दाउदनगर : जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकारी प्रयासों के बावजूद इसके सकारात्मक परिणाम नहीं देखने को मिल रहे हैं. पुरुष नसबंदी में तो दिलचस्पी बिल्कुल ही न के बराबर देखी जा रही है .
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जनसंख्या नियंत्रण की योजना बेअसर, लोग नहीं ले रहे रुचि
दाउदनगर : जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकारी प्रयासों के बावजूद इसके सकारात्मक परिणाम नहीं देखने को मिल रहे हैं. पुरुष नसबंदी में तो दिलचस्पी बिल्कुल ही न के बराबर देखी जा रही है . परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत पुरुषों द्वारा नसबंदी कराने में बिल्कुल ही रुचि नहीं ली जा रही है, जबकि छोटे स्तर […]
परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत पुरुषों द्वारा नसबंदी कराने में बिल्कुल ही रुचि नहीं ली जा रही है, जबकि छोटे स्तर के इस ऑपरेशन की व्यवस्था प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है.हालांकि, महिलाएं बंध्याकरण कराने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंच रही हैं, लेकिन फिर भी इस क्षेत्र में काफी कुछ किए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है. चूंकि अपेक्षित सफलता नहीं दिख रही है.
दाउदनगर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं अनुमंडल अस्पताल में बंध्याकरण ऑपरेशन एवं पुरुष नसबंदी की सुविधा है,जिसके लिए साप्ताहिक तौर पर शिविर का आयोजन भी किया जाता है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से प्राप्त आंकड़े पर गौर करें तो उससे स्पष्ट होता है कि परिवार नियोजन के लिए जो योजनाएं चलाई जा रही हैं, उससे उपलब्धियां काफी दूर है.
बहाल हैं आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता : दाउदनगर स्थित पीएचसी में जनसंख्या नियंत्रण की इस सबसे बड़ी महत्वकांक्षी योजना का यह हाल है. पुरुष नसबंदी महिला बंध्याकरण की अपेक्षा ज्यादा आसान है, इसके बावजूद इसके प्रति रुचि नहीं दिखती .लोगों में जागरूकता का अभाव दिखता है.
लोगों को प्रेरित करने के लिए आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता बहाल हैं, जिनकी इस प्रखंड में संख्या 148 है, जिन्हे हर महीने बंध्याकरण कराने का लक्ष्य दिया जाता है, लेकिन लक्ष्य के प्रति उपलब्धि हासिल नहीं होती दिखती.
अन्य स्तरों पर भी जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं ,लेकिन यह पूरी तरह सफल नहीं दिखती, जबकि सरकार द्वारा इसके लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है. प्राप्त जानकारी के अनुसार महिला बंध्याकरण के लिए दो हजार एवं पुरुष नसबंदी के लिए तीन हजार रुपये प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है .प्रेरित करने वाले को भी प्रोत्साहन राशि प्रदान किया जाता है.
जागरूकता की जरूरत : दाउदनगर अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ राजेश कुमार सिंह का कहना है कि एएनएम, आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं तथा अन्य प्रचार माध्यमों से परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है, लेकिन शिक्षा एवं जागरूकता के अभाव के कारण अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है.
फिर भी लगातार प्रयास जारी है. समाज में बहुत सारी भ्रांतियां भी फैली हुई हैं ,उन भ्रांतियों को दूर करने के लिए यह जरूरी है कि शैक्षणिक जागरूकता बढ़े और यह धीरे-धीरे बढ़ भी रहा है.
उन्होंने कहा कि लोगों को समझना होगा कि बंध्याकरण या पुरुष नसबंदी हानिकारक नहीं है. परिवार नियोजन की सामग्रियों का इस्तेमाल करने से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है .
इसके लिए गांव स्तर पर लोगों को जागरूक करना होगा, ताकि लोग जागरुक हों और अधिक संख्या में परिवार नियोजन के लिए आगे आएं. मुखिया एवं पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी इसके लिए आगे आना होगा, तभी अपेक्षित सफलता मिल सकेगी.
सर्जन का भी अभाव
दाउदनगर में सर्जन का भी अभाव है.प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तो प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा वर्तमान में बंध्याकरण ऑपरेशन किया जा रहा है, अन्यथा इससे पहले तक जिला स्तर से सर्जन बुलाए जाते थे. इस प्रकार चिकित्सक का अभाव भी एक कारण माना जा सकता है.
फैमिली प्लैनिंग वर्कर के रूप में यहां दो कर्मी पदस्थापित थे, जिनमें से एक का तबादला हो चुका है .एक अभी पदस्थापित है लेकिन उनसे नसबंदी या बंध्याकरण के लिए उत्प्रेरक का काम नहीं लिया जाता. अधिकांशतःउन्हें दूसरे कार्यों में ही उन्हें व्यस्त रखा जाता है.
पिछले वर्ष का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से प्राप्त आंकड़े पर यदि गौर किया जाए तो बंध्याकरण में तो कुछ उपलब्धि दिखती है, लेकिन पुरुष नसबंदी में उपलब्धियां ना के बराबर ही दिखती हैं. प्राप्त आंकड़े के अनुसार अप्रैल 2018 से फरवरी 2019 तक दाउदनगर प्रखंड में 362 महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन हुए ,जबकि 16 पुरुषों ने नसबंदी करायी .मार्च महीने में एक पुरुष द्वारा नसबंदी करायी गयी है.
परिवार नियोजन के अन्य विकल्पों पर अगर गौर करें तो 161 महिलाओं ने अंतरा प्रोग्राम का पहला डोज लिया, लेकिन दूसरे डोज में यह संख्या घटकर 58 पर पहुंच गयी. तीसरे डोज में यह संख्या घटकर 43 और चौथे डोज में यह संख्या घटकर 40 हो गयी. 602 महिलाओं ने ओरल टेबलेट उपयोग किया. साप्ताहिक टेबलेट का इस्तेमाल 338 महिलाओं द्वारा किया गया. इमरजेंसी टेबलेट का इस्तेमाल 165 महिलाओं द्वारा किया गया. 6873 कंडोम वितरित किये गये.
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