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केकड़ा के किसान का बेटा अमेरिका में बना वैज्ञानिक

शिव कुमार भारती4मोहनिया सदर मन में कुछ कर गुजरने की ललक हो, तो कोई भी बाधा अड़चन नहीं बन सकती. यह एक बार फिर से साबित किया है कैमूर के डॉ राजेश कुमार ने. जिला अंतर्गत मोहनिया प्रखंड के केकड़ा गांव में 10 अगस्त 1989 को एक मध्यम वर्गीय किसान जय गोपाल सिंह के घर […]

शिव कुमार भारती4मोहनिया सदर
मन में कुछ कर गुजरने की ललक हो, तो कोई भी बाधा अड़चन नहीं बन सकती. यह एक बार फिर से साबित किया है कैमूर के डॉ राजेश कुमार ने. जिला अंतर्गत मोहनिया प्रखंड के केकड़ा गांव में 10 अगस्त 1989 को एक मध्यम वर्गीय किसान जय गोपाल सिंह के घर में जन्मे डॉ राजेश ने मेडिकल के क्षेत्र में वैज्ञानिक बन अमेरिका में भारत का परचम लहराया है.
उनकी प्रतिभा और लगन से प्रभावित होकर अमेरिका की ट्रंप सरकार ने अमेरिका में उन्हें साइंटिस्ट असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया है. अब वह 28 वर्षों तक यूसीएसएफ मेडिकल रिसर्च सेंटर संस फ्रांसिस्को कैलीफोर्नियां में मेडिकल के छात्र-छात्राओं को शिक्षा देने के साथ एड्स पर रिसर्च भी करते रहेंगे, जो कैमूर ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव की बात है.
10वीं तक की पढ़ाई मोहनिया में बताया जाता है कि डॉ राजेश शुरू से ही कुशाग्र बुद्धि के और शांति प्रिय छात्रों में से एक थे. पहली से लेकर 10वीं तक की शिक्षा उन्होंने मोहनिया के प्वाइंट एजुकेशन हाईस्कूल से प्राप्त की. वर्ष 2004 में राजेश कुमार ने 65 प्रतिशत अंकों के साथ मैट्रिक की परीक्षा पास की. इसके बाद एमपी कॉलेज में साइंस से 11वीं में नामांकन कराने के बाद पटना में मेडिकल की तैयारी के लिए चले गये.
वर्ष 2006 में इंटरमीडिएट की परीक्षा 52 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की. इसके बाद वाराणसी के जेआरएस संस्थान में तीन वर्षों तक मेडिकल की तैयारी कर प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुए. वर्ष 2009 में प्रतियोगी परीक्षा पास करने के बाद मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए उन्होंने जुलाई 2009 में मनिपाल यूनिवर्सिटी कर्नाटक में दाखिला लिया. यहां से वर्ष 2004 में चार वर्षीय मेडिकल कोर्स बी फार्मा व वर्ष 2016 में दो वर्षीय कोर्स एम फार्मा मनिपाल यूनिवर्सिटी की शाखा मंगलौर से उत्तीर्ण की.
मेडिकल विभाग में नौकरी भी मिली एम फार्मा करने के बाद मेडिकल विभाग में नौकरी भी मिली, लेकिन योगदान नहीं किया.
अगस्त 2016 में यूनिवर्सिटी में आयोजित कैंपस सलेक्शन के माध्यम से सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट लखनऊ में एक वर्षीय प्रशिक्षण के लिए चयन हुआ, जिसके तहत छह माह भारत में और छह माह का प्रशिक्षण विदेश में करना था. लखनऊ में प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद भारत सरकार ने एच वन बी बीजा देकर अमेरिका भेज दिया. लेकिन, वहां 40 दिन तक यूसीएसएफ मेडिकल रिसर्च सेंटर में प्रशिक्षण लिया.
इसी बीच वहां बराक ओबामा की सरकार के बाद डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनी और ट्रंप ने एच वन बी बीजा को कैंसिल कर दिया, जिसके बाद शेष बचे प्रशिक्षण को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने मास्को के रसियां में सभी को भेज दिया. वहां से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वापस भारत आये और लखनऊ के सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट में 12 जुलाई 2017 को नौकरी मिल गयी.
इसी बीच पीएम मोदी ने ट्रंप सरकार से बीजा रद्द होनेवाले छात्रों के भविष्य पर चिंता व्यक्त की, जिसके बाद अमेरिकी सरकार ने एच वन बी बीजा को मंजूरी दी. इस तरह डॉ राजेश कुमार 18 जुलाई 2017 को पुन: अमेरिका चले गये. वहां से सितंबर के अंतिम सप्ताह में भारत लौटे और अपने घर पहुंचे.
अक्तूबर में जायेंगे अमेरिका बातचीत के क्रम में डॉ राजेश ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिकी सरकार ने उन्हें यूसीएसएफ मेडिकल रिसर्च सेंटर संस फ्रांसिसको कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में साइंटिस्ट असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर पदस्थापित किया है. वह अक्तूबर में अमेरिका के लिए रवाना हो जायेंगे और वहां 28 वर्षों तक मेडिकल की शिक्षा देने के साथ एड्स के इलाज पर रिसर्च को पूरा करेंगे.
इसके साथ ही बाबा स्वतंत्रता सेनानी स्व रामदेव जी की यादगार में चल रहे बाबा रामदेव नि:सहाय सेवा संस्थान केकड़ा के माध्यम से जिला के वैसे गरीब लोग जो मोतियाबिंद सहित आंख की अन्य बीमारियों की वजह से दुनिया नहीं देख सकते हैं, उनकी आंखों को नयी रोशनी देने के लिए प्रत्येक वर्ष अपने गांव में कैंप लगवा कर अमेरिका से लेंस भेज कर वाराणसी सहित देश के अन्य बड़े अस्पतालों से नेत्र सर्जन बुला कर उनकी आंखों का इलाज नि:शुल्क करायेंगे.
इसके लिए हर साल 50 पीड़ितों को नयी रोशनी दी जायेंगी. आज भी हमारे बाबा की पुण्यतिथि पर गरीबों के बीच वस्त्र वितरित किया जाता है.

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