रामगढ़ : पावर हाउस स्थित राम-लक्ष्मण का ऐतिहासिक चबूतरा का अस्तित्व मिटने के कगार पर पहुंच गया है. जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते चबूतरा जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गया है. कुछ लोगों का भी मानना है कि अतीत में राम-लक्ष्मण के चबूतरे का लुक भले ही स्वर्णिम रहा हो.
मगर, वर्तमान समय में इस ऐतिहासिक चबूतरे की बातें करना तो दूर यह देखने लायक नहीं रहा. बताया जाता है कि राम-लक्ष्मण के चबूतरे के ठीक बगल में रावण का घर व अशोक वाटिका का लुक दिया गया था. मगर, आज वहां का स्थान अतिक्रमण की चपेट में आ गया है.
कई वर्षों पुराना है यह चबूतरा जानकारों का कहना है कि यह चबूतरा ऐतिहासिक है. शारदीय नवरात्र में रामलीला का मंचन यहां पहले होता था. विजयादशमी के दिन स्थानीय लोग राम व लक्ष्मण के वेश में इस चबूतरा पर बैठते हैं, इसका उद्देश्य सदियों से चली आ रही है. 15 डिसमिल की भूमि में इस चबूतरे का निर्माण किया गया है.
लेकिन, आज इसकी स्थिति खस्ताहाल है. आज इसको देखनेवाला कोई नहीं है. राम-लक्ष्मण के सिंहासन के ठीक बगल में अशोक वाटिका का आकर्षक लुक दिया गया था. अशोक वाटिका की तर्ज पर कैंपस के आसपास पौधे लगाये गये थे. वर्तमान समय में अब यहां की हरियाली रूठ गयी है. सूत्रों की माने तो लोगों ने यहां के सभी पेड़ काट लिये है.
बोले अध्यक्ष
रामलीला समिति के अध्यक्ष सुनील सिंह का कहना है कि ऐतिहासिक चबूतरा उपेक्षा का शिकार है, जो दुर्भाग्यपूर्ण कहा जायेगा. प्रयास होगा कि पूर्व की तरह राम-लक्ष्मण का चबूतरा हो और जीर्ण शीर्ण से मुक्ति दिलायी जाये, ताकि ऐतिहासिक धरोहर बची रहे. मिट्टी का भराई कार्य बहुत जल्द किया जायेगा. संभावना है कि अगले साल उक्त चबूतरे कैंपस में रामलीला पाठ का भी आयोजन किया जायेगा.