल स्थान की राह फिर पकड़ने लगते हैं. इन मेहमान परिंदों में चकवा, लालशर, घाटो, साइबेरियन हंस, हिलसा आदि पक्षी शामिल होते हैं. इन्सेट जलाशय के उत्तरी दिशा के जंगल क्षेत्र को भी दिया जायेगा तालाब का शक्ल भभुआ. वैसे तो दुर्गावती जलाशय का लंबा चौड़ा जल संग्रहण क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए पहले से ही पर्याप्त है. बावजूद इसके जलाशय के उत्तरी क्षेत्र से सटे जंगल से कटे गड्ढेनुमा क्षेत्र को भी अब तालाब का शक्ल देकर प्रवासी पक्षियों के अनुकूल बनाया जायेगा. गौरतलब है कि पिछले सप्ताह बिहार के वन पर्यावरण व जलवायु मंत्री डाॅ सुनील कुमार अपने दो दिवसीय यात्रा पर कैमूर पहुंचे थे. यहां उन्होंने वन प्रक्षेत्र में दुर्गावती जलाशय परियोजना सहित अन्य क्षेत्रों का भी निरीक्षण किया था और जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी को कई दिशा निर्देश जारी किये गये थे. इसमें दुर्गावती जलाशय के उतर दिशा से लगे जंगल क्षेत्र को भी तालाब का शक्ल देने का निर्देश शामिल है. इस संबंध में पूछे जाने पर डीएफओ चंचल प्रकाशम ने बताया कि मंत्री के निर्देश पर जलाशय के उत्तर गड्ढेनुमा क्षेत्र को भी तालाब का शक्ल दिया जायेगा. इसका प्राक्कलन तैयार कराके सरकार को भेजा जाना है. उन्होंने बताया इस क्षेत्र में भी तालाब के अंदर उगे हुए पेड़ और झाड़ियों प्रवासी पक्षियों के लिए मुफिद साबित होंगे. गौरतलब है कि इस जलाशय के उत्तर पहाड़ी से गिरने वाले बरसाती पानी के चोट से जंगल का तराई कट कर जगह-जगह ऊंचा और नीचा हो गया है.
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