चैनपुर : प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में हुए सचिव व न्यायमित्र की बहाली के बाद अब नया मामला सामने आ रहा है. सभी पंचायतों के सरपंचों ने तो सचिवों और न्यायमित्रों का योगदान तो करा लिया. लेकिन सिकंदरपुर व डुमरकोन पंचायत के सरपंचों ने नव नियुक्त सचिव का योगदान कराने से इन्कार कर दिया गया. इस इन्कार के पीछे कारण चाहे जो भी रहा हो. लेकिन सिकंदरपुर पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि ने जो आरोप लगाया है वह काफी गंभीर है.
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सरपंच ने नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर से किया इन्कार
चैनपुर : प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में हुए सचिव व न्यायमित्र की बहाली के बाद अब नया मामला सामने आ रहा है. सभी पंचायतों के सरपंचों ने तो सचिवों और न्यायमित्रों का योगदान तो करा लिया. लेकिन सिकंदरपुर व डुमरकोन पंचायत के सरपंचों ने नव नियुक्त सचिव का योगदान कराने से इन्कार कर दिया […]
इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सचिव प्रतिनिधि श्रीरंग राम ने कहा कि नियुक्ति पत्र पर सरपंच का हस्ताक्षर ही नहीं कराया गया और ना ही नियुक्ति के दौरान हुई बैठक में बुलाया गया.
गौरतलब है कि प्रखंड के हाटा, सिकंदरपुर, उदयरामपुर, चैनपुर, मेढ़, सिरबिट व डुमरकोन में न्यायमित्र व सचिव को नियुक्त करना था जिसके लिए आवेदन मांगा गयी थी.
प्रखंड के सात पंचायतों में चार पंचायतों में न्यायमित्र व चार ही पंचायतों में सचिव की बहाली करनी थी. जिन पंचायतों में ये बहाली होने वाली थी वहां के सरपंच को प्रखंड मुख्यालय पर 13 जून व 29 जून को आयोजित बैठक में भाग लेकर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करनी थी.
लेकिन सरपंच प्रतिनिधि श्रीरंग राम ने बताया कि उन्हें या सरपंच को इन बैठकों में बुलाया ही नहीं गया और नाहीं इसकी जानकारी दी गयी. इसी बात को लेकर सरपंच द्वारा नियुक्त सचिव का योगदान नहीं कराया जा रहा है. सरपंच प्रतिनिधि द्वारा इस मामले को डीएम के जनता दरबार मे उठाने की बात बतायी गयी.
इस संबंध में बीडीओ राजेश कुमार ने बताया कि बहाली के दौरान पूरी पारदर्शिता बरती गयी है और पूरी बहाली की प्रक्रिया संबंधित जनप्रतिनिधि के सामने ही पूरा किया गया है और उनके ही हस्ताक्षर से नियुक्ति पत्र जारी किया गया है.
उन्होंने बताया कि दो पंचायत सिकंदरपुर व डुमरकोन पंचायत में सचिव के योगदान नहीं कराये जाने की शिकायत मिली है जिसकी जांच करायी जा रही है.
वही विकास कार्यों की समीक्षा करने आये जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी के संज्ञान में भी उक्त मामला आया तो उन्होंने बीडीओ को निर्देश देते हुए कहा कि यदि सरपंच योगदान नहीं करा रहे हैं, तो पंचायत सचिव से योगदान कराने की बात कही. डीएम ने कहा कि किसी भी प्रकार की बहाली या योगदान में यदि किसी पर भी रुपये लेने का आरोप लगता है उसकी जांच करायी जायेगी चाहे वो जो भी हो.
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